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October 30, 2025

हिमाचल में नर्सरी टीचर भर्ती का हाल : 10 हजार में सिर्फ 14 ही निकले योग्य, बाकी हुए बाहर

भर्ती प्रक्रिया में 10 हजार से अधिक अभ्यर्थियों ने आवेदन किए थे

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Himachal Nursery Teacher Recruitment

शिमला। हिमाचल प्रदेश में नर्सरी शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में चली बड़ी भर्ती प्रक्रिया अब संशय और संकट के दौर में पहुंच गई है। प्रदेश सरकार की ओर से नर्सरी टीचर (प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा प्रशिक्षक) के 6,297 पदों को भरने के लिए शुरू की गई प्रक्रिया में 10 हजार से अधिक अभ्यर्थियों ने आवेदन किए थे, लेकिन पात्रता जांच के बाद जो स्थिति सामने आई, उसने सभी को चौंका दिया है।

10 हजार आवेदन, 14 उम्मीदवार

शिक्षा विभाग की जांच में पता चला है कि 10 हजार में से केवल 14 उम्मीदवार ही पात्र पाए गए हैं, जबकि शेष सभी के आवेदन एनटीटी (नर्सरी टीचर ट्रेनिंग) डिप्लोमा की मान्यता शर्तें पूरी न करने के कारण खारिज कर दिए गए। इससे हिमाचल में नर्सरी और केजी कक्षाओं की शुरुआत को लेकर बनाई गई योजना अटकने के कगार पर पहुंच गई है।

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क्यों फंसी भर्ती प्रक्रिया?

भर्ती की यह प्रक्रिया नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (NCTE) की गाइडलाइंस के अनुरूप चलाई जा रही है। NCTE के नियमों के मुताबिक, अभ्यर्थी के पास केंद्र सरकार या NCTE से मान्यता प्राप्त संस्थान से दो वर्षीय नर्सरी टीचर ट्रेनिंग (NTT) डिप्लोमा होना अनिवार्य है।

जांच में हुआ खुलासा

पात्रता जांच के दौरान सामने आया कि अधिकांश अभ्यर्थियों के पास या तो एक वर्षीय कोर्स के प्रमाण पत्र थे या फिर ऑनलाइन व प्राइवेट संस्थानों से लिए गए अप्रूव्ड न होने वाले डिप्लोमा।

 

कई उम्मीदवारों ने तो ऐसे प्रशिक्षण संस्थानों से कोर्स किए थे, जिन्हें राज्य या केंद्र स्तर पर कोई मान्यता ही प्राप्त नहीं थी। परिणामस्वरूप विभाग के पास सिर्फ 14 योग्य उम्मीदवारों की सूची ही रह गई।

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जयराम सरकार के समय शुरू हुई थी भर्ती

यह भर्ती प्रक्रिया पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के कार्यकाल में शुरू की गई थी। उस समय शिक्षा विभाग ने 6,297 नर्सरी टीचर पदों को स्वीकृति दी थी, ताकि सरकारी स्कूलों में नर्सरी और केजी कक्षाएं शुरू की जा सकें। मगर बीच में सत्ता परिवर्तन के बाद यह प्रक्रिया ठंडे बस्ते में चली गई।

 

वर्तमान में मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की सरकार ने इसे दोबारा गति दी और निर्णय लिया कि भर्ती अब पूरी तरह NCTE के मानकों के अनुसार ही होगी, ताकि भविष्य में किसी कानूनी या प्रशासनिक अड़चन का सामना न करना पड़े।

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इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ने ली थी साक्षात्कार प्रक्रिया

भर्ती प्रक्रिया के तकनीकी और साक्षात्कार चरणों की जिम्मेदारी इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन को दी गई थी। दो महीने तक सभी जिलों में निजी एजेंसियों के माध्यम से अभ्यर्थियों के साक्षात्कार लिए गए। हालांकि, दस्तावेजों की जांच के दौरान जैसे-जैसे प्रमाण पत्रों की वास्तविकता सामने आई, पूरी प्रक्रिया वैधानिक रूप से आगे बढ़ाना मुश्किल हो गया।

सरकार के सामने तीन विकल्प

अब सरकार के पास तीन संभावित विकल्प हैं-

  • भर्ती प्रक्रिया को स्थगित कर पुनः विज्ञापन जारी करना
  • राज्य शिक्षा विभाग द्वारा स्वयं अपने प्रशिक्षण केंद्रों में मान्यता प्राप्त NTT कोर्स शुरू करना
  • केंद्र सरकार से नियमों में आंशिक छूट की मांग करना। फिलहाल शिक्षा विभाग ने सभी पहलुओं पर मंथन शुरू कर दिया है।

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जल्द लिया जाएगा निर्णय

शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने इस पूरे मामले की पुष्टि करते हुए कहा कि सरकार इस पर गंभीरता से विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि भर्ती प्रक्रिया को किसी भी स्थिति में नियमों से परे नहीं किया जा सकता। केंद्र सरकार ने स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए हैं कि केवल NCTE से मान्यता प्राप्त संस्थान से प्रशिक्षित अभ्यर्थियों को ही नियुक्त किया जाए। इस मुद्दे पर जल्द ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

भविष्य की योजना

सूत्रों के अनुसार, सरकार अब विचार कर रही है कि राज्य स्तर पर अपने प्रशिक्षण केंद्रों में NTT कोर्स शुरू किए जाएं, ताकि आने वाले वर्षों में हिमाचली अभ्यर्थी खुद को योग्य बनाकर इन पदों पर आवेदन कर सकें। फिलहाल, 6,297 पदों की यह महत्वाकांक्षी भर्ती फिलहाल “पात्रता के जाल” में फंसी हुई है और प्रदेश के सरकारी स्कूलों में नर्सरी शिक्षा की शुरुआत पर सवालिया निशान लग गया है।

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