#राजनीति
September 16, 2025
फंस गई मंडी की सांसद कंगना: कोर्ट में होना होगा पेश, विवादित टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली राहत
मानहानि मामले में बुजुर्ग महिला की अदालत से न्याय की आस
शेयर करें:
बठिंडा/शिमला। हिमाचल प्रदेश के मंडी संसदीय क्षेत्र की भाजपा सांसद और फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत की कानूनी मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रहीं। किसान आंदोलन के दौरान दिए गए एक विवादित बयान के चलते उनके खिलाफ चल रहे मानहानि मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें कोई राहत देने से इनकार कर दिया है। इसके बाद बठिंडा की सत्र न्यायालय ने उन्हें 29 सितंबर, 2025 को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होने का आदेश दिया है।
यह मामला वर्ष 2021 का है, जब कंगना ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा करते हुए बुजुर्ग किसान महिला महिंदर कौर पर यह आरोप लगाया था कि वे मात्र 100 रुपए लेकर प्रदर्शन में शामिल हुई थीं। इस पोस्ट में उन्होंने उस महिला की तुलना एक अन्य प्रसिद्ध महिला से करते हुए कटाक्ष किया था, जिसे अंतरराष्ट्रीय पत्रिका टाइम ने भारत की प्रभावशाली महिलाओं में शामिल किया था।
यह भी पढ़ें : हिमाचल-उत्तराखंड बॉर्डर पर फटा बादल: मलबे में बहे दो लोग, तबाह हो गई कई दुकाने
सुप्रीम कोर्ट में कंगना की ओर से राहत की मांग करते हुए यह दलील दी गई थी कि उन्होंने मूल रूप से किसी और की पोस्ट को साझा किया था और उसमें उनकी निजी मंशा शामिल नहीं थी। लेकिन न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने स्पष्ट किया कि यह मामला सिर्फ एक साधारण रीट्वीट का नहीं है। पीठ ने कहा कि कंगना ने न केवल पोस्ट को साझा किया बल्कि उसमें अपनी ओर से टिप्पणी भी जोड़ी, जिससे यह एक सक्रिय बयान बन गया। कोर्ट ने यह भी कहा कि मामले की गहराई से पड़ताल ट्रायल कोर्ट में ही होनी चाहिए, जहां कंगना को अपना पक्ष रखना होगा।
इस विवाद के केंद्र में रहीं बठिंडा जिले के बहादुरगढ़ गांव की रहने वाली 87 वर्षीय महिंदर कौर ने बताया कि वह धरने में किसी लालच के लिए नहीं, बल्कि अपनी जमीन और अस्तित्व की रक्षा के लिए शामिल हुई थीं। उन्होंने कहा, “अगर कंगना माफी मांगती हैं, तो मैं उन्हें माफ भी कर सकती हूं क्योंकि मेरा उनसे कोई निजी बैर नहीं है। लेकिन आज भी वह अपने बयान को सही ठहरा रही हैं, इसलिए मुझे न्यायालय से ही उम्मीद है।”
महिंदर कौर ने कंगना के खिलाफ 4 जनवरी, 2021 को बठिंडा की अदालत में मानहानि का केस दर्ज कराया था। लगभग 13 महीने की सुनवाई के बाद कोर्ट ने कंगना को समन जारी किया था। इसके बाद कंगना ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिसे खारिज कर दिया गया। सर्वोच्च न्यायालय ने भी 2025 में उनकी याचिका पर कोई राहत नहीं दी, जिससे अब उन्हें 29 सितंबर को कोर्ट में उपस्थित होना अनिवार्य कर दिया गया है।
इस विवाद का असर 2024 में उस समय फिर सामने आया जब लोकसभा चुनाव में मंडी से जीतने के बाद कंगना रनौत को चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर CISF की एक महिला कॉन्स्टेबल कुलविंदर कौर ने थप्पड़ मार दिया। जांच में सामने आया कि कॉन्स्टेबल की मां किसान आंदोलन में शामिल थीं और उन्हें कंगना के 100 रुपए वाले बयान पर आपत्ति थी। हालांकि, इस मामले में न तो कंगना ने कोई लिखित शिकायत की और न ही किसी कर्मचारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।
इस प्रकरण ने एक बार फिर उस बहस को जन्म दे दिया है कि क्या किसी लोकतांत्रिक आंदोलन में भाग लेने वालों को यूं सार्वजनिक रूप से अपमानित किया जा सकता है। किसान संगठनों ने कंगना की टिप्पणी की निंदा करते हुए कहा है कि किसान आंदोलन कोई मंच नहीं था जिसे पैसे लेकर खड़ा किया गया हो, बल्कि वह देश के अन्नदाताओं की वास्तविक चिंता और अधिकारों की लड़ाई थी।
29 सितंबर को बठिंडा सत्र न्यायालय में होने वाली सुनवाई पर पूरे देश की नजरें होंगी। कंगना रनौत को अदालत में हाजिर होकर अपना पक्ष रखना होगा। देखना यह है कि वे अदालत में क्या रुख अपनाती हैं — माफी मांगकर विवाद का पटाक्षेप करती हैं या कानूनी लड़ाई को आगे बढ़ाती हैं।