#राजनीति
October 7, 2025
सुक्खू ने बुलाया... भूखे ही तड़पाया, नारे लगाने वाली छात्राओं पर FIR दर्ज, बीजेपी ने उठाए सवाल
अर्की के दाड़लाघाट में खाना ना मिलने पर छात्राओं ने लगाए थे नारे
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शिमला। हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले के दाड़लाघाट में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की जनसभा के दौरान नारेबाजी करने वाली छात्राओं के खिलाफ पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है। लंच न मिलने से नाराज छात्राओं ने मंच के पास नारे लगाए थे, जिसके बाद अब इस मामले ने राजनीतिक तूल पकड़ लिया है। विपक्ष ने सुक्खू सरकार को तानाशाही रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए कड़ी आलोचना की है।
बीते शनिवार को मुख्यमंत्री सुक्खू अर्की विधानसभा क्षेत्र में पहुंचे थे, जहां उन्होंने दूध प्रोत्साहन योजना और परिवहन अनुदान योजना की शुरुआत की। इसी दौरान कार्यक्रम स्थल पर कुछ छात्राओं ने नारेबाजी की, जिनका वीडियो सोशल मीडिया पर भी तेजी से वायरल हुआ। वीडियो में छात्राएं कहती नजर आ रही हैंकृ सुक्खू ने बुलाया है, भूखे ही तड़फाया है।
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छात्राओं का कहना था कि उन्हें करीब डेढ़ घंटे तक बिना भोजन के बैठाया गया, जबकि उनके साथ आए शिक्षक कार्यक्रम स्थल से चले गए या उन्हें वहां से हटा दिया गया। हालांकि, प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि इन छात्राओं को कार्यक्रम में आधिकारिक रूप से आमंत्रित नहीं किया गया था।
कार्यक्रम के कुछ दिन बाद ही दाड़लाघाट थाना पुलिस ने नारेबाजी करने वाली छात्राओं के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। इस कदम के बाद सुक्खू सरकार पर विपक्ष ने तीखा हमला बोला है। पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सोशल मीडिया पर लिखा - यह सरकार छात्रों को भोजन नहीं, बल्कि मुकदमे दे रही है। जो सरकार छात्रों की आवाज नहीं सुन सकती, वह जनता की भलाई कैसे करेगी?
इसी तरह भाजपा के पूर्व मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने भी सरकार से एफआईआर को तुरंत रद्द करने की मांग की। उन्होंने सवाल उठाया कि जहां कांग्रेस के नेता भाजपा के कार्यक्रमों में काले झंडे दिखाकर विरोध करते हैं, वहां कोई एफआईआर नहीं होती। लेकिन जब कुछ छात्राएं लंच न मिलने पर नारेबाजी करती हैं, तो उनके खिलाफ केस दर्ज कर दिया जाता है — क्या यह न्यायसंगत है?
भाजपा नेताओं का आरोप है कि सुक्खू सरकार आलोचना और विरोध से डरने लगी है। विधायक एवं पार्टी के वरिष्ठ प्रवक्ता त्रिलोक जमवाल ने कहा कि यह पहली बार है जब छात्रों जैसी भोली-भाली जनता पर सिर्फ नारेबाजी के लिए केस दर्ज किया गया है। यह सरकार अब महातानाशाही के रास्ते पर चल रही है। भूख से परेशान बच्चों की आवाज को एफआईआर से दबाने का प्रयास निंदनीय है। भाजपा नेताओं ने यह भी कहा कि सरकार को लोकतांत्रिक परंपराओं का सम्मान करते हुए छात्रों के खिलाफ दर्ज केस तुरंत वापस लेना चाहिए।
इस पूरे मामले पर अब तक मुख्यमंत्री कार्यालय या जिला प्रशासन की ओर से कोई औपचारिक बयान जारी नहीं किया गया है। विपक्ष लगातार सरकार से जवाब मांग रहा है कि आखिर छात्राओं पर एफआईआर की जरूरत क्यों पड़ी, जबकि मामला केवल भोजन व्यवस्था को लेकर असंतोष का था।