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December 6, 2025
मोदी सरकार के GST से हिमाचल को घाटा: CM सुक्खू बोले- 19 हजार करोड़ का नुकसान हुआ
जीएसटी लागू होने के बाद से बिगड़ी हिमाचल की आर्थिक स्थिति
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धर्मशालाः केंद्र की मोदी सरकार द्वारा शुरू किए गए वस्तु एवं सेवा कर जीएसटी ने कई राज्यों की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर डाला है। इसका सबसे अधिक असर हिमाचल की अर्थव्यवस्था पर पड़ा है। हिमाचल प्रदेश में पहली जुलाई 2017 को जीएसटी लागू हुआ था। जिसके बाद से प्रदेश के राजस्व को लगातार घाटा हो रहा है।
जीएसटी आने के बाद हिमाचल की कमाई बढ़ने के बजाय घटती दिख रही है। पहले जहां हर साल आय तेजी से ऊपर जाती थी, वहीं अब वृद्धि रुक-सी गई है। सबसे बड़ा झटका तब लगा जब केंद्र से मिलने वाली क्षतिपूर्ति रुकते ही प्रदेश का खजाना खाली होने लगा और अब तक प्रदेश को हजार करोड़ का नुकसान दर्ज हो चुका है। विधानसभा में पेश रिपोर्ट ने पूरे वित्तीय संकट को उजागर कर दिया। जीएसटी लागू होने के बाद हिमाचल की कमाई पटरी से उतर गई है।
जीएसटी लागू होने के बाद राज्य सरकार को एसजीएसटी यानी राज्य जीएसटी के जरिए आय तो होती रही, लेकिन वह उम्मीद के मुताबिक नहीं बढ़ी।
इन सभी वर्षों की कुल वसूली मिलाकर राज्य को 19,842.77 करोड़ रुपये मिले।
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जीएसटी से पहले हिमाचल में वैट प्रणाली चलती थी। उस समय राज्य का कर-राजस्व हर साल लगभग 16% की रफ्तार से बढ़ रहा था। यानि हर वर्ष आय में तेज बढ़ोतरी हो रही थी। लेकिन जीएसटी लागू होते ही यह वृद्धि घटकर सिर्फ 5% से 7% के बीच रह गई। इससे प्रदेश की आर्थिक सेहत पर सीधा असर पड़ा।
मुख्यमंत्री ने बताया कि जीएसटी लागू होने के बाद केंद्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश को करों में हिस्से के रूप में 60,850.08 करोड़ रुपये भेजे हैं। यह राशि राज्यों को मिलने वाले सामान्य हिस्से के तहत आती है।
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जीएसटी कानून के मुताबिक राज्यों को 2015-16 को आधार वर्ष मानकर हर साल 14% वृद्धि का हिसाब लगाकर जून 2022 तक क्षतिपूर्ति दी जाती थी। जैसे ही यह क्षतिपूर्ति बंद हुई, हिमाचल की आय में भारी गिरावट देखी गई। सरकार के अनुसार, जून 2022 के बाद से अब तक लगभग 19,000 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है।
सरकार का अनुमान है कि अगर वैट की तरह 16% वार्षिक वृद्धि जारी रहती, तो 31 अक्टूबर 2025 तक हिमाचल को करीब 27,500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व मिलता। यानी जीएसटी के कारण प्रदेश को न केवल बढ़ोतरी धीमी हुई, बल्कि भारी राजस्व नुकसान भी झेलना पड़ा।
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प्रदेश में राजस्व कम होने से राज्य सरकार की विकास योजनाओं पर भी असर पड़ रहा है। कई बड़े प्रोजेक्ट धीमे पड़े हैं, और सरकार को अपने खर्च कम करके संतुलन बनाने की कोशिश करनी पड़ रही है।