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May 6, 2025
दृष्टिबाधित का दुर्गम क्षेत्र में किया ट्रांसफर, बोला हिमाचल हाईकोर्ट- दिव्यांगों के साथ यह नहीं कर सकते
40% से ज्यादा दिव्यांगों का चुनौतीपूर्ण इलाकों में तबादला नहीं कर सकते
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शिमला। हिमाचल प्रदेश सरकार ने मानवीय संवेदनाओं को ताक पर रखते हुए एक दृष्टिबाधित का दुर्गम इलाके में ट्रांसफर कर दिया। इस पर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने रोक लगाते हुए साफ कर दिया कि 40% से ज्यादा दिव्यांगों का प्रदेश के दुर्गम पहाड़ी इलाकों में ट्रांसफर नहीं किया जा सकता।
कोर्ट ने मंगलवार को यह अहम फैसला सुनाते हुए सरकार को निर्देश दिया है कि 40 प्रतिशत से अधिक दिव्यांगता वाले कर्मचारियों को किसी भी सूरत में दुर्गम क्षेत्रों में ट्रांसफर न करें।
कोर्ट ने यह आदेश एक दृष्टिबाधित सरकारी कर्मचारी की याचिका पर दिया, जिसे रामपुर से दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र सरपारा ट्रांसफर कर दिया गया था। कोर्ट ने इस आदेश पर रोक लगाते हुए सक्षम प्राधिकारी को इस पर पुनर्विचार करने को कहा है। हाईकोर्ट का यह फैसला दिव्यांग कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा करता है।
हिमाचल हाईकोर्ट ने साफ कर दिया है कि सभी को रोजगार के समान अवसर प्रदान करने के लिए यह जरूरी है कि 40% से अधिक दिव्यांग कर्मचारियों को घर से दूर ट्रांसफर न किया जाए। कोर्ट ने माना कि याचिकाकर्ता दृष्टिबाधित हैं। उसक लिए दुर्गम पहाड़ी इलाके में काम करना रोजगार के समान अवसरों को चुनौती देने वाला है। इसी को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने याचिकाकर्ता के ट्रांसफर को रोक दिया है। यह फैसला दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम 2016 की धारा 2(आर) के अनुरूप है।
याचिकाकर्ता रामपुर के सरकारी स्कूल में शास्त्री शिक्षक थे। उन्होंने अपनी याचिका में दावा किया था कि उनका ट्रांसफर सरकारी नीति का उल्लंघन है। याचिकाकर्ता ने प्राधिकारी से आदेश रद्द करने की मांग की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। मजबूरन उन्हें हाईकोर्ट की शरण लेनी पड़ी।
राज्य सरकार का कहना था कि याचिकाकर्ता बीते 4 साल से एक ही क्षेत्र में पदस्थ है। उसने कभी दुर्गम क्षेत्र में नौकरी नहीं की, इसलिए उसका ट्रांसफर वैध है। लेकिन कोर्ट ने शिक्षा निदेशालय के इस तर्क को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि याचिकाकर्ता के दृष्टिबाधित होने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए थी। 40 प्रतिशत से अधिक दिव्यांगता वाले कर्मचारियों को विशेष संरक्षण मिलना चाहिए।
हिमाचल हाईकोर्ट का यह फैसला अन्य दिव्यांग कर्मचारियों के लिए मार्गदर्शक होगा। सरकार को अब स्थानांतरण नीति का सख्ती से पालन करना होगा। यह फैसला 2025 में दिव्यांग अधिकारों की दिशा में एक बड़ा कदम है। कोर्ट ने सुनिश्चित किया कि दिव्यांग कर्मचारियों की शारीरिक सीमाओं को ध्यान में रखा जाए।