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November 24, 2025

प्राकृतिक आपदा से टूट चुके हिमाचल की विश्व बैंक करेगा मदद, 650 करोड़ का भेजा प्रस्ताव

जल शक्ति विभाग को विश्व बैंक देगा 650 करोड़ की मदद

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शिमला। पिछले तीन सालों में हिमाचल प्रदेश ने कुदरत की मार को जिस तीव्रता से झेला है, वैसा दौर शायद ही कभी देखा गया हो। प्राकृतिक आपदाओं की एक लंबी श्रृंखला ने पहाड़ों की आत्मा तक को हिला दिया है। बादल फटने से लेकर बेकाबू बारिश, भूस्खलन और विनाशकारी बाढ़ तक हर वार ने प्रदेश की अर्थव्यवस्था और बुनियादी ढांचे को गहरे जख्म दिए हैं। हालात इतने भयावह रहे कि हिमाचल अब तक पूरी तरह अपनी पटरी पर लौट ही नहीं पाया। मगर इन घावों पर मरहम लगाने के लिए अब विश्व बैंक आगे आया है।

जल शक्ति विभाग को हुआ भारी नुकसान

हिमाचल में भारी बरसात और प्राकृतिक आपदा से प्रदेश के जल शक्ति विभाग को तीन साल में 4150 करोड़ का नुकसान हुआ है। प्राकृतिक आपदा से तीन साल में 46,917 करोड़ रुपए का नुकसान जल शक्ति विभाग को हो चुका है। यहां तक कि जल शक्ति विभाग की कई स्कीमें तो पूरी तरह से नदियों में बह गईं हैं। प्रदेश सरकार अपने स्तर पर इन स्कीमों की बहाली में जुटी हुई है। लेकिन इतने बड़े नुकसान से पार पाना किसी बड़ी जंग जीतने से कम नहीं है। इस साल भी जल शक्ति विभाग को 1291ण्51 करोड़ का नुकसान हुआ है। 

 

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650 करोड़ की करेगा मदद

राज्य सरकार ने विश्व बैंक से 650 करोड़ रुपये की विशेष सहायता की मांग करते हुए एक विस्तृत प्रस्ताव भेजा है। इसमें मानसूनी तबाही से प्रभावित क्षेत्रों का पूरा मूल्यांकन, परियोजनाओं की प्राथमिकता सूची और पुनर्निर्माण का खाका शामिल है।

 

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लोक निर्माण और बिजली बोर्ड को भी बड़ा नुकसान

जल शक्ति विभाग के अलावा लोक निर्माण विभाग और बिजली बोर्ड ने भी भारी क्षति दर्ज की है। सड़कों के कटाव, पुलों के टूटने और बिजली लाइनों के क्षतिग्रस्त होने से करोड़ों की हानि हुई है। प्रस्ताव में इन विभागों की प्रमुख आवश्यकताओं को भी शामिल किया गया है ताकि पुनर्निर्माण तेज गति से हो सके।

उप मुख्यमंत्री की समीक्षा के बाद भेजा गया प्रस्ताव

उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने विभागीय अधिकारियों के साथ विस्तृत बैठक कर हर प्रभावित परियोजना की समीक्षा की थी। उनकी मंजूरी के बाद ही यह प्रस्ताव विश्व बैंक को भेजा गया है। उप मुख्यमंत्री पहले भी केंद्रीय जल शक्ति मंत्री से मिलकर अतिरिक्त अनुदान की मांग रख चुके हैं। गौरतलब है कि 2023 में ही 2132 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था जबकि केंद्र सरकार से मात्र 100 करोड़ रुपये की सहायता मिली थी।

 

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विश्व बैंक मांगेगा स्पष्ट प्राथमिकताएं

जल शक्ति विभाग ने अपने प्रस्ताव में प्राथमिकताएं स्पष्ट करते हुए बताया है कि विश्व बैंक से मिलने वाली सहायता ऋण के रूप में होगी। 

प्रस्तुत योजना में शामिल है:-

  • प्रभावित क्षेत्रों का विस्तृत भू.मानचित्र
  • पुनर्निर्माण कार्यों की प्राथमिकताओं का क्रम
  • पर्यावरणीय और भौगोलिक जोखिमों का आकलन
  • दीर्घकालिक संरक्षण और आपदा प्रबंधन उपाय
  • सरकार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भविष्य में ऐसी परिस्थितियों से निपटने के लिए प्रदेश मजबूत ढांचा विकसित कर सके।

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सहायता मिलने पर तेज होगा पुनर्निर्माण कार्य

यदि विश्व बैंक से धनराशि स्वीकृत होती है, तो जल शक्ति विभाग को उम्मीद है कि क्षतिग्रस्त योजनाओं का पुनर्निर्माण तेज गति से होगा। इससे पीने के पानी, सिंचाई और अन्य बुनियादी सुविधाओं को स्थायी रूप से बहाल करने में मदद मिलेगी।

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