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April 14, 2025
हिमाचली फ्रूट जूस से बना दिया सोलर पैनल, खिड़की-दरवाजों से तैयार होगी बिजली
आधे खर्च में बिजली बनाएंगे आपके खिड़की-दरवाजे
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हमीरपुर। हिमाचल प्रदेश के होनहारों ने एक अनोखा सोलर पैनल तैयार किया है। ये सोलर पैनल आने वाले समय में ऊर्जा उत्पादन की दिशा में क्रांतिकारी साबित हो सकता है। इस सोलर पैनल की खासियत यह है कि यह पूरी तरह से पारदर्शी है और इसे खिड़की या दरवाजों के कांच पर आसानी से लगाया जा सकता है।
NIT हमीरपुर के मैटीरियल साइंस इंजीनियरिंग विभाग में अध्ययनरत छात्रों ने एक ऐसा अभिनव सोलर पैनल तैयार किया है। इस तकनीक से भवन की बनावट को बिना बदले बिजली का उत्पादन किया जा सकता है।
छात्रों की टीम ने इस सोलर पैनल को बनाने के लिए महंगे और जटिल सेमीकंडक्टर मटीरियल जैसे सिलिकॉन या जर्मेनियम का इस्तेमाल नहीं किया है। इसके बजाय इसमें टाइटेनियम डाइऑक्साइड, जिंक ऑक्साइड और रिड्यूस्ड ग्रैफीन ऑक्साइड जैसे किफायती और पर्यावरण अनुकूल नैनो पदार्थों का उपयोग किया गया है।
इस पैनल की तैयारी में एक बेहद दिलचस्प तत्व भी जोड़ा गया है — गहरे रंग वाले फलों का रस। इस रस से तैयार एक विशेष डाई नैनो मैटीरियल पर लगाई जाती है, जो सूर्य की किरणों से फोटॉन को अवशोषित करती है और बिजली में बदल देती है। यह डाई इथेनॉल की मदद से सक्रिय की जाती है, जिससे यह प्रभावी रूप से काम करती है।
इस नये सोलर पैनल का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसे छत पर स्थापित करने की आवश्यकता नहीं है। इसे सीधे पारदर्शी कांच की सतहों पर लगाया जा सकता है। इससे घर या दफ्तर की खिड़कियों और दरवाजों से भी बिजली उत्पन्न की जा सकती है। इससे न केवल जगह की बचत होगी, बल्कि भवन की खूबसूरती भी बनी रहेगी।
छात्रों द्वारा प्रस्तुत इस नवाचार की लागत भी पारंपरिक सोलर पैनल की तुलना में बहुत कम है। जहां आम सोलर पैनलों से प्रति वाट बिजली की लागत 40 से 45 रुपये तक आती है, वहीं इस पारदर्शी पैनल की लागत लगभग 20 से 25 रुपये प्रति वाट के बीच अनुमानित है। इसके अलावा इसकी रिसाइक्लिंग भी आसान और सस्ती होगी क्योंकि इसमें विषैले रसायनों या महंगे धातुओं का प्रयोग नहीं किया गया है।
इस अभिनव खोज का प्रदर्शन NIT हमीरपुर के वार्षिक टेक्निकल फेस्टिवल ‘निंबस’ के दौरान किया गया। BTech. द्वितीय वर्ष के छात्र तनिष्क (अलीगढ़, यूपी) और उनकी टीम ने इस प्रोटोटाइप को प्रस्तुत किया, जिसने शिक्षकों और शोधकर्ताओं को भी प्रभावित किया।
NIT हमीरपुर की रजिस्ट्रार डॉ. अर्चना नानोटी ने छात्रों की इस खोज की सराहना करते हुए कहा कि यह नवाचार न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में उपयोगी साबित हो सकता है, बल्कि देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में भी मदद करेगा।