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December 5, 2025
संसद में गूंजी पौंग विस्थापितों की आवाज, अनुराग ठाकुर ने याद दिलाई 50 साल की पीड़ा; केंद्र से मांगा न्याय
अनुराग ठाकुर ने संसद तक पहुंचाई पौंग विस्थापितों की आवाज, केंद्र से मांगा न्याय
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नई दिल्ली/शिमला। हिमाचल प्रदेश के हितों को राष्ट्रीय मंच पर मजबूती से रखने की बात आती है तो सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर हमेशा अग्रणी दिखाई देते हैं। रेल परियोजनाओं को गति दिलाने से लेकर आपदा प्रभावित परिवारों के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत राहत सुनिश्चित करवाने तक अनुराग ठाकुर लगातार दिल्ली में हिमाचल की आवाज बुलंद करते रहे हैं। अब उन्होंने एक बार फिर प्रदेश के सबसे पुराने और संवेदनशील मुद्दे पौंग बांध विस्थापितों की दशकों पुरानी पीड़ा को संसद में बेबाकी से उठाते हुए केंद्र सरकार का ध्यान इस मानवीय संकट की ओर खींचा है।
शुक्रवार को लोकसभा में शून्यकाल के दौरान अनुराग ठाकुर ने कांगड़ा के पौंग डैम से प्रभावित हजारों परिवारों की व्यथा रखते हुए कहा कि यह मसला सिर्फ पुनर्वास का नहीं, बल्कि उन वादों का है जो 50 साल पहले किए गए थे और आज तक पूरे नहीं हुए। उन्होंने मांग की कि जल शक्ति मंत्रालय और गृह मंत्रालय के नेतृत्व में हिमाचल-राजस्थान के बीच एक उच्च स्तरीय इंटर-मिनिस्टेरियल कमेटी का गठन किया जाए ताकि पुनर्वास की प्रक्रिया में तेजी लाई जा सके।
अनुराग ठाकुर ने सदन में बताया कि 1970 में बने पौंग डैम के कारण 339 गांवों के 20,772 परिवार विस्थापित हुए थे। तत्कालीन सरकार ने उन्हें राजस्थान के इरिगेशन कमांड एरिया में जमीन देने का वादा किया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप (1996 के फैसले सहित), 1970 के एमओयू और राजस्थान कॉलोनाइजेशन रूल्स, 1972 के बावजूद 6,700 से अधिक परिवार आज भी जमीन के आवंटन का इंतजार कर रहे हैं। कई परिवारों को अधूरी सुविधाएं, कब्जों की समस्याएं और लंबित प्रशासनिक प्रक्रियाओं का भी सामना करना पड़ रहा है।
सदन में बोलते हुए अनुराग ठाकुर ने कहा मैं देवभूमि हिमाचल से आता हूं, जहां के लोगों ने देश के लिए पानी, जवानी और कुर्बानी देने में कभी पीछे कदम नहीं रखा। लेकिन आज भी हजारों परिवार न्याय की प्रतीक्षा में हैं। यह समय है कि केंद्र सरकार इनके पुनर्वास को प्राथमिकता दे। अनुराग ठाकुर ने केंद्र से आग्रह किया कि विस्थापितों के पुनर्वास को मिशन मोड में लाया जाए और दोनों राज्यों के बीच लंबित प्रक्रियाओं को तुरंत निपटाकर प्रभावित परिवारों को न्याय दिलाया जाए।
बता दें कि हिमाचल के कांगड़ा जिला में बना सबसे बड़ा पौंग बांध 339 गांवों को विस्तापित कर बनाया गया था। यह परिवार आज भी विस्थापन का दंश झेल रहे हैं। यहां से विस्थापित हुए हजारों परिवारों को सरकार ने राजस्थान में जमीन देने का वादा किया था। कई लोगांे को जमीन दी भी गई। लेकिन आधे से अधिक लोग आज भी जमीन मिलने का इंतजार कर रहे हैं। बड़ी बात यह है कि जिन लोगों को राजस्थान में जमीन दी गई थी, उन पर भी भू माफिया ने कब्जा कर लिया, अपनी जमीन को पाने के लिए विस्थापित लोग अब दो सरकारों के बीच पिस रहे हैं।
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आज हिमाचल के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने लोकसभा में इन विस्थापितों का मुद्दा उठाकर यह साबित कर दिया है कि वह हिमाचल वासियों के सच्चे हितैशी हैं और जब भी जरूरत पड़ेगी वह केंद्र में हिमाचल की आवाज को इसी तरह से बुलंद करते रहेंगे।