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September 20, 2025
हिमाचल के आपदा पीड़ितों को केंद्र की मोदी सरकर ने दी बड़ी राहत, की ये बड़ी घोषणा
केंद्र ने मनरेगा के तहत बढ़ाए 50 दिन अब 150 दिन का मिलेगा रोजगार
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शिमला। हिमाचल प्रदेश इस वर्ष प्राकृतिक आपदा भीषण मार झेल रहा है। प्रदेश में हुई भारी बारिश ने जहां कई लोगों को मौत की नींद सुला दिया। वहीं हजारों लोगों को बेघर कर दिया। लोगों के खेत खलिहान सब बर्बाद हो गए। कई लोगों का रोजगार खत्म हो गया। ऐसे में अपने रोजगार से हाथ धो चुके ग्रामीणों के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने एक बड़ी राहत की घोषणा की है।
केंद्र सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के अंतर्गत हिमाचल प्रदेश के सभी जिलों में रोजगार की अवधि को 100 दिनों से बढ़ाकर 150 दिन करने का निर्णय लिया है। यह निर्णय आपदा की गंभीरता को देखते हुए लिया गया है, जिससे राज्य के हजारों प्रभावित परिवारों को आर्थिक सहारा मिल सके।
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मानसून सीजन में हिमाचल प्रदेश में प्रकृति का कहर कुछ इस तरह टूटा कि सामान्य जनजीवन पूरी तरह अस्त.व्यस्त हो गया। आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष प्रदेश में 45 बादल फटने, 91 फ्लैश फ्लड और 105 से अधिक भूस्खलन की घटनाएं दर्ज की गईं। इन आपदाओं में अब तक 845 घर पूरी तरह तथा 3,254 घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। 780 से अधिक सड़कें और 360 पेयजल योजनाएं अब भी बाधित हैं।
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खेती-बाड़ी नष्ट होने से ग्रामीणों की आजीविका पर सीधा असर पड़ा है। हजारों लोग जो खेती या इससे जुड़े कार्यों पर निर्भर थे, अब बेरोजगार हो चुके हैं। ऐसे में मनरेगा के अंतर्गत अतिरिक्त 50 दिन का रोजगार उनके लिए राहत की किरण लेकर आया है। आपदा में अपना सब कुछ खो चुके लोग मनरेगा में काम कर अपने परिवार का गुजर बसर कर सकेंगे।
विशेषज्ञों का मानना है कि मनरेगा का यह विस्तार न केवल प्रभावित परिवारों को आर्थिक रूप से मजबूत करेगा, बल्कि आपदा से बर्बाद हुए बुनियादी ढांचे को फिर से खड़ा करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों की मरम्मत, जल स्रोतों की सफाई और नालियों के निर्माण जैसे कार्यों को प्राथमिकता दी जाएगी। प्रदेश सरकार की मांग पर केंद्र सरकार ने यह निर्णय लिया है। वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए यह व्यवस्था लागू रहेगी और इसकी लागत केंद्र व राज्य सरकार मिलकर वहन करेंगे। आधिकारिक आदेश के अनुसार 50 प्रतिशत खर्च पंचायतों को वहन करना होगा, जिससे स्थानीय भागीदारी सुनिश्चित हो सके।
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मनरेगा सॉफ्टवेयर को भी संशोधित किया जा रहा है ताकि 150 दिन तक के रोजगार का रिकॉर्ड पारदर्शी रूप से दर्ज हो सके। अतिरिक्त 50 दिनों का खर्च अलग से दर्शाया जाएगा और इसके लिए सोशल ऑडिट, मस्टर रोल और अन्य प्रक्रियाएं पहले की तरह लागू रहेंगी। केंद्र सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस राहत योजना का लाभ वास्तविक ज़रूरतमंदों तक पहुंचे, इसके लिए ग्राम पंचायतों की जिम्मेदारी तय की गई है।
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प्रदेश आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने सभी विभागों को निर्देश दिया है कि राहत और पुनर्वास कार्यों को युद्धस्तर पर अंजाम दिया जाए। पीडब्ल्यूडी, जलशक्ति विभाग, और बिजली बोर्ड को बुनियादी सेवाएं बहाल करने के निर्देश दिए गए हैं, वहीं मोबाइल नेटवर्क और टेलीफोन सेवाओं को जल्द से जल्द सामान्य करने के प्रयास किए जा रहे हैं।