#विविध
July 5, 2025
हिमाचल फ्लड ने बदला कई गांव का नक्शा, दर-दर भटक रहे लोग- मलबे में अपनों की तलाश जारी
लोगों की आंखों के सामने मलबे का ढेर बने उनके घर
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मंडी। हिमाचल प्रदेश की सराज घाटी इस समय अपने इतिहास की सबसे भयावह आपदा से गुजर रही है। मंडी जिले के थुनाग और जंजैहली क्षेत्रों में हुई भारी बारिश और भूस्खलन ने तबाही का ऐसा मंजर छोड़ा है कि अब इन इलाकों को पहचान पाना भी मुश्किल हो गया है।
गांव के गांव मलबे में बदल चुके हैं। कभी हरे-भरे सेब और मटर के खेतों से पहचान रखने वाले ये इलाके अब टूटे मकानों, बही ज़मीन और लापता लोगों की कहानियां सुना रहे हैं।जंजैहली के बूंगरैल चौक के लोगों के आशियाने उनकी आंखों के सामने मलबे में तब्दील हो गए।
ग्रामीणों ने किसी तरह अपनी जान बचाई। जब पानी और मलबे का बहाव अचानक बढ़ा, तो वे घरों से भागकर खुले स्थानों की ओर दौड़े। अब हालात ऐसे हैं कि लोग अपने घरों के निशान तलाश रहे हैं- जहां कभी चूल्हा जलता था, वहां अब सिर्फ पत्थर और कीचड़ है।
चिऊणी पंचायत की मटर वैली में हालात और भी डरावने हैं। यहां हरीराम का पूरा मकान बाढ़ में बह गया, जबकि छह अन्य घर गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं। ग्रामीण खुले आसमान के नीचे या रिश्तेदारों के पास शरण लिए हुए हैं। मजडवार गांव में मोहर सिंह के मकान के सामने की जमीन पूरी तरह बह चुकी है। लोगों के सिर पर हर वक्त मौत का साया मंडरा रहा है।
पंचायत प्रधान इंद्र सिंह के अनुसार क्षेत्र की करीब 80 प्रतिशत उपजाऊ भूमि भूस्खलन में समा चुकी है, जिससे आने वाले समय में खेतीबाड़ी पर भी बड़ा संकट मंडरा रहा है। डेजी गांव की स्थिति और भी भयावह है। यहां घरों के साथ-साथ करीब 11 लोग लापता हैं।
शुक्रवार को जब प्रशासन की राहत टीम गांव में पहुंची, तो लोग भावुक हो उठे। आंखों में आंसू, दिलों में उम्मीद और अपनों की तलाश में गांव वाले खुद ही मलबा हटाने में जुटे हैं। थुनाग और आसपास के क्षेत्रों में दिनभर लोग मलबे में अपनों की तलाश करते हैं और शाम को किसी राहत शिविर में सिर छुपाते हैं। लेकिन शिविरों में भी नींद आंखों से कोसों दूर है।
हर रात डर बना रहता है कि कहीं फिर से जलजला न आ जाए। मौसम विभाग ने एक बार फिर भारी बारिश की चेतावनी जारी कर दी है, जिससे लोगों की चिंता और बढ़ गई है। सराज घाटी की यह आपदा न सिर्फ घरों की दीवारें गिरा गई, बल्कि लोगों के सपनों, वर्षों की मेहनत और भविष्य की उम्मीदों को भी मलबे में दबा गई है। अब जरूरत है ठोस राहत, त्वरित पुनर्वास और उस मानवता की, जो ऐसे कठिन वक्त में इंसान को इंसान से जोड़ती है।