#अपराध
July 5, 2025
हिमाचल : वन विभाग का रेस्ट हाउस राख करने वाला युवक अरेस्ट, किशोर के साथ मिल रचा था षडयंत्र
रेस्ट हाउस में सो रहे थे भाई-बहन- आरोपी ने देर रात कर दिया था तबाह
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सिरमौर। हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के हाब्बन वन परिक्षेत्र में स्थित ठंडीधार के जंगलों में बीते दिनों घटित एक सनसनीखेज घटना का पुलिस ने पर्दाफाश कर दिया है। करीब 60 साल पुराने वन विभाग के रेस्ट हाउस को आग लगाने के मामले में पुलिस ने मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है।
जांच में यह स्पष्ट हो गया है कि आग किसी दुर्घटना से नहीं लगी थी, बल्कि यह एक सुनियोजित साजिश थी, जिसे लकड़ी तस्करी के इरादे से अंजाम दिया गया। मामले में एक नाबालिग भी शामिल पाया गया है।
घटना 29 जून की रात की है, जब वन विभाग का रेस्ट हाउस जोकि इन दिनों एक अस्थायी वन रक्षक हट के रूप में इस्तेमाल हो रहा था, आग की लपटों में घिर गया। रेस्ट हाउस में उस समय महिला वनमित्र अंबिका ठाकुर और उसका भाई मौजूद थे।
गनीमत यह रही कि दोनों समय रहते बाहर निकल आए, वरना यह घटना जानलेवा साबित हो सकती थी। जांच के दौरान पुलिस को शुरू से ही शक था कि आग खुद नहीं लगी बल्कि जानबूझकर लगाई गई है। रात में तेज बारिश होने के बावजूद आग की भयावहता इस बात का संकेत दे रही थी कि इसमें किसी ज्वलनशील पदार्थ का इस्तेमाल हुआ है।
DSP राजगढ़ वीसी नेगी के अनुसार, रेस्ट हाउस के पास वन विभाग ने देवदार की लगभग 35 नग लकड़ियां अस्थायी रूप से स्टोर कर रखी थीं, जो कुछ समय पहले ही बरामद की गई थीं।
पुलिस जांच में सामने आया कि जमोली (टपरोली) निवासी 29 वर्षीय नरेश कुमार, जो शराब के नशे में था और लकड़ी की अवैध तस्करी करता था, उसी रात रेस्ट हाउस के पास पहुंचा। जब उसे पता चला कि भीतर महिला वनमित्र मौजूद है, तो उसने पकड़े जाने के डर से पेट्रोल डालकर पूरी हट को आग के हवाले कर दिया। यह सब एक नाबालिग की मदद से किया गया।
आग लगते ही अंबिका ठाकुर की नींद खुली और उसने तत्परता से भाई को जगाया। दोनों ने किसी तरह बाहर निकलकर अपनी जान बचाई। घटना के बाद वन विभाग और पुलिस दोनों में हड़कंप मच गया। पुलिस ने तत्काल जांच शुरू की और शुक्रवार को आरोपी को गिरफ्तार कर लिया।
अब नरेश कुमार के खिलाफ राजगढ़ थाने में सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, हत्या के प्रयास, और अन्य गंभीर धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस मामले में शामिल नाबालिग की भूमिका की भी जांच कर रही है। इस घटना ने जंगलों में चल रही अवैध तस्करी और वन विभाग के स्टाफ की सुरक्षा पर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं।