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September 12, 2025
सावधान हिमाचल ! फिर जारी हुआ बारिश का अलर्ट, यहां पर बंद रहेंगे स्कूल-कॉलेज
मानसून सीजन इस बार प्रदेश के लिए अभिशाप साबित हो रहा है।
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शिमला। हिमाचल प्रदेश में आसमान से बरस रही आफत थमने का नाम नहीं ले रही। बीते कई दिनों से लगातार हो रही भारी बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो चुका है। मौसम विभाग ने प्रदेशभर में अगले 72 घंटे तक तेज बारिश की संभावना जताई है और यलो अलर्ट जारी किया है।
यानी अब तीन दिन तक लोगों को राहत मिलने की उम्मीद नहीं है। शुक्रवार को ऊना, हमीरपुर, बिलासपुर, कांगड़ा, शिमला और सिरमौर जिलों में भारी बारिश की चेतावनी दी गई है। वहीं कुल्लू जिले के मनाली और बंजार उपमंडल में एहतियातन स्कूल और कॉलेज बंद रखने के आदेश प्रशासन ने जारी कर दिए हैं।
मानसून सीजन इस बार प्रदेश के लिए अभिशाप साबित हो रहा है। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की रिपोर्ट के अनुसार अब तक सरकारी और निजी संपत्ति को मिलाकर 4313 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हो चुका है।
कुल्लू जिले में सामान्य से 112 प्रतिशत और शिमला में 106 प्रतिशत ज्यादा बारिश दर्ज की गई है। सामान्य से कहीं अधिक बरसात ने नदियों-नालों को उफान पर ला दिया है और पहाड़ों की मिट्टी को इतना कमजोर कर दिया है कि जगह-जगह भूस्खलन हो रहे हैं।
प्रदेश में भारी बारिश और उससे जुड़ी आपदाओं ने अब तक 380 लोगों की जान ले ली है। इनमें से 76 लोगों की मौत लैंडस्लाइड, फ्लैश फ्लड और बादल फटने जैसी घटनाओं में हुई है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि 40 लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं, जिनके जिंदा मिलने की संभावना बहुत कम रह गई है।
बारिश के कारण पहाड़ों में बसे हजारों परिवार बेघर हो चुके हैं। प्रदेशभर में 1280 घर पूरी तरह से जमींदोज हो गए हैं जबकि 5643 घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं। केवल इंसान ही नहीं, बल्कि लोगों के पालतू जानवर भी इस आपदा का शिकार बने हैं। अब तक 26,955 मवेशियों की मौत की पुष्टि हो चुकी है।
भारी बारिश और लगातार भूस्खलन से सड़कों का हाल सबसे ज्यादा खराब है। कई नेशनल हाइवे और सैकड़ों ग्रामीण सड़कें अब भी बंद पड़ी हैं। इसका सीधा असर आपूर्ति तंत्र पर पड़ रहा है। दूरदराज के इलाकों में खाने-पीने की चीजें और दवाइयां पहुंचाना चुनौती बना हुआ है।
प्रदेश सरकार और प्रशासन ने दावा किया है कि सभी जिलों में रेस्क्यू और राहत दल तैनात हैं। जोखिम भरे क्षेत्रों में लोगों को लगातार सतर्क किया जा रहा है। हालांकि, पहाड़ी ढलानों पर बसे गांवों में हालात लगातार बिगड़ रहे हैं और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया जा रहा है।