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September 9, 2025

हिमाचल में दुनिया छोड़ चुके लोगों के नाम पर बंट रहा राशन, जांच में हुए कई बड़े खुलासे

12750 राशन कार्डों में गड़बड़ पाई गई है

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Himachal Ration Card Holders

शिमला। हिमाचल प्रदेश में राशन वितरण व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग की जांच में सामने आया है कि प्रदेश के राशन डिपुओं में 2188 मृतक उपभोक्ताओं के नाम पर वर्षों से राशन उठाया जा रहा था। यही नहीं, जांच में कुल 12,750 राशन कार्ड उपभोक्ताओं के विवरण में अनियमितताएं सामने आई हैं।

जांच में क्या पाया गया?

खाद्य आपूर्ति विभाग द्वारा की गई जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। जांच में पाया गया कि 2188 उपभोक्ता ऐसे पाए गए, जिनकी मृत्यु हो चुकी है, लेकिन नाम राशन कार्ड से हटाए नहीं गए।

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राशन कार्ड में गड़बड़ी

925 उपभोक्ता ऐसे मिले, जो राशन कार्ड में परिवार के मुखिया बताए गए हैं, लेकिन उनकी उम्र या तो 18 वर्ष से कम या 100 वर्ष से अधिक दर्ज है। वहीं, 7589 सदस्य राशन कार्ड में “साइलेंट” यानी निष्क्रिय पाए गए। 2048 उपभोक्ता ऐसे निकले, जो बाहरी राज्यों में भी राशन ले रहे हैं।

मृतकों के नाम बंट रहा राशन

राशन कार्ड से जुड़ी इन गड़बड़ियों की जांच में सभी जिलों से आंकड़े सामने आए हैं। सबसे ज्यादा अनियमितताएं मंडी जिला में पाई गईं। जिसमें-

  • बिलासपुर- 857
  • चंबा- 49
  • हमीरपुर- 275
  • कांगड़ा- 527
  • किन्नौर- 1

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  • कुल्लू- 199
  • लाहुल-स्पीति- 2
  • मंडी- 5582
  • शिमला- 780
  • सिरमौर- 1749
  • सोलन- 2174
  • ऊना- 555

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विभाग की सफाई और अगली कार्रवाई

खाद्य आपूर्ति विभाग के अतिरिक्त निदेशक सुरेंद्र राठौर ने कहा कि जांच में जो आंकड़े सामने आए हैं, वे बेहद गंभीर हैं। सभी जिलों के खाद्य आपूर्ति नियंत्रकों (DFSCs) को निर्देश दिए गए हैं कि वे 12,750 संदिग्ध राशन कार्ड उपभोक्ताओं की विस्तृत जांच करें।

कार्ड से हटाएं जाएंगे नाम

उन्होंने स्पष्ट किया कि  मृत उपभोक्ताओं के नाम तुरंत राशन कार्ड से हटाए जाएंगे। डुप्लीकेट और बाहरी राज्यों में राशन लेने वाले उपभोक्ताओं की पहचान कर उन्हें बाहर किया जाएगा।साइलेंट और संदिग्ध प्रविष्टियों की भी घर-घर जाकर जांच होगी।

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लोगों की सुरक्षा और सरकारी चिंता

राशन वितरण से जुड़ी इस गड़बड़ी ने प्रदेश सरकार को चिंता में डाल दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह केवल धोखाधड़ी का मामला नहीं है, बल्कि गरीबों के हक पर डाका डालने जैसा है। अगर मृत और फर्जी उपभोक्ताओं के नाम पर राशन उठाया जा रहा था, तो इसका सीधा नुकसान वास्तविक पात्र लोगों को हुआ होगा।

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