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April 22, 2025
हिमाचल: 16 साल बाद जिंदा लौटा फौजी जवान, पत्नी ने रची थी साजिश- यहां जानिए घर वापसी की कहानी
6 साल भारत के कई रेलवे स्टेशनों पर बिताया जीवन
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कांगड़ा। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के डैनक्वान गांव में एक ऐसा दृश्य सामने आया, जिसे देखकर लोगों की आंखें नम हो गईं और सवालों की बौछार भी शुरू हो गई। भारतीय सेना का जवान सुरेंद्र कुमार, जिसे 2020 में आधिकारिक रूप से मृत घोषित कर दिया गया था, 16 साल बाद अपने घर लौट आया है। उसकी वापसी ने प्रशासन, सेना, और स्थानीय समाज सभी को चौंका दिया है।
सुरेंद्र कुमार साल 1997 में महज 18 साल की उम्र में भारतीय सेना में एक गनर के तौर पर भर्ती हुए थे। 2006 में उनकी शादी पंजाब के पठानकोट जिले की मीना से हुई। लेकिन शादी के बाद से ही उनका दांपत्य जीवन तनाव से भरा रहा। वर्ष 2007 में दोनों गुजरात चले गए, जहां से एक बेटा भी हुआ। लेकिन 2008 में उनकी पत्नी अपने मायके लौट गई। यहीं से सुरेंद्र की मानसिक स्थिति बिगड़ने लगी।
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2009 में उन्होंने सेना की नौकरी छोड़ दी और अचानक लापता हो गए। परिवार को कोई सूचना नहीं दी। उनकी पत्नी ने नूरपुर थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई। लंबी चुप्पी के बाद, 2020 में सेना ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
सुरेंद्र के अनुसार, उन्होंने ये 16 साल भारत के कई रेलवे स्टेशनों और पार्किंग स्थलों पर गुज़ारे। महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान की गलियों में उन्होंने बिना नाम, बिना पहचान के एक खानाबदोश की जिंदगी जी। वो मानसिक अवसाद में थे और किसी से संपर्क में नहीं थे।
2024 में जब उनका मानसिक स्वास्थ्य थोड़ा सुधरा, तब उन्होंने फेसबुक पर अपने भाई को खोजा और पहला संपर्क किया। यही संपर्क उनके घर लौटने की पहली सीढ़ी बना।
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दिसंबर 2024 में सुरेंद्र ने कोर्ट में आत्मसमर्पण किया क्योंकि उन पर उनकी पत्नी की ओर से धारा 498A (दहेज उत्पीड़न) के तहत केस दर्ज था। कोर्ट ने उन्हें 42 दिनों की सजा दी, जिसे पूरा करने के बाद वो जनवरी 2025 में रिहा हुए और तब से वे अपने गांव में हैं।
सुरेंद्र की मां ने कहा, "हमें लगा था बेटा हमेशा के लिए चला गया... लेकिन भगवान ने उसे लौटा दिया।"
पिता ने पहले ही सेना से मिलने वाले किसी भी लाभ को ठुकरा दिया था। उन्होंने कहा था कि जब बेटा ही नहीं रहा तो सुविधाओं का क्या करें। अब जब बेटा लौटा है, तो वो पूरी तरह से शांत हैं — आंखों में न गुस्सा, न राहत... बस एक लंबी चुप्पी।
सुरेंद्र की पत्नी को सेना से पेंशन और अन्य सुविधाएं दी जा रही थीं। अब सवाल ये उठ रहा है कि:
- क्या वो सुविधाएं बंद होंगी?
- क्या सुरेंद्र को वापस सेना से संपर्क करना होगा?
- क्या कोई नई कानूनी कार्यवाही होगी?
सेना और प्रशासन की तरफ से इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
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डैनक्वान गांव में सुरेंद्र की वापसी सबसे बड़ा चर्चा का विषय है। पंचायत प्रतिनिधियों ने इसे “भगवान की कृपा” कहा है लेकिन प्रशासन अब इस मामले की जांच कर रहा है। सूत्रों के अनुसार, सेना भी इस पूरे मामले को दोबारा देखेगी — कि कैसे एक जवान को बिना ठोस प्रमाणों के मृत घोषित कर दिया गया और अब वह जीवित लौट आया है।