#विविध
September 10, 2025
हिमाचल आपदा : अपनों से संपर्क करने के लिए दर-दर भटक रहे लोग, 100 रुपये में हो रहा मोबाइल चार्ज
ना सड़क ना बिजली- अंधेरे में समय गुजार रहे लोग
शेयर करें:
कुल्लू। हिमाचल प्रदेश इन दिनों प्राकृतिक आपदा की मार से जूझ रहा है। जिला कुल्लू में बीते दिनों हुई भारी बारिश और भूस्खलन के बाद हालात सामान्य होने का नाम ही नहीं ले रहे। पिछले दो दिनों से मौसम साफ है, लेकिन सड़क, बिजली और मोबाइल नेटवर्क की बहाली अभी भी बड़ी चुनौती बनी हुई है।
भुंतर-मणिकर्ण मार्ग अब तक बंद पड़ा है। इस पूरे क्षेत्र में बिजली और मोबाइल नेटवर्क पूरी तरह ठप हैं। ग्रामीण अपने परिजनों से संपर्क करने के लिए रोजाना पहाड़ियों का रुख कर रहे हैं। पहाड़ की ऊंचाई पर जाकर ही मोबाइल का हल्का-सा नेटवर्क मिलता है।
मरीज और बुजुर्गों के लिए यह स्थिति सबसे बड़ी परेशानी बन चुकी है। 12 पंचायतें अब भी पूरी तरह से बाहरी दुनिया से कटी हुई हैं। सड़क बहाली के लिए मशीनरी लगाई गई है, उम्मीद है कि 11 सितंबर तक मार्ग को खोल दिया जाएगा, लेकिन बिजली बहाल करना प्रशासन के लिए आसान नहीं होगा क्योंकि जगह-जगह बिजली के खंभे टूट चुके हैं।
बंजार विधानसभा क्षेत्र की 30 से अधिक पंचायतों का संपर्क पूरी तरह से कटा हुआ है। औट से बंजार और लारजी से सैंज तक सड़क खुली है, लेकिन आगे सभी रास्ते मलबे के ढेर में दबे पड़े हैं। यहां अब तक 600 से ज्यादा घर क्षतिग्रस्त पाए गए हैं और यह संख्या 1000 पार कर सकती है।
बिजली ना होने के कारण ग्रामीणों को फोन तक चार्ज करने के लिए लगभग 12 किलोमीटर चलकर बंजार मुख्यालय तक जाना पड़ रहा है। हैरानी की बात ये है कि जनरेटर से मोबाइल चार्ज करने पर 50 से 100 रुपये प्रति मोबाइल वसूले जा रहे हैं।
ग्रामीणों ने बताया कि 5 दिन बाद भी सड़क और बिजली बहाल नहीं हुई। रिश्तेदारों का हाल जानने के लिए पहाड़ की ऊंचाई पर जाकर मोबाइल का सिग्नल खोजना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि वो अंधेरे में दिन कट रहे हैं। मोबाइल चार्ज करने के लिए रोज 8 किलोमीटर चलना पड़ता है। बिजली और सड़क न होने से रिश्तेदारों से संपर्क टूट गया है। प्रशासन को तेजी से काम करना चाहिए।
ग्रामीण इलाकों में पेट्रोल पंप से महंगा डीजल खरीदकर जनरेटर चलाया जा रहा है। दुकानदारों ने मोबाइल चार्ज करने की अस्थायी व्यवस्था तो कर दी है, लेकिन यह लोगों के लिए आर्थिक बोझ बन चुका है।
NHAI के रेजिडेंट इंजीनियर अशोक कुमार के अनुसार, रायसन और 14 मील के पास सड़क को आंशिक रूप से तैयार कर लिया गया है और जल्द ही यहां से वाहनों को गुजारने की अनुमति मिलेगी। मगर बिंदु ढांक और कलाथ जैसे इलाकों में सड़क बहाली सबसे कठिन कार्य है। मशीनरी तैनात कर दी गई है और जल्द ही राष्ट्रीय राजमार्ग बहाल करने का प्रयास किया जा रहा है।