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August 18, 2025
हिमाचल मानसून सत्र: संसदीय कार्य मंत्री की टिप्पणी पर भड़के जयराम, बोले- "आसमान तो फट चुका"
जयराम का आरोप-आपदा में कांग्रेस नेताओं ने लांघी भ्रष्टाचार की सीमाएं
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शिमला। हिमाचल विधानसभा का मानसून सत्र आज हंगामे के साथ शुरू हो चुका है। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने विधानसभा में राज्य में आई भीषण प्राकृतिक आपदा पर नियम 67 के तहत चर्चा की मांग उठाई, जिसे सरकार ने स्वीकार किया। आपदा पर चर्चा करते हुए जयराम ठाकुर ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि सत्ता में बैठे नेताओं ने आपदा को एक अवसर बना लिया और भ्रष्टाचार की सारी सीमाएं लांघ दीं। उन्होंने आरोप लगाया कि जिन रास्तों को बीजेपी कार्यकर्ताओं और स्थानीय लोगों ने मशीनें मांगकर खोला, अब उन पर कांग्रेस नेता टेंडर निकालने और पैसा हड़पने की कोशिश कर रहे हैं। राहत कार्यों में घटिया स्तर का काम और ऊंचे स्तर का भ्रष्टाचार देखने को मिल रहा है।
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जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार केवल यह बताने में लगी है कि कितनी मशीनें लगाई गईं, लेकिन असली सवाल यह है कि कितनी मशीनें लगाई जानी चाहिए थीं ताकि समय पर राहत कार्य पूरा हो। उन्होंने सवाल किया कि सरकार को अब यह सोचना चाहिए कि आपदा से हुए नुकसान की भरपाई कैसे की जाए और आगे की रणनीति क्या हो।
विधानसभा में जब आपदा पर चर्चा की मांग की गई, तो संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने टिप्पणी की कि "आधे घंटे में आसमान नहीं फट जाएगा।" इस पर जयराम ठाकुर ने कड़ी प्रतिक्रिया दी और कहा, "आसमान तो प्रदेश में कई जगह फट चुका है। सैकड़ों जानें जा चुकी हैं, हजारों लोग बेघर हो चुके हैं।" उन्होंने कहा कि यह विषय नियम 130 नहीं, बल्कि नियम 67 के तहत गंभीरता से उठाया जाना चाहिए था।
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नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार लंबे समय से हॉर्टिकल्चर कॉलेज को बंद करवाना चाहती थी, और अब आपदा के नाम पर वही काम कर डाला। उन्होंने कहा कि फौरी राहत के रूप में महज 2500 रुपये देने में सरकार को हफ्तों लग गए, लेकिन 62 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने में एक मिनट भी नहीं लगाया। ठाकुर ने कहा, "क्या सरकार इस तरीके से आपदा प्रभावितों के घावों पर मरहम लगाना चाहती है?"
जयराम ठाकुर ने सरकार पर आरोप लगाया कि उन्होंने विपक्ष और आम जनता द्वारा भेजी गई राहत सामग्री को सरकारी बना कर पेश करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि सरकार समर्थित अधिकारियों ने नाकों पर रोक लगाकर भाजपा नेता, कार्यकर्ता और आम लोगों द्वारा भेजी गई राहत सामग्री को SDM और तहसीलदारों को सौंपने का दबाव बनाया। इतना ही नहीं, हेलीकॉप्टर से भेजा गया राशन कांग्रेस नेताओं के घरों तक पहुंचाया गया।
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नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार दावा कर रही है कि हजारों करोड़ का नुकसान हुआ, लेकिन राहत के लिए मात्र दो करोड़ रुपये वो भी किस्तों में जारी किए गए। उन्होंने कहा, "अगर डेढ़ महीने बीत जाने के बाद भी सड़कों की बहाली नहीं हुई है तो यह सरकार की विफलता है।" सरकार को चाहिए कि वह मूल्यांकन करे कि उसने क्या सही किया और क्या नहीं।
नेता प्रतिपक्ष ने सरकार से मांग की कि वह आपदा प्रभावितों के लिए अस्थायी शेल्टर बनवाए ताकि बेघर हुए लोग सुरक्षित रह सकें। उन्होंने कहा कि कई लोग हैं जिनके पास न तो घर हैं और न ही जमीन। यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वे उन्हें तुरंत राहत और पुनर्वास मुहैया कराएं।
जयराम ठाकुर ने उन अधिकारियों की सराहना की जिन्होंने ईमानदारी और तत्परता से कार्य किया। लेकिन साथ ही कहा कि "कुछ अधिकारियों का आचरण संदेह के घेरे में है," और मुख्यमंत्री को इस पर संज्ञान लेना चाहिए।