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June 17, 2025

मनाली जिपलाइन मामले में अवैध साइट पर गिरेगी गाज़, खेल मंत्री ने कह दी ये बड़ी बात- जानें

पर्यटन की सुरक्षा पर सवाल, सरकार सख्त

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himachal news

कुल्लू। हिमाचल प्रदेश का कुल्लू जिला हर साल गर्मियों में हजारों सैलानियों को आकर्षित करता है। यहां की सुरम्य वादियां, ठंडी हवाएं और साहसिक खेलों का रोमांच पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। लेकिन हाल ही में मनाली के पास नेहरू कुंड में घटित एक दुर्घटना ने रोमांच की इस दुनिया में गहरी चिंता का विषय पैदा कर दिया है।

सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी वीडियो

बीते 8 जून को नागपुर की एक लड़की जिपलाइन का आनंद लेते हुए अचानक नीचे गिर गई। दरअसल, उस समय जिपलाइन की रस्सी टूट गई थी। हालांकि, गनीमत यह रही कि लड़की को गंभीर चोटें नहीं आईं, लेकिन इस घटना का वीडियो जब सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, तो सवाल उठने लगे कि क्या पर्यटकों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ हो रहा है?

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मंत्री गोमा ने लिया संज्ञान

वीडियो के वायरल होते ही प्रदेश के खेल मंत्री यादविंद्र गोमा ने पूरे मामले का संज्ञान लिया और कुल्लू प्रशासन को सख्त निर्देश दिए कि इस दुर्घटना की जांच की जाए और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। जांच में यह सामने आया कि जिस जिपलाइन साइट पर यह हादसा हुआ, वह पूरी तरह से अवैध थी। न तो उसे पर्यटन विभाग की अनुमति थी, न ही सुरक्षा मानकों का कोई पालन किया गया था।

अवैध जिपलाइन साइट्स पर गिरेगी गाज

मंत्री यादविंद्र गोमा ने कहा कि पूरे कुल्लू जिले में जितनी भी अवैध जिपलाइन साइट्स चल रही हैं, उन्हें तुरंत बंद करवाया जाए। साथ ही सभी वैध साइट्स की भी विस्तृत निरीक्षण प्रक्रिया शुरू की जाए ताकि भविष्य में कोई हादसा न हो। यह भी सामने आया कि कुल्लू जिले के मनाली, मणिकर्ण और बंजार जैसे इलाकों में नदी-नालों के ऊपर जिपलाइन गतिविधियां करवाई जा रही हैं।

इनमें से कई साइट्स बिना लाइसेंस के और बिना किसी सुरक्षा मानक के काम कर रही हैं। इन अवैध साइट्स पर न तो प्रशिक्षित स्टाफ होता है और न ही उपकरणों की गुणवत्ता की जांच सुनिश्चित की जाती है। यही कारण है कि अक्सर ऐसे हादसे हो जाते हैं, जिनमें जान का नुकसान भी हो सकता है।

जिपलाइन कैसे होती है वैध?

हिमाचल में जिपलाइन या अन्य साहसिक गतिविधियों को संचालित करने के लिए संबंधित व्यक्ति को पहले पर्यटन विभाग में आवेदन देना होता है। इसके बाद वन विभाग और पंचायत से NOC लेना अनिवार्य होता है। फिर पर्यटन, खेल विभाग और अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण संस्थान की एक संयुक्त कमेटी दस्तावेजों और स्थल का निरीक्षण करती है। यदि सब कुछ मानकों के अनुरूप हो, तभी अनुमति दी जाती है।

25–30 साइट्स हैं वैध रूप से पंजीकृत

मनाली में जिपलाइन संगठनों से जुड़े अध्यक्ष घनश्याम ठाकुर का कहना है कि संगठन से जुड़ी करीब 25–30 साइट्स वैध रूप से पंजीकृत हैं और वहां प्रशिक्षित स्टाफ के साथ उच्च गुणवत्ता वाले उपकरणों का प्रयोग किया जाता है। लेकिन कुछ ऐसे संचालक भी हैं जो बिना अनुमति के ये गतिविधियां चला रहे हैं, जिससे पूरे साहसिक पर्यटन की साख पर असर पड़ता है।

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