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November 1, 2025

टूट गई रस्म- श्री रेणुका जी मेले में पालकी को कंधा देने नहीं पहुंचे CM सुक्खू, रही ये वजह

तकनीकी खराबी के कारण कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सके सीएम

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 renuka ji mela

सिरमौर। हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक अंतरराष्ट्रीय श्री रेणुका जी मेला आज से शुरू हो गया है। यह मेला मां रेणुका और भगवान परशुराम के वार्षिक मिलन का प्रतीक माना जाता है और प्रदेश के सबसे प्राचीन धार्मिक उत्सवों में से एक है।

नहीं पहुंच पाए CM सुक्खू

CM सुखविंदर सिंह सुक्खू को रेणुका पहुंचकर शोभायात्रा का शुभारंभ करना था, लेकिन बिहार से लौटते वक्त हेलीकॉप्टर में आई तकनीकी खराबी के कारण वे सिरमौर नहीं पहुंच पाए। उनकी अनुपस्थिति में उद्योग मंत्री हर्ष वर्धन चौहान ने भगवान परशुराम की पालकी को कंधा देकर शोभायात्रा की शुरुआत की। बता दें कि कई वर्षों से प्रदेश के सीएम द्वारा शोभायात्रा में कंधा देने की परंपरा चल

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सीएम सुक्खू ने  रेणुका विधानसभा क्षेत्र में 29.50 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। उन्होंने प्रदेशवासियों और क्षेत्रवासियों को मेले की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि रेणुका मेला हिमाचल की जीवंत परंपरा और आस्था का प्रतीक है।

शोभायात्रा में उमड़ा जनसैलाब

रेणुका झील के तट पर सजे मेले में हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। भगवान परशुराम की पालकी को लेकर निकली शोभायात्रा में क्षेत्र के सैकड़ों लोग शामिल हुए। विधानसभा उपाध्यक्ष विनय कुमार सहित जिला प्रशासन के अधिकारी भी उपस्थित रहे।

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मेले में लोक नृत्यों, पारंपरिक झांकियों, हस्तशिल्प प्रदर्शनी और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम रहेगी। सुरक्षा और यातायात व्यवस्था के लिए जिला प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम किए हैं।

हर्षवर्धन चौहान बोले – मेले हमारी संस्कृति की पहचान हैं

मीडिया से बातचीत में उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि यह मेला न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि हिमाचली संस्कृति और लोक परंपरा को जीवित रखने का प्रतीक भी है। उन्होंने कहा कि सिरमौर में विकास कार्य तेजी से आगे बढ़ रहे हैं और प्रदेश सरकार यहां के सर्वांगीण विकास को लेकर प्रतिबद्ध है।

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पौराणिक कथा से जुड़ी है मेले की परंपरा

रेणुका जी मेला कार्तिक शुक्ल एकादशी से प्रारंभ होकर पांच दिनों तक चलता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान परशुराम हर वर्ष इस दिन अपनी माता रेणुका जी से मिलने आते हैं। मां-बेटे के इस पवित्र मिलन की झलक शोभायात्रा और धार्मिक अनुष्ठानों में देखी जाती है।

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