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July 5, 2025

हिमाचल : मलबे में दफन हुए माता-पिता और दादी, सिर्फ 11 महीने की मासूम निकिता बची जिंदा

नाले का बढ़ता जलस्तर देख, माता-पिता और दादी गए थे घर से बाहर

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Nikita

मंडी। हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले की सराज घाटी में आई विनाशकारी आपदा ने न जाने कितने घरों को उजाड़ा, लेकिन परवाड़ा गांव की मासूम निकिता की कहानी उन सभी त्रासदियों के बीच एक दर्दनाक प्रतीक बन गई है। 30 जून की काली रात जब बादल सराज की पहाड़ियों पर कहर बनकर बरसे, तब किसी को अंदाजा नहीं था कि एक 11 महीने की बच्ची की पूरी दुनिया उसी मलबे में दफन हो जाएगी।

त्रासदी में अनाथ हुई मासूम

इस त्रासदी ने 11 महीने की निकिता को अनाथ कर दिया है। इस आपदा में उसके माता-पिता और दादी मलबे में बह गए। निकिता के पिता का शव मलबे से बरामद कर लिया गया है। मगर मां और दादी अभी भी लापता हैं।

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नाले का बढ़ने लगा जलस्तर

बताया जा रहा है कि परवाड़ा गांव निवासी रमेश, उसकी पत्नी राधा और मां पूर्णो देवी- घर के पीछे बहते नाले का जलस्तर बढ़ता देख निकिता को अंदर सुलाकर पानी के बहाव को मोड़ने की कोशिश में बाहर चले गए। मगर प्रकृति का प्रहार इतना तेज था कि कुछ ही पलों में पानी का सैलाब आया और तीनों उसमें बह गए।

घर और मासूम बच गई

उनका घर तो बच गया, लेकिन उस घर में सिर्फ एक मासूम चीखती हुई रह गई—निकिता। जब गांव वालों ने मलबा हटाया और घर की तलाशी ली तो भीतर सुरक्षित पड़ी निकिता मिल गई।

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बुआ कर रही देखभाल

11 महीने की यह नन्हीं बच्ची जिंदा तो थी, लेकिन पूरी तरह अनाथ हो चुकी थी। फिलहाल, उसकी देखभाल उसकी बुआ तारा देवी कर रही हैं- जो अपने भाई-भाभी और मां को खोने का दुख एक तरफ रख कर बच्ची की देखरेख करने में लगी हुई है।

एक शव बरामद, दो अब भी लापता

फिलहाल, मलबे से रमेश का शव बरामद कर लिया गया है, लेकिन उसकी पत्नी राधा और मां पूर्णो देवी अब भी लापता हैं। स्थानीय प्रशासन की टीमें तलाशी अभियान में जुटी हुई हैं। बच्ची की तरफ देख कर हर किसी के मन में दया का भाव है। लोगों का कहना है कि कुदरत बच्ची पर मेहरबान रही, लेकिन इस आपदा में उसकी पूरी दुनिया उजड़ गई।

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बच्ची को देख भावुक हुई SDM

वहीं, SDM गोहर का अतिरिक्त कार्यभार संभाल रहीं अधिकारी स्मृतिका नेगी भी इस हृदयविदारक दृश्य को देखकर भावुक हो गईं। वे बच्ची से मिलने के लिए कई बार मौके पर गईं और उन्होंने बताया कि "बच्ची बहुत ही प्यारी है, और कई लोग उसे गोद लेने की इच्छा जता चुके हैं। लेकिन फिलहाल वह अपनी बुआ की देखरेख में है।"

माता-पिता को ढूंढ रही मासूम

निकिता को शायद अभी इस बात का अंदाजा नहीं कि उसकी दुनिया बदल चुकी है। वह गोद में मुस्कुराने की कोशिश तो करती है, लेकिन बच्ची अपने माता-पिता को ढूंढ रही है। जब उसे अधिकारी गोद में उठाते हैं तो वह आसपास के चेहरों को निहारती है- उनमें से कोई भी चेहरा उसका अपना नहीं है।

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बच्ची पर कुदरत महरबान

आज निकिता सिर्फ एक बच्ची नहीं, बल्कि हिमाचल की उस विनाशकारी त्रासदी की जीवित तस्वीर है, जिसने न जाने कितने घरों को उजाड़ा। वह उस मूक पीड़ा की गवाह है जिसे मलबा भी पूरी तरह दबा नहीं सका। उसकी आंखों में एक ऐसा सूनापन है, जो शब्दों से नहीं, सिर्फ महसूस किया जा सकता है। बच्ची पर कुदरत महरबान रही और उसकी जान बच गई।

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