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September 10, 2025

हिमाचल : खुद की परवाह किए बिना दलदल में कूदे स्कूली छात्र, बचाई बेजुबान की जिंदगी

छात्रों और अध्यापकों ने मिल कर की इंसानियत की मिसाल की पेश

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Bilaspur News

बिलासपुर। हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिला में स्कूली छात्रों ने इंसानियत की मिसाल पेश की है। स्वारघाट में मंगलवार को एक ऐसा वाक्या सामने आया जिसने साबित कर दिया कि इंसानियत की असली पहचान उम्र या ताकत से नहीं, बल्कि दिल की संवेदनशीलता से होती है।

दलदल में कूदे स्कूली छात्र

यहां राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला स्वारघाट के बच्चों और शिक्षकों ने मिलकर एक घोड़े की जान बचाकर न केवल अद्भुत साहस दिखाया, बल्कि पूरे समाज के लिए एक प्रेरक संदेश भी दिया।

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दलदल में फंसा घोड़ा

स्कूल के पास बने खेल मैदान में अचानक एक घोड़ा दलदल में जा फंसा। उसकी हालत बेहद नाजुक हो गई थी। घोड़ा खुद को बाहर निकालने की कोशिश कर रहा था लेकिन हर बार दलदल उसे और गहराई में खींच रहा था। जब बच्चे सुबह स्कूल पहुंचे तो उन्होंने घोड़े को छटपटाते देखा। घोड़ा थक कर निढाल हो चुका था और किसी भी पल उसकी जान जा सकती थी।

छात्रों और शिक्षकों की बहादुरी

बच्चों ने तुरंत अपने अध्यापकों को सूचना दी। अध्यापक मौके पर पहुंचे और हालात का जायजा लिया। घोड़े को निकालना आसान नहीं था, क्योंकि जरा सी चूक से घोड़े और मदद करने वालों दोनों को चोट लग सकती थी। लेकिन बच्चों और शिक्षकों ने डर के बजाय हिम्मत और जिम्मेदारी को चुना।

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सुरक्षित घोड़ा निकाला बाहर

रस्सियों और डंडों का सहारा लेकर उन्होंने रेस्क्यू शुरू किया। बच्चे पूरे जोश से जुटे रहे और इस दौरान कई ने अपनी स्कूल वर्दी तक उतार दी ताकि काम में आसानी हो सके। करीब आधे घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद आखिरकार घोड़े को सही-सलामत व सुरक्षित दलदल से बाहर निकाल लिया गया।

इंसान और जानवर के बीच प्यार की मिसाल

रेस्क्यू सफल होने पर बच्चों के चेहरे पर खुशी और संतोष झलक रहा था। अध्यापकों ने कहा कि यह केवल एक घोड़े को बचाना नहीं, बल्कि बच्चों के दिलों में इंसानियत और हर जीव के प्रति करुणा की भावना जगाने वाली सीख है।

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बहादुरी की जमकर की तारीफ

घटना की खबर फैलते ही स्थानीय लोग भी स्कूल पहुंचे। उन्होंने बच्चों और शिक्षकों की बहादुरी की जमकर तारीफ की। ग्रामीणों ने कहा कि इन मासूमों ने यह दिखा दिया कि बड़े काम करने के लिए उम्र नहीं, बल्कि हिम्मत और संवेदनशीलता चाहिए।

समाज के लिए सीख

लोगों का कहना है कि यह घटना केवल एक जानवर को बचाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक संदेश है कि साझा सहयोग और संवेदनशीलता से हर मुश्किल आसान हो सकती है। बच्चों ने यह साबित कर दिया कि जब इंसान का दिल साफ हो और नीयत नेक हो तो असंभव भी संभव हो जाता है।

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