#अपराध
September 20, 2025
हिमाचल : महिला पुलिस अफसर ने कांस्टेबल को जड़े थप्पड़, धक्के दे थाने से फेंका बाहर
अफसर के ड्राइवर ने भी बरसाए कांस्टेबल लात-घूंसे
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शिमला। हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला की पुलिस एक बार फिर विवादों में घिर गई है। इस बार मामला खुद पुलिस महकमे के भीतर का है, जहां एक जवान ने महिला अधिकारी और उसके ड्राइवर पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
पीड़ित पुलिस कॉन्स्टेबल का कहना है कि उसके साथ थाने परिसर के अंदर न केवल मारपीट की गई, बल्कि उसकी शिकायत तक दर्ज नहीं की गई। इस मामले के उजागर होने के बाद शिमला पुलिस फिर सवालों के घेरे में आ गई है।
मामला 17 सितंबर की रात का बताया जा रहा है। जानकारी के अनुसार, पीड़ित कॉन्स्टेबल अपने घरेलू विवाद को लेकर शिकायत दर्ज करवाने न्यू शिमला थाना पहुंचा था। आरोप है कि थाने में उसे करीब दो घंटे तक बिठाकर रखा गया। जब उसने सवाल किया कि उसकी शिकायत दर्ज क्यों नहीं की जा रही, तो महिला अधिकारी का ड्राइवर- जो कि होम गार्ड का जवान है, वहां आया और कॉन्स्टेबल को कॉलर पकड़कर थाने की निचली मंजिल में ले गया।
कॉन्स्टेबल का आरोप है कि जैसे ही कमरे का दरवाजा खुला, महिला अधिकारी ने उस पर थप्पड़ों की बरसात कर दी। इसके साथ ही ड्राइवर ने भी मारपीट की। घटना के बाद घायल जवान को थाने से बाहर धक्का देकर फेंक दिया गया।
पीड़ित जवान, जो कि पुलिस लाइन कैथू में तैनात है, किसी तरह लहूलुहान हालत में पुलिस लाइन वापस पहुंचा। वहां उसने नाइट मुंशी से मदद की गुहार लगाई, लेकिन उसे कोई सहयोग नहीं मिला। मजबूर होकर कॉन्स्टेबल खुद अस्पताल पहुंचा और अपना इलाज करवाया। इस मारपीट में उसके दाहिने कान, बाएं बाजू और शरीर के कई हिस्सों पर चोटें आईं।
अगले दिन यानी 18 सितंबर को घायल कॉन्स्टेबल बालूगंज थाना पहुंचा, लेकिन उसे बताया गया कि घटना न्यू शिमला क्षेत्र की है, इसलिए शिकायत वहीं दी जाए। इसके बाद उसने न्यू शिमला थाना में दो पन्नों की लिखित शिकायत सौंपी। शिकायत के आधार पर उसका शिमला के DDU अस्पताल में मेडिकल परीक्षण भी करवाया गया, जिसमें चोटों की पुष्टि हुई।
ASP शिमला, नवदीप सिंह ने मामले की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि घटना की जांच की जा रही है और मेडिकल रिपोर्ट का इंतजार है। साथ ही उन्होंने आश्वासन दिया कि इस पूरे मामले में निष्पक्ष कार्रवाई होगी और तथ्यों को सामने लाया जाएगा।
पुलिस महकमे के भीतर इस तरह का मामला सामने आने से न केवल जवानों का मनोबल प्रभावित हो रहा है, बल्कि शिमला पुलिस की छवि पर भी सवाल उठ रहे हैं। अब सबकी निगाहें इस जांच पर टिकी हैं कि आखिरकार पुलिस प्रशासन अपने ही जवान को न्याय दिलाने के लिए कितनी गंभीरता दिखाता है।