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September 12, 2025
सुक्खू सरकार की बड़ी कार्रवाई, KCC बैंक की पूरी बीओडी निलंबित; 10 दिन में मांगा जवाब
केसीसी की बीओडी को कारण बताओ नोटिस जारी, 10 दिन में देना होगा जवाब
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धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार ने बड़ी कार्रवाई करते हुए कांगड़ा सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक (केसीसी बैंक) के निदेशक मंडल को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। इतना ही नहीं इसी माह सितंबर में होने वाले प्रस्तावित बोर्ड के चुनावों को भी आगामी आदेशों तक स्थगित कर दिया है। बैंक की पूरी बीओडी को 10 दिन में अपना जवाब देने को कहा है। सुक्खू सरकार ने यह बड़ी कार्रवाई बैंक में लंबे समय से चली आ रही वित्तीय अनियमितताओं, प्रबंध्न की लापरवाही और नाबार्ड द्वारा की गई निगरानी रिपोर्टों के आधार की गई है।
राज्य सहकारी सोसायटी रजिस्ट्रार दोर्जे छेरिंग द्वारा जारी आदेश में बोर्ड के सभी सदस्यों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है, जिसमें उनसे 10 दिनों के भीतर स्पष्टीकरण मांगा गया है। आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि यदि निर्धारित समय में संतोषजनक उत्तर नहीं दिया गया तो उनके विरुद्ध कड़ा विधिक कदम उठाया जाएगा, जिसमें भविष्य में किसी भी सहकारी संस्था के चुनाव लड़ने पर पाबंदी शामिल हो सकती है।
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केंद्र सरकार की संस्था नाबार्ड (नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट) द्वारा वर्ष 2015-16 से अब तक बैंक की समय-समय पर की गई जांचों में कई गंभीर खामियां उजागर की हैं। विशेष रूप से वर्ष 2022, 2023 और 2024 की रिपोर्टों में बैंक में एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स) के अत्यधिक स्तर, अवैध ऋण वितरण, कमजोर आंतरिक नियंत्रण प्रणाली और वित्तीय अनियमितताओं की पुष्टि की गई थी।
हालांकि, बैंक के हालिया आंकड़े यह दर्शाते हैं कि बीते वर्षों में एनपीए में गिरावट दर्ज की गई है कृ 2021 में जहां एनपीए 30% से अधिक था, वहीं 2025 में यह घटकर 19.50% पर आ गया है। इसके अतिरिक्त बैंक ने इस वर्ष 115 करोड़ रुपये से अधिक का शुद्ध लाभ भी कमाया है। इसके बावजूद सरकार का मानना है कि पूर्व और वर्तमान निदेशक मंडलों की कार्यप्रणाली में गंभीर लापरवाहियां रही हैं, जिनके कारण बैंक की साख और भविष्य पर संकट मंडरा रहा है।
वर्तमान आपदा और संवेदनशील हालात को देखते हुए सहकारिता विभाग के निदेशालय ने आगामी निदेशक मंडल चुनावों को भी स्थगित कर दिया है। विभाग का कहना है कि केसीसी बैंक का कार्यक्षेत्र कांगड़ा, ऊना, हमीरपुर, कुल्लू और लाहौल-स्पीति जैसे आपदा.प्रभावित जिलों में फैला हुआ है, जहां चुनाव प्रक्रिया का निष्पक्ष और शांतिपूर्ण संचालन वर्तमान हालात में संभव नहीं है।
डिवीजनल कमिश्नर को फिलहाल बैंक का प्रशासक नियुक्त किया गया है, जो बैंक के संचालन और निगरानी की जिम्मेदारी संभालेंगे। केसीसी बैंक के महाप्रबंधक राकेश शर्मा ने पुष्टि की है कि उन्हें निदेशालय से चुनाव स्थगन के आदेश प्राप्त हो चुके हैं और इसकी विधिवत जानकारी भी जारी कर दी गई है।
इस प्रशासनिक कार्रवाई के पीछे राजनीतिक कारणों की भी चर्चा है। सूत्रों के अनुसार हाल ही में सोलन स्थित जोगिंद्र सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के चुनावों में बीजेपी ने बेहतर प्रदर्शन किया था, जबकि कांग्रेस को अपेक्षा से कम सीटें मिलीं। इस पराजय के बाद सत्तारूढ़ दल के भीतर चिंता बढ़ गई थी। जानकारों का मानना है कि केसीसी बैंक के चुनावों में भी यदि ऐसी ही स्थिति बनती, तो यह कांग्रेस के लिए राजनीतिक रूप से नुकसानदायक हो सकता था। इसे देखते हुए चुनाव प्रक्रिया को रोकने का निर्णय एक रणनीतिक कदम के तौर पर देखा जा रहा है।
केसीसी बैंक की 216 शाखाएं पांच जिलों में फैली हुई हैं और इसके करीब 1.17 लाख खाताधारक हैं, जिनमें बड़ी संख्या ग्रामीण क्षेत्रों से आती है। पिछले कुछ वर्षों में बैंक की वित्तीय स्थिति में सुधार देखने को मिला है, लेकिन अब निदेशक मंडल के निलंबन के बाद बैंक प्रबंधन पर एनपीए को और अधिक कम करने और आंतरिक नियंत्रण मजबूत करने का अतिरिक्त दबाव होगा।