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August 14, 2025
स्वतंत्रता दिवस: क्या आप जानते हैं ध्वजारोहण और ध्वज फहराने में होता है अंतर ?
गुलामी से मुक्ति का प्रतीक ध्वजारोहण
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शिमला। पूरे देश के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश में भी हर साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। इस दिन लाल किले पर हर साल देश के प्रधानमंत्री ध्वजारोहण करते हैं। इसी के साथ विभिन्न संवैधानिक जगहों पर भी ध्वजारोहण का कार्यक्रम आयोजित होता है। क्या आप जानते हैं कि ध्वजारोहण और ध्वज फहराने में अंतर होता है। अगर नहीं तो आज हम आपको यही बताने वाले हैं।
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15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले पर प्रधानमंत्री ध्वजारोहण करते हैं। वहीं 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौके पर राष्ट्रपति ध्वज फहराते हैं। गौर करने वाली बात है कि जब राष्ट्रीय ध्वज को नीचे से ऊपर की ओर ले जाया जाता है तो इसे ध्वजारोहण कहते हैं। वहीं, ध्वज फहराने की प्रक्रिया अलग है। इसमें तिरंगा पहले से ही खंबे पर बंधा होता है। इसमें फूलों की पंखुड़ियां होती हैं जिससे झंडा फहराने पर पुष्प वर्षा होती है।
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गौर करने वाली बात है कि 15 अगस्त 1947 के मौके पर अंग्रेजों के झंडे को नीचे उतारकर भारत का राष्ट्रीय ध्वज ऊपर चढ़ाया गया था। जब राष्ट्रीय ध्वज को नीचे से ऊपर ले जाया गया तो इसे ध्वजारोहण कहा गया। ये परंपरा तब से चली आ रही है। ये भी ध्यान रखें कि ध्वजारोहण प्रधानमंत्री ही करते हैं। ध्वजारोहण आजादी और गुलामी से मुक्ति का प्रतीक है। तिरंगे का फहराना संविधान लागू होने और राष्ट्र की एकता का प्रतीक है।
ध्वजारोहण और ध्वज फहराने के अंतर को जानना इसलिए जरूरी है क्योंकि ये दोनों भारत के दो सबसे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय पर्वों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और महत्व को दर्शाते हैं। इन दोनों के बीच के अंतर को समझना ना केवल हमारे राष्ट्रीय सम्मान का हिस्सा है, बल्कि ये हमें हमारे देश के इतिहास और लोकतांत्रिक मूल्यों की गहरी समझ भी देता है।