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June 4, 2025
हिमाचल: दुल्हन बन पत्नी ने शहीद पति को किया विदा, मां करती रही सलाम- छोटे भाई ने दी मुखाग्नि
घर जल्दी आने का किया था वादा- तिरंगे में लिपटकर लौटा
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सिरमौर। हिमाचल का एक और जवान देशभूमि की रक्षा करते हुए शहीद हुआ है। सिरमौर जिला के तहत आते बड़बन गांव के मनीष ठाकुर सिक्किम में शहीद हुए। जैसे ही उनका पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव पहुंचा तो वहां उमड़ी भीड़ देह को देख जोर-जोर से चिल्लाने लगी।
बता दें कि मनीष की अभी 3 महीने पहले ही शादी हुई थी। ऐसे में उनकी पत्नी के हाथों से अभी शादी का चूड़ा भी नहीं छूटा था। उन्होंने दुलहन बन लाल सूट पहन, हाथ में चूड़ा लगा अपने पति को अंतिम विदाई दी है। वहीं, मां अपने बेटे का शव देख उसे बार बार सलाम करती दिखी। उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा था कि जिस बेटे ने उनसे वापस आने का वादा किया था, वह तिरंगे में वापस लौटा है।
शहीद मनीष का एक छोटा भाई भी है- जिसने अपने बड़े भाई को मुखाग्नि दी। पूरा क्षेत्र परिवार का दुख देख गम में डूब चुका है। वहीं, राजकीय सम्मान के साथ शहीद को उनके पैतृक गांव में अंतिम विदाई दी गई है।
बताते चलें कि मनीष की देह जैसे ही नाहन पहुंची तो स्थानीय युवकों द्वारा बाइक पर सवार होकर तिरंगा यात्रा निकाली गई। जगह-जगह लोगों ने सड़क पर खड़े होकर पार्थिव देह पर फूल बरसाए। वहीं ये तिरंगा यात्रा शहीद के गांव बड़ाबन तक पहुंची।
बताया जा रहा है कि सिक्किम में खराब मौसम होने के कारण मनीष का पोस्टमार्टम नहीं हो पाया था। ऐसे में पार्थिव देह घर पहुंचने में दिक्कत हो रही थी। अब कल पोस्टमार्टम करवाने के बाद मनीष और एक और शहीद की पार्थिव देह को एयरक्रॉप्ट किया गया। आज पार्थिव देह के गांव पहुंचते ही पूरा गांव वीर जवान अमर रहे और भारत माता की जय के नारों के साथ गूंज उठा।
मनीष नाहन उपमंडल के बड़ाबन गांव के रहने वाले थे। मनीष की शहादत की खबर मिलते ही परिजनों में चीख-पुकार मच गई। जबकि, पूरे गांव में माहौल गमगीन बना हुआ है। आस-पड़ोस के लोग, रिश्तेदार और जान-पहचान के लोग परिजनों को ढांढस बांधने पहुंच रहे हैं। मनीष की नविवाहिता बेसुध हो गई है। तीन महीने पहले ही मनीष उन्हें व्याह कर घर लाए थे।
वर्तमान में मनीष ठाकुर सिक्किम में बतौर लांस नायक थ्री-डोगरा युनिट में अपनी सेवाएं दे रहे थे। 27 वर्षीय मनीष ने ड्यूटी निभाते हुए वीरगति हासिल की है। माना जा रहा है कि मनीष की जान भीषण बाढ़ या भूस्खलन जैसे कठिन परिस्थितियों के कारण हुई है। बीती शाम को मनीष सिक्किम के छत्ते गांव में ड्यूटी पर तैनात थे। शाम करीब 7.30 बजे एवलांच की चपेट में आ गए।
मनीष का जन्म 15 जनवरी, 1998 को नाहन के बड़ाबन गांव में हुआ था। मनीष साल 2016 में सेना में भर्ती हुए थे। भर्ती होने के महज 8 साल 8 महीने के बाद मनीष देश सेवा करते हुए शहीद हो गए। मनीष की इसी साल 6 मार्च को शादी हुई थी। मनीष ने 10 अप्रैल को ही वापस ड्यूटी ज्वाइन की थी। मनीष के पिता जोगिंदर सिंह मजदूरी करते हैं। बेटे की शहादत ने पिता को जहां एक तरफ झकझोर कर रख दिया है। वहीं, उन्हें अपने बेटे की शहादत पर बहुत गर्व भी है। वहीं, मनीष की मां और पत्नी ये मानने को तैयार ही नहीं है कि अब मनीष उनके बीच नहीं रहे हैं।
मनीष की शहादत के बाद परिजन सदमे में है। परिजनों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। मनीष अपने पीछे पत्नी तनु, माता-पिता और छोटा भाई छोड़ गए हैं।मनीष का छोटा भाई अभी पढ़ाई कर रहा है। मनीष की शहादत के बाद उनकी पत्नी और मां का रो-रो कर बुरा हाल है। दोनों मनीष को याद कर बार-बार बेसुध हो रही हैं। जिन हाथों से अभी मेहंदी का रंग भी नहीं छूटा था- उसी सुहागन का आज सुहाग उजड़ गया है।
परिजनों ने बताया कि मनीष ने अपनी मां के कहने पर शादी की थी। अभी जब वो अप्रैल में छुट्टी से वापस ड्यूटी पर गया था- तो उसने अपनी पत्नी तनु और मां से वादा किया था कि वो जल्द ही घर वापस आएगा। मगर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। अब मनीष तिरंगे में लिपटा घर लौटा है- जिसे देखकर मां और पत्नी बेसुध हो गई।
आपको बता दें कि बीते रविवार शाम करीब 7 बजे सिक्किम मिलिट्री कैंप भारी बारिश के बाद लैंडस्लाइड की चपेट में आ गया था। जिसकी चपेट में वहां मौजूद तीन जवान आ गए। जबकि, 4 लोगों को मलबे में से जिंदा भी बाहर निकाला गया।