#राजनीति
May 22, 2025
सीएम सुक्खू के पीछे-पीछे यह बड़े नेता भी हुए दिल्ली रवाना, बढ़ गई सियासी हलचल
हिमाचल कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति पर मचा है घमासान
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शिमला। हिमाचल प्रदेश कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के दिल्ली रवाना होते ही पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने भी राष्ट्रीय राजधानी का रूख कर लिया है। कांग्रेस के भीतर बढ़ती गुटबाजी और संगठनात्मक अस्थिरता के बीच यह दौरे महज औपचारिक मीटिंग्स तक सीमित नहीं माने जा रहे। सूत्रों के अनुसार इन नेताओं की सक्रियता का सीधा संबंध प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की नियुक्ति से जुड़ा है, जो लंबे समय से लटकी हुई है।
मुख्यमंत्री सुक्खू दिल्ली में वित्त आयोग, नीति आयोग और मंत्रालयों के साथ पहले से तय बैठकों में भाग लेने पहुंचे हैं। हालांकि, पार्टी हलकों में इस दौरे को सिर्फ प्रशासनिक नहीं, बल्कि संगठनात्मक दृष्टिकोण से भी अहम माना जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि मुख्यमंत्री शीर्ष नेतृत्व से प्रदेश संगठन के पुनर्गठन, खासकर अध्यक्ष पद पर अपने करीबी की तैनाती को लेकर चर्चा कर सकते हैं।
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मुख्यमंत्री के दिल्ली पहुंचने के तुरंत बाद, उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री और कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर भी दिल्ली रवाना हो गए हैं। राठौर दिल्ली के लिए निकल चुके हैं और डिप्टी सीएम भी आज दिल्ली रवाना होने वाले है। इसमें राठौर ने अपने दौरे को भले ही मीडिया विभाग की बैठक से जोड़कर पेश किया हो, लेकिन राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह दौरा प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी से जुड़ा हुआ है।
हिमाचल कांग्रेस में आंतरिक खेमेबंदी किसी से छिपी नहीं है। एक ओर मुख्यमंत्री सुक्खू के नेतृत्व वाला संगठनात्मक और प्रशासनिक नियंत्रण समर्थक गुट है। तो दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की विरासत संभाल रही प्रतिभा सिंह और उनके समर्थकों का गुट, जिसे होली लॉज धड़ा भी कहा जाता है, अपनी पकड़ बनाए रखने की कोशिश में है।
प्रतिभा सिंह समर्थकों का दावा है कि जब तक कोई मजबूत विकल्प न हो, मौजूदा नेतृत्व को ही जारी रखा जाए। दूसरी ओर, सुक्खू खेमे का तर्क है कि नया अध्यक्ष संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूती देगा और युवा नेतृत्व को बढ़ावा मिलेगा।
माना जा रहा है कि कांग्रेस में दो धड़ों में बंटी कांग्रेस के चलते ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की नियुक्ति में देरी हो रही है। हाईकमान के सामने सबसे बड़ी दुविधा यह है कि किसी भी गुट को नाराज़ किए बिना संतुलन कैसे साधा जाए। एकतरफा फैसला प्रदेश में असंतोष को हवा दे सकता है। वहीं कई वरिष्ठ नेता खुद या अपने करीबी को अध्यक्ष बनवाना चाहते हैं, जिससे एक नाम पर सहमति बनाना मुश्किल हो गया है।
जानकारों के अनुसार, कांग्रेस हाईकमान जून के पहले सप्ताह में हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद को लेकर कोई फैसला ले सकता है। इसके लिए पार्टी महासचिव ;संगठनद्ध के स्तर पर मंथन शुरू हो चुका है। हिमाचल मामलों की प्रभारी रजनी पाटिल को पूरे घटनाक्रम पर नजर रखने को कहा गया है।