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September 20, 2025

हिमाचल : धरती में समा रहा पूरा गांव, कई लोग घरों में फंसे- मदद के लिए पहुंचे सेना के जवान

गांव के 13 पक्के मकान बने खंडहर

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Thural Village

कांगड़ा। हिमाचल प्रदेश में इस साल का मानसून अपने अंतिम दौर में भी तबाही छोड़ने से पीछे नहीं हट रहा। भारी बारिश और लगातार बिगड़ते मौसम ने कांगड़ा जिले में ऐसा संकट खड़ा कर दिया है, जिसने पूरे क्षेत्र को दहशत में डाल दिया है

धंस गई गांव की जमीन

थुरल के पास स्थित बछवाई गरडेर गांव में जमीन अचानक धंस गई, जिससे देखते ही देखते 13 मकान पूरी तरह तबाह हो गए। इस घटना ने ग्रामीणों के सिर से छत छीन ली और प्रशासन को पूरे गांव को सील करना पड़ा।

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बर्बाद हुए कई मकान

बीती 15 सितंबर की रात तेज बारिश के बाद इलाके की जमीन धीरे-धीरे खिसकने लगी। ग्रामीणों के अनुसार पहले घरों की दीवारों में दरारें पड़ीं और देखते ही देखते पूरा क्षेत्र नीचे धंसता चला गया। सुबह होते-होते हालात इतने भयावह हो गए कि मकान एक-एक कर जमीन में समा गए।

दो हिस्सों में बंटी सड़कें

करीब एक किलोमीटर लंबा और 10 फीट तक धंसा हिस्सा अब खाई का रूप ले चुका है। वहीं, गांव से होकर गुजरने वाली सड़क में 11 से 15 फीट गहरी दरार पड़ गई है, जिसने इसे दो हिस्सों में बांट दिया।

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मदद के लिए पहुंची सेना

इस त्रासदी में सबसे बड़ी राहत यह रही कि ग्रामीण समय रहते अपने घर छोड़कर बाहर निकल आए, जिससे कोई बड़ा जनहानि नहीं हुई। हालांकि, कई परिवारों का सारा सामान मलबे और धंसी ज़मीन में फंस गया। ग्रामीण सुनीता ने बताया कि हमारा पूरा सामान घर के अंदर था। सेना ने मौके पर पहुंचकर हमें बाहर निकालने में मदद की, वरना सबकुछ खत्म हो जाता।

लोग बीमार और घायल भी...

स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने तुरंत गांव को खतरे की श्रेणी में डालकर सील कर दिया। राहत और बचाव अभियान में सेना को लगाया गया है। कर्नल अर्पित पारिक के नेतृत्व में सेना के जवान पीड़ित परिवारों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचा रहे हैं। मेडिकल टीम बीमार और घायल लोगों का इलाज कर रही है, वहीं ग्रामीणों के जरूरी सामान को सुरक्षित जगहों पर शिफ्ट किया जा रहा है।

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ग्रामीणों की दास्तान और डर

ग्रामीण ऊषा कुमारी की आंखों में अब भी दहशत साफ झलकती है। उन्होंने बताया कि रात को अचानक जमीन खिसकने लगी। हम जैसे-तैसे भागकर बाहर आए और सुबह तक मकान जमींदोज हो गया।

 

एक अन्य ग्रामीण ने बताया कि ना तो पहाड़ गिरे, ना भूस्खलन हुआ, लेकिन पूरा गांव जमीन में समा गया। यह मंजर हमने जीवन में पहली बार देखा है और अब भी डर बना हुआ है कि आसपास की जमीन और न धंस जाए।

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पूरा गांव बना छावनी

वर्तमान में बछवाई गरडेर गांव छावनी में तब्दील हो चुका है। सेना और प्रशासन लगातार राहत कार्य में जुटे हैं। इलाके में आवाजाही पूरी तरह रोक दी गई है ताकि कोई अप्रिय घटना न हो। अब सबसे बड़ी चुनौती प्रभावित परिवारों के पुनर्वास और सुरक्षित ठिकानों की है। ग्रामीणों को फिलहाल सेना और प्रशासन की मदद पर ही उम्मीद टिकी हुई है, लेकिन इस त्रासदी ने उनका जीवन पूरी तरह बदल दिया है।

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