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June 29, 2025

हिमाचल कांग्रेस में परिवारवाद बन रहा नया ट्रेंड! मंत्री शांडिल के ऐलान पर उठे विरोध के सुर

मंत्री शांडिल के अपने ही दामाद ने लगा दिए परिवारवाद के आरोप

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Himachal Congress

 

सोलन। हिमाचल प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर परिवारवाद और लोकतांत्रिक मूल्यों की बहस तेज हो गई है। प्रदेश के वरिष्ठ मंत्री और सोलन से कांग्रेस विधायक सेवानिवृत्त कर्नल धनी राम शांडिल ने सार्वजनिक मंच से राजनीति से संन्यास लेने और 2027 के विधानसभा चुनाव में अपने पुत्र को मैदान में उतारने की घोषणा करके नया राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है।

26 जून को मंच से किया था ऐलान

सोलन में एक मेले के मंच से 26 जून को स्वास्थ्य मंत्री शांडिल ने ऐलान किया कि वह अगला चुनाव नहीं लड़ेंगे और अब उनका बेटा उनकी राजनीतिक विरासत संभालेगा। इस घोषणा से जहां सोलन कांग्रेस के भीतर हलचल मच गई है, वहीं मंत्री शांडिल के अपने ही दामाद और भाजपा ने इस बयान पर कांग्रेस पर परिवारवाद थोपने का आरोप मढ़ दिया है।

 

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कांग्रेस में अंदरूनी खिंचतान

शांडिल की घोषणा के बाद कांग्रेस के कई पुराने और जमीनी कार्यकर्ताओं में नाराजगी देखी जा रही है। पार्टी के भीतर यह चर्चा आम हो गई है कि क्या कांग्रेस अब लोकतंत्र की बजाय परिवार विशेष की पार्टी बनकर रह जाएगी। राजनीतिक पर्यवेक्षक मानते हैं कि सोलन से टिकट की आस में वर्षों से मेहनत कर रहे स्थानीय नेता इस फैसले से हाशिये पर चले जाएंगे। पार्टी के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि अगर पार्टी के शीर्ष नेता खुद अपने बेटों को उत्तराधिकारी घोषित करने लगें, तो निचले स्तर के कार्यकर्ताओं की मेहनत और निष्ठा का क्या मूल्य रह जाएगा।

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दामाद से विरोध का तीखा स्वर

इस पूरे घटनाक्रम को और अधिक सनसनीखेज मंत्री धनी राम शांडिल के अपने ही दामाद और भाजपा नेता राजेश कश्यप के तीखे बयानों ने बना दिया है। राजेश कश्यप जो स्वयं दो बार शांडिल के खिलाफ सोलन से भाजपा उम्मीदवार रह चुके हैं और दोनों बार पराजित हुए हैं, ने इस घोषणा पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा कि यह लोकतंत्र नहीं, बल्कि मुगलशाही है। जैसे पुराने जमाने में राजा अपने बेटे को गद्दी सौंपते थे, वैसे ही अब सोलन में हो रहा है।

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उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्या 85 वर्ष के अनुभवी नेता बिना पारिवारिक दबाव के यह निर्णय ले सकते हैं। राजेश का दावा है कि यह फैसला कांग्रेस की आंतरिक लोकतांत्रिक व्यवस्था को चकनाचूर करता है और कार्यकर्ताओं की महत्वाकांक्षाओं का अपमान है।

वंशवाद बनाम राजनीतिक योग्यता की बहस

शांडिल का यह फैसला एक व्यापक विमर्श को जन्म दे रहा है कि क्या राजनीति में उत्तराधिकार केवल परिवार के भीतर सीमित रहना चाहिए या उसमें जनता, कार्यकर्ताओं और संगठनात्मक योग्यता का भी स्थान होना चाहिए। यह पहला मौका नहीं है जब कांग्रेस पर वंशवाद का आरोप लगा है। राष्ट्रीय स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक इस तरह के फैसले पार्टी को बार.बार कटघरे में खड़ा करते हैं। हिमाचल में इससे पहले भी कुछ बड़े नेता अपने बेटों को आगे बढ़ाते रहे हैं, लेकिन शांडिल जैसे वरिष्ठ मंत्री का इस प्रकार मंच से उत्तराधिकारी घोषित करना लोकतंत्र की भावना के खिलाफ माना जा रहा है।

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