#राजनीति
September 16, 2025
विक्रमादित्य की ठेकेदारों को चेतावनी: चयनित स्थलों पर डंप करें मलबा, वरना रद्द होगा लाइसेंस
सर्कुलर रोड पर हिमलैंड के समीप भयंकर भूस्खलन का किया निरीक्षण
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शिमला। हिमाचल प्रदेश में इस बार मानसून ने भारी तबाही मचाई है। शिमला समेत राज्य के कई हिस्सों में लगातार हो रही बारिश और भूस्खलनों ने जनजीवन को अस्त.व्यस्त कर दिया है। राजधानी शिमला की जीवनरेखा मानी जाने वाली सर्कुलर रोड पर हिमलैंड के समीप भयंकर भूस्खलन के कारण आधा दर्जन से अधिक वाहन मलबे की चपेट में आकर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए राज्य के लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह स्वयं मौके पर पहुंचे और हालात का जायजा लिया।
मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने जानकारी दी कि प्रदेश सरकार ने आपदा के बावजूद सेब बहुल क्षेत्रों में आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए युद्धस्तर पर काम शुरू किया है। बागवानों की उपज मंडियों तक पहुंच सके, इसके लिए 20 किलोमीटर के हर दायरे में एक एसडीओ और जूनियर इंजीनियर की तैनाती की गई है, ताकि मार्गों को त्वरित रूप से बहाल किया जा सके। उन्होंने कहा कि सरकार की पूरी कोशिश है कि किसानों को न्यूनतम नुकसान हो और उनकी फसल समय पर बाज़ार तक पहुंच सके।
विक्रमादित्य सिंह ने सड़क निर्माण और मलबा निपटान को लेकर ठेकेदारों और पीडब्ल्यूडी अधिकारियों को स्पष्ट संदेश देते हुए कहा कि निर्माण के बाद उत्पन्न मलबा निर्धारित और चयनित स्थलों पर ही डंप किया जाए। यदि कोई ठेकेदार इस निर्देश की अवहेलना करता है, तो उसका लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा। साथ ही विभागीय अधिकारियों को चार्जशीट किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अनियंत्रित रूप से डंप किया गया मलबा बरसात के दौरान नालियों में बहकर बाढ़ और भूस्खलन जैसी आपदाओं को जन्म दे रहा है।
धर्मपुर बस अड्डे के बाढ़ में बह जाने की घटना पर मंत्री ने कहा कि सरकार ने यह निर्णय लिया है कि भविष्य में नदी या नालों से 100 मीटर की दूरी पर किसी भी प्रकार के सरकारी कार्यालय या आवासीय भवनों का निर्माण नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं से सबक लेते हुए अब निर्माण नियमों को और सख्त बनाया जाएगा।
आपदा राहत कार्यों को लेकर उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा घोषित 1500 करोड़ रुपये की सहायता राशि के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार आभार व्यक्त करती है, लेकिन राज्य में आई त्रासदी और नुकसान की गंभीरता को देखते हुए यह मदद अपर्याप्त है। उन्होंने मांग की कि राहत और पुनर्वास कार्यों को गति देने के लिए केंद्र से और अधिक सहायता की जरूरत है।
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मंत्री ने बताया कि वर्तमान में प्रदेशभर में एक हजार से अधिक सड़कें बंद हैं, जिन्हें खोलने के लिए भारी मशीनरी और मानव संसाधन लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी चुनौती उन सड़कों को फिर से बहाल करना है, जहां का बड़ा हिस्सा भूस्खलन या बाढ़ में पूरी तरह बह गया है। ऐसे क्षेत्रों में अब पक्के और मजबूत सुरक्षात्मक दीवारों के निर्माण की योजना पर काम किया जा रहा है, ताकि भविष्य में ऐसे हादसों को रोका जा सके।