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October 14, 2025
हिमाचल हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: मंदिरों में दान की राशि के खर्च पर लगाई बंदिशें
कहा- धन देवता का है- सरकार का नहीं, ट्रस्टी सिर्फ उसका संरक्षक
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शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने मंदिरों को दान की गई धनराशि के दुरुपयोग पर रोक लगाने के लिए ऐतिहासिक दिशा-निर्देश जारी किए हैं। कोर्ट के इस फैसले ने न केवल धार्मिक संस्थाओं के कामकाज में पारदर्शिता बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त किया है, बल्कि सुक्खू सरकार के लिए भी नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं।
न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश राकेश कैंथला की खंडपीठ ने जनहित याचिका का निपटारा करते हुए निर्देश दिए हैं कि मंदिरों में आने वाले दान का उपयोग केवल धर्म, शिक्षा और सामाजिक कल्याण के लिए किया जाए। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि दान राशि का अन्य उद्देश्यों, निजी व्यवसाय या सरकारी परियोजनाओं में उपयोग पूर्णतः प्रतिबंधित होगा।
हाईकोर्ट ने मंदिरों को आदेश दिया है कि वे अपनी मासिक आय-व्यय रिपोर्ट, दान से वित्त पोषित परियोजनाओं का विवरण और लेखापरीक्षा सारांश अपनी वेबसाइट या नोटिस बोर्ड पर सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करें। यह कदम भक्तों में विश्वास पैदा करने के साथ ही मंदिर ट्रस्टीज़ की जवाबदेही सुनिश्चित करेगा।
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कोर्ट ने साफ किया कि यदि किसी ट्रस्टी ने मंदिर के धन का दुरुपयोग किया या करने का प्रयास किया] तो वह व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी होगा और राशि वसूल की जाएगी। कोर्ट ने जोर देकर कहा कि “धन देवता का है, सरकार का नहीं”, और ट्रस्टी केवल संरक्षक हैं।
हाईकोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले से सुक्खू सरकार पर अतिरिक्त दबाव बढ़ गया है। राज्य सरकार को अब मंदिरों की वित्तीय निगरानी, नियमों का क्रियान्वयन और धार्मिक संस्थाओं की पारदर्शिता सुनिश्चित करनी होगी। सरकारी स्तर पर इस दिशा में ठोस कार्रवाई न होने की स्थिति में सरकार को सार्वजनिक और कानूनी आलोचना का सामना करना पड़ सकता है।