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June 28, 2025

धर्मशाला में 31 जुलाई के बाद सड़कों पर नहीं दिखेंगे बेसहारा पशु, जानिए पूरी खबर

सड़कों पर घूमते पशु ट्रैफिक की समस्या बढ़ाते हैं

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Himachal Stray Animals

शिमला। हिमाचल प्रदेश के मशहूर पर्यटक स्थल धर्मशाला की सड़कों पर बेसहारा पशुओं का घूमते नजर आना आम सी बात हो गई है। इन पशुओं के कारण कई बड़े सड़क हादसे भी पेश आए हैं- जिनमें कुछ लोगों की जान भी चली गई है। कई बार हादसों में बेसहारा पशुओं की भी जान चली जाती है। ऐसे में अब हिमाचल हाईकोर्ट ने शहर को पूरी तरह से बेसहारा पशुओं से मुक्त करने का फैसला लिया है।

हिमाचल हाईकोर्ट का आदेश

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने धर्मशाला नगर निगम और राज्य सरकार को कड़ा निर्देश जारी करते हुए कहा है कि 31 जुलाई 2025 तक धर्मशाला शहर को पूरी तरह से बेसहारा पशुओं से मुक्त किया जाए। अदालत ने यह आदेश धर्मशाला में आवारा पशुओं की बढ़ती समस्या को लेकर दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिए।

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बेसहारा पशुओं को पकड़ा

इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गुरमीत सिंह संधवालिया और न्यायमूर्ति रंजन शर्मा की खंडपीठ कर रही है। सुनवाई के दौरान नगर निगम धर्मशाला के आयुक्त की ओर से अदालत को बताया गया कि 21 फरवरी से 23 अप्रैल के बीच 99 बेसहारा पशुओं को कांगड़ा जिले के लुथाण स्थित राधे कृष्ण गौ अभ्यारण्य में स्थानांतरित किया गया। जबकि, 68 पशुओं को पकड़ा गया है।

हर महीने पकड़े जाएं पशु

हालांकि, अदालत ने इस रिपोर्ट को अधूरी मानते हुए कहा कि उसमें यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि वर्तमान में शहर में कुल कितने बेसहारा पशु मौजूद हैं। खंडपीठ ने नगर निगम से कहा है कि वह 31 दिसंबर 2024 के आदेश के क्रियान्वयन की स्थिति स्पष्ट करते हुए एक शपथपत्र (हलफनामा) अगली सुनवाई से पहले दाखिल करे। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि नगर निगम की ओर से हर महीने कम से कम 30 बेसहारा पशुओं को पकड़कर गौ अभ्यारण्य में भेजने की प्रक्रिया सुनिश्चित की जाए।

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बेसहारा पशुओं को हटाना जरूरी

हाईकोर्ट ने पहले भी आदेश दिए थे कि धर्मशाला जैसे प्रमुख पर्यटन नगर में बेसहारा पशुओं की समस्या को सुलझाना अत्यंत आवश्यक है। अदालत ने यह भी उल्लेख किया कि लुथाण में करीब 214 बीघा भूमि पर गौ अभ्यारण्य विकसित किया गया है, जहां पर अब तक 4.5 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए जा चुके हैं। इसमें से 68.63 लाख रुपये भवन निर्माण पर खर्च किए गए हैं।

आदर्श शहर बनाने की पहल

अदालत ने स्पष्ट किया कि धर्मशाला शहर को आदर्श नगर बनाने की दिशा में नगर निगम को गंभीरता से प्रयास करने होंगे। सड़कों पर घूमते पशु न केवल ट्रैफिक की समस्या बढ़ाते हैं, बल्कि लोगों की सुरक्षा के लिए भी खतरा बनते हैं। इससे न केवल शहर की छवि प्रभावित होती है, बल्कि पर्यटकों पर भी गलत प्रभाव पड़ता है।

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गौशाला में भेजे जाएंगे

अब इस मामले में अगली सुनवाई से पहले नगर निगम धर्मशाला को यह स्पष्ट करना होगा कि वे शहर में शेष बचे बेसहारा पशुओं की पहचान कैसे करेंगे, और उन्हें किस समयावधि में गौशाला में भेजा जाएगा। यदि अदालत संतुष्ट नहीं हुई, तो आगे सख्त कार्रवाई भी संभव है। यह आदेश राज्य सरकार और नगर निगम दोनों के लिए एक चेतावनी है कि अब जनसुविधाओं से जुड़े मुद्दों को टालने की जगह गंभीरता से हल करने का समय आ गया है।

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