#विविध
February 24, 2025
योजनाओं का पैसा बैंक से निकालेगी सुक्खू सरकार, हजारों करोड़ का है खेल- यहां समझें
ट्रेजरी से पैसा निकालकर बैंकों में जमा करने वालों पर गिर सकती है गाज
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शिमला। हिमाचल प्रदेश में जन कल्याण की योजनाओं का अरबों रुपए विभागीय अनुमति से ट्रेजरी से निकालकर बैंकों में डाला गया है। यह गैरकानूनी काम उच्च शिक्षा निदेशालय और प्रारंभिक शिक्षा विभाग जैसे कई विभागों ने किया है। हिमाचल सरकार के वित्त विभाग का नियम कहता है कि बिना जरूरत के कोई भी विभाग ट्रेजरी से पैसा नहीं निकाल सकता। अब राज्य की सुक्खू सरकार उन अफसरों पर गाज गिरा सकती है, जिनकी अनुमति से विभागीय स्तर पर ट्रेजरी से पैसा निकाला गया और बैंकों में डाला गया है।
अभी तक जो जानकारी सामने आई है, उसके मुताबिक अकेले उच्च शिक्षा निदेशालय का 1000 करोड़ रुपए बैंकों में जमा है। यह योजनाओं का वह पैसा है, जिसका उपयोग नहीं हुआ।
प्रारंभिक शिक्षा विभाग का भी 100 करोड़ रुपए बैंकों में पड़ा है। कहीं इन पैसों की एफडी बनाई गई है, तो कहीं किसी अन्य योजना के तहत पैसा बैंक में रखा गया है।
सरकारी बैंकों में जमा राशि पर ब्याज मिलता है। एफडी पर भी बैंक ब्याज देती हैं। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि हजारों करोड़ रुपए के अनयूटिलाइज्ड फंड की जमा राशि पर ब्याज का पैसा किसके खाते में जाएगा ?
अगर हिमाचल सरकार के वित्त विभाग के नियम सरकारी योजनाओं को रोटेट करने की अनुमति नहीं देते तो फिर सरकार इसकी मंजूरी देने वाले अफसरों से क्या ब्याज का पैसा वसूल करने के आदेश देगी ? या फिर उनके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की जाएगी ?
हिमाचल सरकार ने वित्त विभाग से उन सभी विभागों के बारे में 10 मार्च को बजट सत्र से पहले रिपोर्ट मांगी है, जिनका अनयूटिलाइज्ड फंड बैंकों में जमा है। बताया जाता है कि यह रकम हजारों करोड़ में है।
सरकार के इस कदम के पीछे मंशा यही है कि आर्थिक तंगी को देखते इन विभागों के अनयूटिलाइज्ड फंड को अन्य योजनाओं में इस्तेमाल किया जा सके। लेकिन मूल सवाल वित्तीय अनुशासन, नियम-कानूनों के अमल और सरकारी विभागों की मनमानी का बना ही रहेगा, जिनकी बदौलत वर्षों से योजनाओं का अनयूटिलाइज्ड फंड बैंकों में जमा है और लोगों को योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है।