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April 5, 2025

हिमाचल HC से सुक्खू सरकार को झटका, जानें किस फैसले पर लगी अंतरिम रोक ?

अनुबंध कर्मियों को मिली अंतरिम राहत, सरकार को नोटिस जारी

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himachal news

शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को एक बार फिर बड़ा झटका दिया है। खाद्य आपूर्ति विभाग के कर्मचारियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अनुबंध काल की वरिष्ठता लाभ वापसी संबंधी सरकार के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति रंजन शर्मा की खंडपीठ ने दिया है।

अदालत ने मांगा जवाब

राज्य सरकार ने 3 अप्रैल को आदेश जारी कर अनुबंध सेवा के आधार पर मिली वरिष्ठता को वापस लेने की घोषणा की थी। इसी फैसले को चुनौती देते हुए कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।

 

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खंडपीठ ने इस पर सुनवाई करते हुए सरकार को दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। हालांकि कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि याचिकाकर्ताओं को दी गई अंतरिम राहत का अर्थ यह नहीं है कि उन्हें कोई स्थायी अधिकार प्राप्त हुआ है।

सरकार के नए कानून पर भी उठे सवाल

यह मामला उस व्यापक विवाद से जुड़ा है जिसमें अनुबंध सेवाकाल को पदोन्नति और वरिष्ठता में शामिल करने को लेकर सरकार और कर्मचारियों के बीच टकराव बना हुआ है।

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7 फरवरी 2024 को लागू किए गए 'हिमाचल प्रदेश सरकारी कर्मचारी भर्ती एवं सेवा शर्तें अधिनियम 2024' के तहत वर्ष 2003 के बाद नियुक्त कर्मचारियों की अनुबंध सेवा अवधि को वरिष्ठता के लिए अमान्य घोषित किया गया है। इसी कानून को लेकर "लेखराज बनाम हिमाचल प्रदेश सरकार" मामले में भी याचिका दायर की गई है, जिसकी अगली सुनवाई 25 अप्रैल को होनी है।

अन्य विभागों में भी हो सकता है असर

खाद्य आपूर्ति विभाग में सरकार ने पहले पदोन्नति संबंधी आदेश जारी किए थे, लेकिन याचिका दायर होते ही इन्हें वापस ले लिया गया। अब हाईकोर्ट की रोक के बाद यह फैसला अन्य विभागों पर भी असर डाल सकता है, जहां पहले ही अनुबंध काल की वरिष्ठता के आधार पर लाभ वापस लिए जा चुके हैं। इससे कर्मचारियों को राहत मिलने की उम्मीद जगी है।

बद्दी में कर्मचारियों के तबादले पर भी रोक

हाईकोर्ट ने बद्दी स्थित जीएमपी टेक्निकल सॉल्यूशंस में कार्यरत कर्मचारियों के बड़े पैमाने पर हो रहे तबादलों पर भी अंतरिम रोक लगा दी है। यह याचिका कंपनी के कर्मचारी संघ की ओर से दायर की गई थी।

 

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न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 22 अप्रैल तय की है और दोनों पक्षों को 21 अप्रैल तक जवाब दाखिल करने को कहा है। यूनियन का आरोप है कि 3 मार्च को लेबर अधिकारी को डिमांड नोटिस देने के बाद कंपनी ने पहले 100 और फिर 85 कर्मचारियों का एकतरफा तबादला अन्य राज्यों में कर दिया,

जिसे असंवैधानिक बताया गया है।

जेलों की हालत सुधारने में लापरवाही

हिमाचल प्रदेश की जेलों में व्याप्त अव्यवस्था और अदालत के पूर्व आदेशों की अनदेखी पर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति रंजन शर्मा की खंडपीठ ने सरकार को आदेश दिया है कि वह जेल सुधार से जुड़े निर्देशों की अनुपालना रिपोर्ट तीन सप्ताह के भीतर प्रस्तुत करे। ऐसा न करने पर संबंधित अधिकारियों को अदालत में पेश होना पड़ेगा।

निगरानी रखने के दिए गए थे निर्देश

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के 2013 के आदेशों के तहत राज्यों के हाईकोर्ट्स को जेलों की स्थिति पर निगरानी रखने के निर्देश दिए गए थे। इसके बाद हिमाचल हाईकोर्ट ने जेलों में काउंसलर और विजिटर बोर्ड के गठन तथा महिला वार्डरों की नियुक्ति जैसे आदेश दिए थे, जिन पर अब तक कार्यवाही नहीं हुई है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 15 मई को होगी और तब तक राज्य सरकार से स्पष्ट प्रगति रिपोर्ट की अपेक्षा की गई है।

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