#विविध
November 13, 2025
क्या बंद हो जाएंगे हिमाचल के 300 उद्योग ! हजारों लोगों की रोजी रोटी पर मंडराया संकट
डीसीजीआई की सख्त नीतियों से हिमाचल के फार्मा उद्योग पर संकट के बादल
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शिमला। हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार एक तरफ प्रदेश में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए मेगा इंवेस्टर मीट की तैयारी में जुटी है। जहां करीब 300 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियां प्रदेश में निवेश करने को तैयार हैं। वहीं दूसरी ओर राज्य का फार्मा सेक्टर गहरे संकट में है। बद्दी, सोलन और सिरमौर जैसे औद्योगिक क्षेत्रों में सक्रिय लगभग 300 फार्मा इकाइयों ने बंद होने की चेतावनी दी है, जिससे हजारों श्रमिकों की आजीविका पर संकट मंडरा गया है।
फार्मा उद्योग के प्रतिनिधियों का कहना है कि ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) और सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) की सख्त और एकतरफा नीतियों ने उद्योग जगत में असंतोष फैला दिया है। उद्योग से जुड़े संगठनों का आरोप है कि नियामक संस्था बिना पूर्व संवाद और बिना जमीनी परिस्थितियों को समझे फैसले ले रही है, जिससे छोटे और मध्यम उद्योगों का अस्तित्व खतरे में है।
लघु उद्योग संघ के राज्य अध्यक्ष अशोक राणा ने कहा कि सीडीएससीओ की कार्यशैली अब नौकरशाही और निरंकुश हो चुकी है। निरीक्षणों में हिमाचल की इकाइयों को अनुचित रूप से निशाना बनाया जा रहा है, जबकि ये इकाइयां सीमित संसाधनों में भी उच्च गुणवत्ता वाली दवाएं तैयार कर रही हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि नीति में राहत नहीं दी गई तो आने वाले महीनों में हिमाचल की सैकड़ों दवा इकाइयां बंद होने की कगार पर होंगी।
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इसी तरह फेडरेशन फ इंडिया के अध्यक्ष चिरंजीवी ठाकुर ने कहा कि डीसीजीआई की नीतियां जमीन से कट चुकी हैं। नियामक संस्था को उद्योग को डराने के बजाय उसका मार्गदर्शन करना चाहिए। लगातार निरीक्षणों और प्रशासनिक दबावों से उद्यमियों का मनोबल टूट रहा है। उद्योग जगत ने केंद्र सरकार और स्वास्थ्य मंत्रालय से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उनका कहना है कि यदि लघु और मध्यम फार्मा इकाइयों की आवाज नहीं सुनी गई तो इसका असर न सिर्फ हिमाचल बल्कि पूरे देश के दवा उद्योग पर पड़ेगा।
इसी बीच स्वास्थ्य मंत्री धनी राम शांडिल ने सचिवालय में उच्च स्तरीय खरीद समिति (HPPC) की बैठक में कहा कि राज्य के हर स्वास्थ्य केंद्र तक गुणवत्तापूर्ण उपकरण और सेवाएं पहुंचाई जाएंगी। उन्होंने उपकरणों की खरीद प्रक्रिया को पारदर्शी और तेज़ बनाने के निर्देश दिए। राज्य सरकार जहां एक ओर मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में मेगा इंवेस्टर मीट के ज़रिए प्रदेश को उद्योग और निवेश का हब बनाने की तैयारी में हैए वहीं दूसरी तरफ फार्मा सेक्टर की नाराजगी सरकार की निवेश नीति के लिए चुनौती बनती जा रही है।