#विविध
November 13, 2025
हिमाचल : दिन में डिलीवरी बॉय, शाम में जिम जाकर बहाया पसीना- चपरासी के बेटे ने कमाया नाम
ओजस ने चार महीने में जीते 3 बड़े खिताब- युवाओं के लिए बना मिसाल
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सिरमौर। दिन में रोटी की चिंता, रात में डंबल का साथ, दिल में आग थी, आंखों में जीत की बात। हर गिरावट को सीढ़ी बनाया उसने। यह शब्द बखूबी चरितार्थ करते हैं हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के बेटे ओजस कश्यप के जीवन को।
नाहन शहर के 22 वर्षीय युवक ओजस कश्यप ने यह साबित कर दिखाया है कि सच्चा हौसला हालात का मोहताज नहीं होता। सीमित संसाधनों और साधारण पारिवारिक पृष्ठभूमि से आने वाले इस युवा ने महज चार महीनों में तीन बड़े बॉडीबिल्डिंग खिताब अपने नाम कर लिए।
दिन में डिलीवरी बॉय का काम करने वाला ओजस शाम ढलते ही जिम में पसीना बहाता है और यही अनुशासन उसे आज एक नई ऊंचाई तक ले आया है। ओजस आज सिर्फ अपने इलाके के ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश के युवाओं के लिए प्रेरणा बन गया है।
8 नवंबर को देहरादून में आयोजित एनपीसी शेरु क्लासिक प्रतियोगिता में ओजस ने शानदार प्रदर्शन करते हुए खिताब अपने नाम किया। यह अब तक की उनकी सबसे बड़ी जीत मानी जा रही है, जिसने उन्हें राष्ट्रीय मंच पर पहुंचने का मौका दिलाया है।
इससे पहले ओजस ने मिस्टर सिरमौर और मिस्टर हिमाचल के खिताब भी जीतकर अपनी पहचान मजबूत की थी। लगातार तीन प्रतियोगिताओं में विजेता बनने से उन्होंने साबित कर दिया कि अगर मन में लगन हो तो कोई बाधा रास्ता नहीं रोक सकती।
ओजस का दिन सुबह-सुबह डिलीवरी बॉक्स के साथ शुरू होता है। पूरे दिन वह नाहन शहर की गलियों में पार्सल पहुंचाने का काम करता है- जिससे घर की आर्थिक मदद हो सके। शाम को वह सीधे जिम पहुंचता है, जहां वह घंटों मेहनत और अभ्यास करता है।
ओजस के पिता बाबूराम कश्यप आर्मी स्कूल में चपरासी हैं, जबकि मां तारा देवी साईं हॉस्पिटल में क्लास-फोर कर्मचारी हैं। परिवार की आमदनी सीमित है, लेकिन ओजस ने कभी अपने हालात को कमजोरी नहीं बनने दिया।
जैसा कि हम सब जानते हैं कि बॉडीबिल्डिंग एक महंगा खेल है- डाइट, सप्लीमेंट्स, ट्रेनिंग और प्रतियोगिता शुल्क पर भारी खर्च आता है। लेकिन ओजस ने इन चुनौतियों को अपनी राह की दीवार नहीं बनने दिया। कई बार उन्होंने खर्च पूरे करने के लिए अतिरिक्त डिलीवरी शिफ्ट्स कीं, ताकि जिम और प्रतियोगिता की तैयारियों में कमी न रहे।
ओजस के कोच दिव्यांश बैरागी ने उनकी प्रतिभा को शुरुआत से ही पहचान लिया था। दिव्यांश का कहना है कि ओजस जैसे समर्पित खिलाड़ी दुर्लभ होते हैं- वह हर दिन थका हुआ आता है, लेकिन मेहनत में कभी ढिलाई नहीं करता। उसकी आंखों में हमेशा एक ही सपना होता है- हिमाचल का नाम रोशन करना।
देहरादून में एनपीसी शेरु क्लासिक जीतने के बाद अब ओजस का चयन मुंबई में होने वाली प्रो शेरु क्लासिक प्रतियोगिता के लिए हो गया है। यह ओजस के करियर का सबसे बड़ा मंच होगा। अगर यहां वह शानदार प्रदर्शन करता है, तो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनका रास्ता खुल सकता है।
ओजस की इस यात्रा ने नाहन और पूरे सिरमौर में प्रेरणा की लहर जगा दी है। स्थानीय युवाओं का कहना है कि वह सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं, बल्कि संघर्ष की जीती-जागती मिसाल हैं। अब उम्मीद है कि सरकार, खेल विभाग और समाज के लोग मिलकर उन्हें आर्थिक सहयोग देंगे, ताकि वह आगे की प्रतियोगिताओं में बिना किसी बाधा के हिस्सा ले सकें।
अपनी जीत के बाद ओजस ने कहा कि सपने वही पूरे होते हैं, जिनके लिए आप दिन-रात एक कर देते हैं। हालात मुश्किल जरूर थे, लेकिन मैंने कभी खुद पर भरोसा खोया नहीं। उनकी यह बातें आज के युवाओं को यह सिखाती हैं कि कड़ी मेहनत और धैर्य हर मुश्किल को मात दे सकते हैं।