#राजनीति
December 3, 2025
हिमाचल में बिजनेस और घर खरीदना होगा आसान! सुक्खू सरकार धारा-118 में कर रही बदलाव- जानें डिटेल
सुक्खू सरकार धारा 118 में संशोधन कर ग्रामीणों को देगी राहत
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धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश में लंबे समय से बहस का विषय बनी धारा-118 एक बार फिर चर्चा के केंद्र में है। राज्य की सुक्खू सरकार ने इस विशेष भूमि कानून में सरलीकरण एवं सीमित संशोधन करने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं। धर्मशाला के तपोवन में चल रहे विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पांचवें दिन सरकार ने संशोधन विधेयक सदन में पेश किया।
हिमाचल सरकार का तर्क है कि बदलती आर्थिक जरूरतों, निवेश और रोजगार को गति देने के लिए कानून में कुछ व्यावहारिक बदलाव ज़रूरी हैं। वहीं विपक्ष पहले से ही इस मुद्दे पर सवाल खड़ा कर रहा है, लेकिन मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सदन में साफ किया कि “धारा-118 के मूल स्वरूप से छेड़छाड़ नहीं होगी। केवल व्यवहारिक समस्याओं को हल करने के लिए संशोधन लाया गया है।”
मुख्यमंत्री ने बताया कि कई निवेशकों या संस्थाओं को धारा-118 के तहत जमीन खरीदने के बाद 5 वर्षों में प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो पाता, लेकिन वर्तमान कानून सरकार को एक्सटेंशन देने की शक्ति नहीं देता। इसी कमी को दूर करने के लिए संशोधन प्रस्तावित किया गया है- यदि किसी प्रोजेक्ट का 70% काम 5 वर्ष में पूरा हो गया है, तो सरकार एक वर्ष का विस्तार (एक्सटेंशन) देने का अधिकार रखेगी। यह एक्सटेंशन पेनल्टी के साथ दिया जाएगा, ताकि इसका दुरुपयोग न हो।
विधेयक में एक महत्वपूर्ण बदलाव यह है कि, 100% कृषक सदस्यों वाली सहकारी समितियों को भूमि खरीदने के लिए धारा-118 की अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी। सरकार का दावा है कि इससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, सहकारी मॉडल को बढ़ावा मिलेगा और नए उद्यम और स्थानीय आर्थिक गतिविधियां तेज होंगी।
इसके अतिरिक्त, ग्रामीण इलाकों में व्यवसायों को 10 वर्ष तक लीज़ पर इमारतें लेने की छूट भी मिलेगी, बिना धारा-118 की औपचारिक अनुमति के।
संशोधन के अनुसार, हिमुडा द्वारा निर्मित फ्लैट और भवन खरीदने वालों को धारा-118 की मंजूरी की जरूरत नहीं होगी। यही छूट निजी बिल्डरों द्वारा बनाए गए पूर्ण निर्माणों पर भी लागू होगी। गैर-कृषक भी पूरी तरह निर्मित भवन खरीद सकेंगे। सरकार का मानना है कि इससे रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता और गतिशीलता बढ़ेगी।
हिमाचल प्रदेश काश्तकारी एवं भूमि सुधार अधिनियम, 1972 की धारा-118 गैर-हिमाचलियों को कृषि भूमि खरीदने से रोकती है। प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री डॉक्टर वाई.एस. परमार का उद्देश्य था- स्थानीय किसानों की जमीन को बाहरी पूंजी के कब्जे से बचाना और राज्य के जनसांख्यिक संतुलन और सांस्कृतिक पहचान की रक्षा।
जिसके चलते सरकार केवल उन्हीं गैर-कृषकों को भूमि खरीदने की अनुमति देती है जो राज्य में उद्योग, हॉस्पिटैलिटी या अन्य सार्वजनिक हित के प्रोजेक्ट स्थापित करना चाहते हैं। यदि इसका उल्लंघन होता है, तो संबंधित भूमि सौदा अवैध माना जाता है। गौरतलब है कि, मौजूदा सरकार ने इससे पहले भी एक संशोधन किया था- जिसके तहत डेरा ब्यास को भूमि हस्तांतरण की अनुमति दी गई थी।