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June 4, 2025

हिमाचल : घर पहुंची शहीद की पार्थिव देह, तिरंगे में लिपटे मनीष को देख बेसुध हुई मां और पत्नी

आखिरी बार मां से फोन पर किया था जल्द घर आने का वादा

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Martyr Manish Thakur

सिरमौर। हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में वीरगति हासिल करने वाले मनीष ठाकुर की पार्थिव देह घर पहुंच गई है। मनीष के परिजन रविवार से बेटे के घर लौटने का इंतजार कर रहे हैं ताकि वो आखिरी बार अपने लाडले को जी भर के निहार सकें। पार्थिव देह के गांव पहुंचते ही पूरा गांव वीर जवान अमर रहे और भारत माता की जय के नारों के साथ गूंज उठा।

मौसम बन रहा बाधा

बताया जा रहा है कि सिक्किम में खराब मौसम होने के कारण मनीष का पोस्टमार्टम नहीं हो पाया था। ऐसे में पार्थिव देह घर पहुंचने में दिक्कत हो रही थी। अब कल पोस्टमार्टम करवाने के बाद मनीष और एक और शहीद की पार्थिव देह को एयरक्रॉप्ट किया गया।

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आज होगा मनीष का अंतिम संस्कार

सेना के अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि पहले यूपी के शहीद की देह को उतारा गया। फिर मनीश की देह चंडीगढ़ पहुंची- जहां से आज सेना की टुकड़ी ने शहीद मनीष की पार्थिव देह को उनके पैतृक गांव लाया गया है। यहां पर कुछ देर घर पर रखने के बाद मनीष का सैन्य सम्मान का अंतिम संस्कार किया जाएगा।

एक और जवान शहीद

मनीष नाहन उपमंडल के बड़ाबन गांव के रहने वाले थे। मनीष की शहादत की खबर मिलते ही परिजनों में चीख-पुकार मच गई। जबकि, पूरे गांव में माहौल गमगीन बना हुआ है। आस-पड़ोस के लोग, रिश्तेदार और जान-पहचान के लोग परिजनों को ढांढस बांधने पहुंच रहे हैं। मनीष की नविवाहिता बेसुध हो गई है। तीन महीने पहले ही मनीष उन्हें व्याह कर घर लाए थे।

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सिक्किम में मिली शहादत

वर्तमान में मनीष ठाकुर सिक्किम में बतौर लांस नायक थ्री-डोगरा युनिट में अपनी सेवाएं दे रहे थे। 27 वर्षीय मनीष ने ड्यूटी निभाते हुए वीरगति हासिल की है। माना जा रहा है कि मनीष की जान भीषण बाढ़ या भूस्खलन जैसे कठिन परिस्थितियों के कारण हुई है। बीती शाम को मनीष सिक्किम के छत्ते गांव में ड्यूटी पर तैनात थे। शाम करीब 7.30 बजे एवलांच की चपेट में आ गए।

तीन महीने पहले हुई थी शादी

मनीष का जन्म 15 जनवरी, 1998 को नाहन के बड़ाबन गांव में हुआ था। मनीष साल 2016 में सेना में भर्ती हुए थे। भर्ती होने के महज 8 साल 8 महीने के बाद मनीष देश सेवा करते हुए शहीद हो गए। मनीष की इसी साल 6 मार्च को शादी हुई थी। मनीष ने 10 अप्रैल को ही वापस ड्यूटी ज्वाइन की थी। मनीष के पिता जोगिंदर सिंह मजदूरी करते हैं। बेटे की शहादत ने पिता को जहां एक तरफ झकझोर कर रख दिया है। वहीं, उन्हें अपने बेटे की शहादत पर बहुत गर्व भी है। वहीं, मनीष की मां और पत्नी ये मानने को तैयार ही नहीं है कि अब मनीष उनके बीच नहीं रहे हैं।

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परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़

मनीष की शहादत के बाद परिजन सदमे में है। परिजनों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। मनीष अपने पीछे पत्नी तनु, माता-पिता और छोटा भाई छोड़ गए हैं।मनीष का छोटा भाई अभी पढ़ाई कर रहा है। मनीष की शहाद की खबर सुनने के बाद उनकी पत्नी और मां का रो-रो कर बुरा हाल है। दोनों मनीष को याद कर बार-बार बेसुध हो रही हैं। जिन हाथों से अभी मेहंदी का रंग भी नहीं छूटा था- उसी सुहागन का आज सुहाग उजड़ गया है।

घर जल्दी आने का किया था वादा

परिजनों ने बताया कि मनीष ने अपनी मां के कहने पर शादी की थी। अभी जब वो अप्रैल में छुट्टी से वापस ड्यूटी पर गया था- तो उसने अपनी पत्नी तनु और मां से वादा किया था कि वो जल्द ही घर वापस आएगा। मगर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। अब मनीष तिरंगे में लिपटा घर लौटा है- जिसे देखकर मां और पत्नी बेसुध हो गई हैं।

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3 जवान हुए शहीद

आपको बता दें कि बीते रविवार शाम करीब 7 बजे सिक्किम मिलिट्री कैंप भारी बारिश के बाद लैंडस्लाइड की चपेट में आ गया था। जिसकी चपेट में वहां मौजूद तीन जवान आ गए। जबकि, 4 लोगों को मलबे में से जिंदा भी बाहर निकाला गया। हालांकि, 6 जवान अभी भी लापता है। अन्य जवानों द्वारा जवानों को खोजने के लिए सर्च ऑपरेशन किया जा रहा है।

शहीदों की पहचान

  • हवलदार लखबिंदर सिंह
  • लांसनायक मनीष ठाकुर
  • पोर्टर अभिषेक लखाड़ा

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