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August 31, 2025
हिमाचल: NHAI ने इस फोरनेल को जारी किए 100 करोड़ रुपए, सुरंग-फ्लाईओवर से होगा पुनर्निर्माण
भूस्खलन और ब्यास की लहरों से क्षतिग्रस्त हो गया है फोरनेल
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मंडी। हिमाचल प्रदेश में लगातार हो रही भारी बारिश ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। विशेषकर कीरतपुर.मनाली फोरलेन सबसे अधिक तबाही की चपेट में आ गई है। जगह-जगह भूस्खलन और उफनती ब्यास नदी ने इस महत्वपूर्ण मार्ग को भारी क्षति पहुंचाई है। नदी के तेज बहाव और भूस्खलन के चलते फोरलेन के कई हिस्से पूरी तरह ध्वस्त हो चुके हैं। सड़कें दरक गई हैं, पुल टूट गए हैं और मनाली का राज्य के अन्य हिस्सों से संपर्क लगभग कट गया है।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने इस फोरलेन को फिर से सुरक्षित और स्थायी रूप से बहाल करने के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। प्राधिकरण अब इस मार्ग पर सुरंगों और फ्लाईओवरों का निर्माण करेगा, ताकि भविष्य में प्राकृतिक आपदाओं से इसे सुरक्षित रखा जा सके। इसके लिए एनएचआई ने इस फोरलेन के लिए 100 करोड़ जारी करने का फैसला लिया है।
एनएचएआई अध्यक्ष संतोष कुमार यादव ने मंडी से मनाली तक के क्षतिग्रस्त हिस्सों का बारीकी से मूल्यांकन करने के बाद यह निर्णय लिया है। उन्होंने क्षेत्रीय कार्यालय शिमला, मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों और फील्ड टीमों के साथ विशेष बैठक कर स्थायी समाधान के निर्देश दिए हैं। इस योजना के तहत चार मील और सात मील जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में सुरंगों के निर्माण की योजना बनाई गई है, जिसका प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया है।
आपदा से हुए नुकसान की भरपाई के लिए एनएचएआई ने आपातकालीन तौर पर 100 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की है। इसमें से 40 करोड़ पहले ही स्वीकृत किए जा चुके थे, जबकि शेष 60 करोड़ की स्वीकृति हाल ही में दी गई है। इस राशि से फोरलेन के उन हिस्सों की त्वरित मरम्मत करवाई जाएगी जहां यातायात पूरी तरह बाधित है।
विशेष रूप से कुल्लू और मनाली खंड में हालात बेहद गंभीर हैं। जानकारी के अनुसार, इस फोरलेन के 10 से अधिक हिस्से पूरी तरह ब्यास नदी में समा गए हैं, जबकि 6 से ज्यादा स्थानों पर आंशिक क्षति हुई है। लोक निर्माण विभाग द्वारा बनाए गए वैकल्पिक मार्ग को भी नुकसान पहुंचा है, जिसके चलते इस समय केवल छोटे वाहनों को ही वहां से डायवर्ट किया जा रहा है।
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एनएचएआई ने फोरलेन की स्थायी बहाली के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसमें सुरंगों के निर्माण, ऊंचे संरचनात्मक ढांचे, फ्लाईओवर और ढलानों के स्थिरीकरण जैसे तकनीकी उपाय शामिल किए जा रहे हैं। रिपोर्ट के आधार पर ऐसे दीर्घकालिक कदम उठाए जाएंगे, जिससे भविष्य में बारिश या बाढ़ जैसी आपदाओं का असर कम से कम हो।
एनएचएआई ने क्षेत्रीय कार्यालय को आवश्यक धनराशि तुरंत जारी कर दी है और अनुबंधकर्ताओं को युद्धस्तर पर बहाली कार्य में लगाया गया है। इसके अलावा, प्रदेश सरकार के लोक निर्माण विभाग को भी वैकल्पिक मार्गों की त्वरित मरम्मत के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाई जा रही है।