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August 21, 2025

हिमाचल की सुक्खू सरकार फिर ले रही 1500 करोड़ का कर्ज, दो माह में लिया 2500 करोड़ लोन

कर्मचारियों में जगी डीए मिलने की उम्मीद

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Sukhu Govt Loan

शिमला। हिमाचल प्रदेश कर्ज के बोझ तले दबता जा रहा है। प्रदेश की सुक्खू सरकार हर एक माह बाद कर्ज लेकर प्रदेश के विकास के पहिये को आगे धकेलने की कोशिश कर रही है, लेकिन विकास, वेतन पेंशन और अन्य खर्चों के नाम पर प्रदेश पर कर्ज का पहाड़ दिन प्रतिदिन और बड़ा होता जा रहा है। यह पहाड़ इसी माह और बड़ा होने वाला है। प्रदेश की सुक्खू सरकार इसी माह 1500 करोड़ का कर्ज लेने जा रही है।

1500 करोड़ का कर्ज लेगी सुक्खू सरकार

हिमाचल प्रदेश की आर्थिक गाड़ी फिलहाल कर्ज के सहारे ही आगे बढ़ रही है। सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली प्रदेश सरकार इस महीने के अंत में एक बार फिर से 1500 करोड़ रुपए का नया कर्ज लेने जा रही है। वित्त विभाग की अधिसूचना के अनुसार यह राशि दो किस्तों में ली जाएगी। इसमें 500 करोड़ रुपए का कर्ज दस साल की अवधि के लिए और 1000 करोड़ रुपए का कर्ज 15 साल की अवधि के लिए होगा।

 

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28 अगस्त तक खाते में आएगी राशि

सरकार ने इसकी औपचारिक अधिसूचना भी जारी कर दी है। रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की ओर से नीलामी प्रक्रिया 26 अगस्त को होगी और 28 अगस्त तक यह राशि प्रदेश सरकार के खजाने में पहुंच जाएगी। इससे पहले जुलाई माह के अंत में भी राज्य सरकार ने 1000 करोड़ रुपए का कर्ज लिया था। इस प्रकार दो महीने में सरकार 2500 करोड़ रुपए के लोन का बोझ उठा चुकी होगी।

सबसे बड़ी देनदारी कर्मचारियों का डीए

बता दें कि हिमाचल सरकार पर कर्मचारियों और पेंशनर्स के डीए की लंबित किश्त का भी दवाब है। एक तरफ जहां कर्मचारी और पेंशनर्स डीए और एरियर की मांग कर रहे हैं। वहीं आज विधानसभा में भी यह मामला गुंजा था। विपक्ष ने सरकार पर कर्मचारियों के डीए ना देने के आरोप लगाए थे। जिस पर सीएम सुक्खू ने कहा था कि प्रदेश की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, जैसे ही आर्थिक स्थिति सुधरेगी, कर्मचारियों पेंशनरों को डीए एरियर दिया जाएगा। सरकार का कहना है कि अभी 13 फीसदी डीए लंबित है, जिसके लिए करीब 2200 करोड़ रुपए की जरूरत होगी, लेकिन आर्थिक तंगी के चलते कर्मचारियों को राहत मिलने में अभी और इंतजार करना पड़ सकता है।

 

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डीए मिलने की उम्मीद

अब सुक्खू सरकार द्वारा लिए जा रहे इस कर्ज को कर्मचारियों के डीए से जोड़कर देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि सरकार 1500 करोड़ के इस कर्ज से कर्मचारियों को डीए की किश्त दे सकती है। 

विकास कार्यों की रफ्तार बनाए रखने के लिए कर्ज

वित्तीय चुनौतियों से जूझ रही सुक्खू सरकार का मानना है कि विकास कार्यों की गति को बनाए रखने और नियमित खर्चों को पूरा करने के लिए कर्ज लेना मजबूरी है। प्रदेश में हर महीने वेतन और पेंशन पर लगभग 2000 करोड़ रुपए का खर्च आता है। इसके अलावा अधूरे विकास प्रोजेक्ट्स और नई घोषणाओं को गति देने के लिए भी धन की भारी आवश्यकता है।

 

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एक लाख करोड़ से ऊपर पहुंचा कर्ज का आंकड़ा

वर्तमान में हिमाचल प्रदेश पर कुल कर्ज का बोझ एक लाख करोड़ रुपए से ऊपर पहुंच चुका है। कैग की रिपोर्ट्स भी लगातार राज्य सरकार को चेतावनी देती रही हैं कि निरंतर बढ़ता कर्ज भविष्य में वित्तीय स्थिति को और अधिक जटिल बना सकता है। बावजूद इसकेए सरकार फिलहाल बिना कर्ज के गाड़ी चलाने की स्थिति में नहीं है।

कर्ज के सहारे ही आगे बढ़ेगी आर्थिक गाड़ी

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वित्त विभाग की मानें तो नए कर्ज से सरकार को तत्कालीन जरूरतों को पूरा करने में सहारा मिलेगा। प्रदेश सरकार का तर्क है कि यदि कर्ज न लिया जाए तो विकास कार्य ठप पड़ सकते हैं और कर्मचारियों व पेंशनरों को समय पर वेतन.पेंशन देना भी कठिन हो जाएगा।

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