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April 12, 2025
हिमाचल: शहीद बेटे को पुकार रही मां, बेटी को गर्व... पिता को है सरकार से शिकायत
दो माह पहले छुट्टी पर घर आया था शहीद कुलदीप चंद
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हमीरपुर। हिमाचल के हमीरपुर जिला के जवान कुलदीप चंद ने अपन सर्वोच्च बलिदान देश के लिए दे दिया है। उनके घर में सांत्वना देने वालों की भीड़ जुट रही है। घर के बरामदे में बैठी मां एक ही बात कह रही है कि मेरे दीपू तू कुथो चली गया, यानी मेरा बेटा दीपू तू कहां चला गया। बेटे की शहादत पर मां का यह विलाप हर किसी की आंख में आंसू ला दे रहा है। मां के अलावा शहीद की पत्नी और बच्चों के आंसू भी थम नहीं रहे हैं।
शहीद जवान कुलदीप चंद हिमाचल के हमीरपुर जिला के गलोड़ के कोहलवीं गांव के रहने वाले थे। घर के आंगन में कुर्सी पर बैठे बूढ़े पिता को जहां अपने बेटे की शहादत पर गर्व है। वहीं देश प्रदेश की सरकारों से वह खासे नाराज भी हैं। उनका कहना है कि सरकारों को इस आतंकवाद को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए, ताकि किसी और के परिवार से उनका जवान बेटा ना बिछड़े। सरकार को जवानों और उनके परिवारों की तकलीफ के बारे में सोचना चाहिए।
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शहीद कुलदीप के पिता ने बताया कि अभी दो माह पहले ही उनका बेटा छुट्टी पर घर आया था। चार से पांच दिन पहले उनकी उससे बात भी हुई थी। जिसमें उसने कहा था कि वह जल्द ही दोबारा छुट्टी लेकर घर आएगा। लेकिन उससे पहले ही उसके शहीद होने की खबर सामने आ गई।
इसी तरह से शहीद की बेटी ने भी अपने पिता पर गर्व जताया है। शहीद कुलदीप की बेटी ने कहा कि अपने पिता की शहादत पर उन्हें गर्व है। लेकिन एक सत्य यह भी है कि उसके पिता अब हमेशा के लिए उन्हें छोड़ कर चले गए हैं। बेटी ने बताया कि उसकी पिता से अकसर बात होती थी, लेकिन उन्होंने कभी नहीं बताया कि वह वहां इतनी मुसिबत में हैं। हमेशा हंस कर बात करते थे।
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बता दें कि हिमाचल प्रदेश के फौजी बेटे ने देश की रक्षा करते हुए सर्वोच्च बलिदान दे दिया है। जम्मू.कश्मीर में सबसे बड़े आतंकी संगठन जैश के तीन आतंकियों को मौत के घाट उतार कर हिमाचल का यह जवान शहीद हो गया। जवान कुलदीप चंद हिमाचल के हमीरपुर जिला के गलोड़ के कोहलवीं गांव के रहने वाले थे। जवान कुलदीप भारतीय सेना में जेसीओ के पद पर तैनात थे। जवान के शहीद होने की खबर जैसे ही उनके गांव में पहुंची तो परिवार सहित पूरे गांव में मातम छा गया।
जवान की शहादत से उसके घर में बूढ़ी मां और पत्नी का रो रोक कर बुरा हाल है। वहीं उनके पिता रिटायर फौजी एक तरफ जहां बेटे की बहादुरी पर गर्व कर रहे हैं, वहीं बेटे की शहादत ने उन्हें गहरे जख्म दिए हैं। जवान कुलदीप के दो छोटे छोटे बच्चे भी हैं। जिसमें एक बेटा और एक बेटी है, जो अभी स्कूल में पढ़ते हैं।
सेना के हवाले से कहा गया है कि 11 अप्रैल की देर शाम को जम्मू के अखनूर सेक्टर में नियंत्रण रेखा पर सीमा पार से आतंकियों ने घुसपैठ की कोशिश की। कुलदीप के नेतृत्व में सेना के तीन जवानों की टीम ने उन्हें चुनौती दी। कुलदीप कुमार ने अपनी टीम के साथ सुंदरबनी के केरी बट्टल क्षेत्र में नियंत्रण रेखा पर घुसपैठ विरोधी अभियान का बहादुरी से सामना किया और तीन आतंकियों को मार गिराया। जवान कुलदीप ने अपने प्राणों की आहूति दे दी, लेकिन आतंकवादियों को अंदर नहीं घुसने दिया और उनकी घुसपैठ को नाकाम कर दिया।
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कुलदीप चंद ने आतंकियों का अंतिम दम तक सामना किया। उन्होंने बहादुरी से मुंहतोड़ जवाब देते हुए आतंकियों की घुसपैठ को नाकाम कर दिया। कुलदीप की टीम ने तीन आतंकियों को मार गिराया, लेकिन खुद भी जख्मी हो गए।
मारे गए तीनों आतंकी जैश-ए-मोहम्मद के हैं। इनमें टॉप कमांडर सैफुल्लाह भी शामिल है। गंभीर रुप से घायल कुलदीप चंद को तुरंत सेना के अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उनकी जान नहीं बच पाई। इलाके में तलाशी अभियान जारी है। घुसपैठ की सूचना पर भारतीय सेना बॉर्डर एरिया के कई जगह पर अभियान चला रही है।
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कोहलवीं क्षेत्र का कुलदीप चंद वर्ष 1996 में सेना में भर्ती हुआ था। वह वर्तमान में 9 पंजाब में सेवारत था। वहं जम्मू कश्मीर के अखनूर में तैनात था। जवान के घर में उनके बूढ़े माता पिता के अलावा पत्नी और दो बच्चे भी हैं। जवान ने दुश्मनों से लोहा लेते हुए शहादत प्राप्त की है। ग्राम पंचायत गाहली के प्रधान कपिल ठाकुर ने बताया कि बीते शुक्रवार देर रात को कुलदीप चंद के शहीद होने की सूचना सेना की तरफ से दी गई है। रविवार को पार्थिव देह गांव पहुंचेगी तदोपरांत अंतिम संस्कार किया जाएगा।
सेना की व्हाइट नाइट कोर ने ट्वीट कर उन्हें श्रद्धांजलि देते लिखा कि जीओसी व्हाइट नाइट कोर और सभी सैनिक जेसीओ कुलदीप चंद के सर्वोच्च बलिदान को सलाम करते हैं। वे आतंकियों की घुसपैठ रोकने के लिए चलाए गए ऑपरेशन का नेतृत्व करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए।