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July 24, 2025

हिमाचल आपदा पर दिल्ली में सियासत: सुक्खू ने मांगी राहत- भाजपा ने की पैरवी; किसे मिलेगा श्रेय ?

राहत राशि के बहाने सत्ता और विपक्ष में राजनीतिक साख की जंग

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CM Sukhu vs bjp leader delhi

शिमला/नई दिल्ली। हिमाचल की जनता आपदा से उबरने के लिए जहां संघर्ष कर रही है, वहीं दूसरी ओर दिल्ली में बैठकों की राजनीति भी जोर पकड़ चुकी है। हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक आपदा के हालात अब सिर्फ प्रशासनिक या मानवीय चिंता का विषय नहीं रह गए हैं, बल्कि यह मामला अब सीधे.सीधे दिल्ली की सियासत के गलियारों में गूंज रहा है। एक ओर जहां मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू हाल ही में आपदा राहत की मांग को लेकर दिल्ली दौरे पर गए थे।

 

वहीं दूसरी ओर प्रदेश भाजपा ने एक बड़े प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली में केंद्र सरकार से हिमाचल के लिए विशेष मदद की पुरजोर पैरवी की। यह पूरा घटनाक्रम अब एक सधी हुई राजनीतिक रणनीति का हिस्सा नजर आ रहा है। सीएम सुक्खू की दिल्ली यात्रा के  बाद अब भाजपा नेताओं का यह दिल्ली दौरा आगामी समय में हिमाचल की राजनीति में नए समीकरणों को जन्म दे सकता है। वहीं आने वाले दिनों में यह देखना भी दिलचस्प होगा कि केंद्र से मिलने वाले राहत पैकेज की घोषणा किसके नाम के साथ जुड़ती है।

 

आपदा पीड़ितों के लिए राहत भरी खबर

हालांकि , इस सारे मामले में हिमाचल में प्राकृतिक आपदा में अपना सब कुछ गंवा चुके पीड़ितों के लिए राहत भरी खबर है। क्योंकि एक तरफ जहां सीएम सुक्खू दिल्ली में आपदा पीड़ितों के लिए राहत पैकेज की मांग कर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ हिमाचल भाजपा नेता भी आपदा पीड़ितों को राहत पैकेज के लिए दिल्ली में पैरवी कर रहे हैं।

 

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दिल्ली दरबार में बने हिमाचल की आवाज

हिमाचल प्रदेश भाजपा ने संकट के इस दौर में एक बड़ा राजनीतिक दांव खेला है। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर, प्रदेश अध्यक्ष डॉ राजीव बिंदल, सांसद अनुराग ठाकुर, सुरेश कश्यप, कंगना रणौत, इंदु गोस्वामी, डॉ सिकंदर कुमार, हर्ष महाजन, विनोद कुमार, हंसराज और दीपराज जैसे दिग्गज नेताओं ने दिल्ली में जेपी नड्डा से मुलाकात की। उसके बाद जेपी नड्डा के नेतृत्व में हिमाचल भाजपा नेताओं ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात कर प्रदेश में आपदा राहत, पुनर्वास और पुनर्निर्माण के लिए ठोस कदमों की मांग रखी।

 

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हिमाचल की पैरवी के साथ एकजुटता का संदेश

यह मुलाकात एक ओर जहां हिमाचल की जरूरतों की पैरवी थी, वहीं भाजपा के लिए यह अपनी राजनीतिक सक्रियता दिखाने का अवसर भी था। मुख्यमंत्री सुक्खू की दिल्ली यात्रा पर भाजपा का यह जवाबी दौरा आगामी समय में हिमाचल की राजनीति में नए समीकरणों को जन्म दे सकता है। खास बात यह रही कि इन बैठकों में हिमाचल से राज्यसभा और लोकसभा के तमाम सांसद भी शामिल रहे, जिससे एकजुटता का स्पष्ट संदेश गया।  

शाह और गडकरी से की मुलाकात

जेपी नड्डा न केवल प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे थे, बल्कि केंद्र सरकार की ओर से अब तक मिली सहायता को विस्तार से मीडिया के समक्ष भी रखा। नड्डा ने बताया कि 2023 की आपदाओं के लिए केंद्र सरकार ने पहले ही हिमाचल को 2006.40 करोड़ रुपये की मंजूरी दे दी थी और हाल ही में 451.44 करोड़ रुपये की पहली किस्त भी जारी की जा चुकी है। इसके अतिरिक्त एसडीआरएफ के तहत 198.80 करोड़ रुपये की राशि भी राज्य को दी गई है।

 

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नड्डा ने यह भी बताया कि केंद्र ने 13 एनडीआरएफ टीमों की तैनाती की है और सेना, वायुसेना, आईटीबीपी की सहायता भी समय पर पहुंचाई गई। इस अवसर पर उन्होंने राज्य सरकार की मांगों पर तत्परता से कार्रवाई करने के लिए अमित शाह का आभार भी जताया।

आपदा के कारणों पर होगा वैज्ञानिक अध्ययन

जेपी नड्डा ने एक और बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के निर्देश पर हिमाचल की आपदाओं के कारणों और भविष्य की रणनीति को लेकर एक बहु.क्षेत्रीय केंद्रीय टीम गठित कर उसे हिमाचल भेजा गया है। इसमें NDMA, CBRI रुड़की, IIT पुणे, IIT इंदौर और भू.वैज्ञानिक संस्थानों के विशेषज्ञ शामिल हैं। यह टीम हिमाचल के आपदा संभावित क्षेत्रों में विश्लेषण कर रही है और भविष्य में बचाव के उपाय सुझाएगी।

 

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क्या सीएम सुक्खू की दिल्ली यात्रा का भाजपा ने दिया जवाब ?

मुख्यमंत्री सुक्खू भी कुछ ही दिन पहले दिल्ली दौरे पर थे और उन्होंने केंद्र से विशेष राहत पैकेज की मांग की थी। सीएम सुक्खू ने भी अपने दिल्ली दौरे के दौरान गडकरी और अमित शाह से मुलाकात कर प्रदेश के हालातों की जानकारी दी थी और विशेष राहत पैकेज की मांग की थी। अब भाजपा का प्रतिनिधिमंडल जिस तरह से व्यापक और प्रभावशाली ढंग से दिल्ली में केंद्रीय नेतृत्व से मिला, उससे यह स्पष्ट संकेत गया कि भाजपा हिमाचल की जनता को यह दिखाना चाहती है कि हम हैं तो मुमकिन है।

राजनीतिक संदेश साफ

भाजपा के इस दिल्ली दौरे का राजनीतिक संदेश बहुत साफ है। भाजपा यह जताना चाह रही है कि केंद्र में उनके रिश्ते और प्रभाव के कारण ही हिमाचल को तेज गति से मदद मिल रही है। साथ ही यह सत्तारूढ़ कांग्रेस के लिए एक सीधा दबाव भी है कि अगर राज्य सरकार केंद्र के साथ समन्वय नहीं बनाती, तो हिमाचल की जनता को राहत मिलने में देरी हो सकती है। 

 

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