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September 2, 2025
हिमाचल के मंदिरों में समृद्धि का खजाना: 4 अरब से अधिक की नकदी जमा; जानें किसके पास सबसे अधिक
विधानसभा में डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने दी जानकारी
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शिमला। हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध मंदिर न केवल आस्था के केंद्र हैं, बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी बेहद समृद्ध हैं। प्रदेश सरकार द्वारा अधिग्रहित 36 प्रमुख मंदिरों के पास बैंक खातों में कुल ₹4 अरब से अधिक की नकद जमा राशि है। यह जानकारी हाल ही में हिमाचल विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान एक अतारांकित प्रश्न के उत्तर में सामने आई है।
सरकारी जवाब के अनुसार, इस जमा राशि में सोना, चांदी और आभूषण जैसी संपत्ति शामिल नहीं है। अकेले मां चिंतपूर्णी मंदिर के पास ही एक कुंतल (100 किलो) सोना जमा बताया गया है, जबकि मां नयना देवी मंदिर के पास 55 किलो से अधिक सोना है।
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मां चिंतपूर्णी मंदिर प्रदेश का सबसे धनी मंदिर है, जिसके बैंक खातों में ₹100 करोड़ से अधिक की रकम जमा है। इसके बाद मां नयना देवी मंदिर आता है, जिसकी जमा पूंजी ₹98.82 करोड़ से भी अधिक है। अन्य प्रमुख मंदिरों की जमा राशि इस प्रकार है:
ये आंकड़े दर्शाते हैं कि हिमाचल के मंदिर केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि आर्थिक रूप से भी राज्य की प्रमुख संस्थाएं हैं।
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हिमाचल प्रदेश की सरकार द्वारा संचालित सीएम सुख आश्रय योजना और सीएम सुख शिक्षा योजना को मंदिर ट्रस्टों ने खुले दिल से सहयोग दिया है। डिप्टी सीएम द्वारा विधानसभा में दिए गए विवरण के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में इन योजनाओं को मंदिरों की ओर से ₹3.66 करोड़ की राशि दी गई है। यह सहयोग स्वेच्छा से दिया गया है और पूरी प्रक्रिया पारदर्शिता के साथ नियमों के तहत संपन्न हुई है। इस राशि का उपयोग जरूरतमंद बच्चों की शिक्षा, अनाथ बच्चों के पालन-पोषण और साधनहीन परिवारों की बेटियों की शादी जैसे कार्यों में किया जा रहा है।
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सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार इन मंदिर ट्रस्टों ने सरकार की योजनाओं में सबसे अधिक सहयोग दिया:
सरकार द्वारा अधिग्रहित मंदिर केवल पूंजी संचय तक सीमित नहीं हैं, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी निभाने में भी आगे हैं। इन मंदिरों की संपत्ति से जरूरतमंदों की मदद की जाती है, जिससे धर्म और सेवा का एक सुंदर संगम सामने आता है। यह कदम धार्मिक संस्थानों की सामाजिक भागीदारी का सकारात्मक उदाहरण है और यह दिखाता है कि मंदिर केवल आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि समाज के उत्थान में भी सक्रिय भागीदार बन सकते हैं।
हिमाचल प्रदेश के मंदिर न केवल श्रद्धा का प्रतीक हैं, बल्कि उनकी आर्थिक संपन्नता का उपयोग जरूरतमंदों की सहायता और सामाजिक कल्याण में किया जा रहा है। आने वाले समय में यदि इन मंदिरों की समृद्धि को और बेहतर तरीके से सामाजिक भलाई के लिए प्रयोग में लाया जाए, तो यह एक आदर्श मॉडल बन सकता है जिसे अन्य राज्यों द्वारा भी अपनाया जा सकता है।