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March 22, 2025
हिमाचल सरकार बनाम अफसरशाही: खिलाफत में उतरे कई सारे अधिकारी..
तरुण श्रीधर के बोल खोल गए सुक्खू सरकार की पोल
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शिमला। हिमाचल प्रदेश में विमल नेगी मौत मामले के बाद से इन दिनों सरकार और अफसरशाही के बीच टकराव गहराता जा रहा है। राज्य प्रशासन के कई अधिकारी सरकार के खिलाफ मुखर हो चुके हैं, जिससे शासन-प्रशासन के बीच अविश्वास की स्थिति बन गई है।
हाल ही में हुई विमल नेगी की संदिग्ध मौत के बाद मामला और गरमा गया है। वहीं, इस घटनाक्रम में एक और अधिकारी ने मुखरता से डिपार्टमेंट के अंदर चल रही बड़े अफसरों की अफसरशाही पर कई सवाल दागे है। आईपीएस अधिकारी भूपेन्द्र नेगी की फ़ेसबुक पोस्ट पर लिखा कि हिमाचल पुलिस में भी एक ऐसा बहुत बड़ा अधिकारी है, जिसने बहुत ऑफिसर को परेशान कर रखा है.. कभी कहीं. कोई..” अब विमल नेगी आत्महत्या मामले के बाद कर्मचारी खुलकर प्रतिक्रिया लिख रहे हैं। उनके इस लेख के कई सारे मायने निकाले जा रहे हैं, मगर सवाल फिर भी सरकार और सरकार की व्यवस्था पर ही उठ रहे हैं।
इधर सरकार की व्यवस्था संभाले अधिकारियों के साथ-साथ रिटायर्ड अधिकारियों ने भी बड़ी मुखरता के साथ सरकार और विभाग के अंदर जल रही ज्वाला को बताया है। आईएएस तरुण श्रीधर का एक प्रतिष्ठित अखबार में छपा एडिटोरयिल जहां सरकार की मंशा पर सवाल खड़े कर रहा है, वहीं- विभाग के अंदर प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा छोटे कर्मचारियों के ऊपर बनाए जा रहे दबाव को भी साफ तौर पर उजागर करता है। अपने इस लेख में तरुण श्रीधर ने व्यवस्था परिवर्तन वाली सरकार को घेरते हुए कहा है कि व्यवस्था की हत्या तो कबकी कर दी जा चुकी है। वहीं, इस लेख के सामने आने के बाद से विपक्ष के कई नेता भी सरकार को घेर रहे हैं।
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बता दें कि, विमल नेगी की मौत को लेकर कई तरह की चर्चाएं गर्म हैं। कुछ प्रशासनिक अधिकारियों का मानना है कि उन पर लगातार दबाव था, जिससे मानसिक तनाव में आकर उन्होंने यह कदम उठाया। हालांकि, सरकार इस मामले में सफाई दे रही है, लेकिन प्रशासनिक हलकों में सरकार के प्रति अविश्वास बढ़ता जा रहा है। कई अधिकारी सरकार की कार्यशैली और बढ़ते राजनीतिक दबाव को लेकर नाराज बताए जा रहे हैं।
पिछले कल प्रदेश के जिला हमीरपुर में एक और सरकारी कर्मचारी ने जहर निगल अपनी जीवन लीला समाप्त कर दी। उसने ये कदम बीच बाजार में उठाया- जहां उसने अपने जेब से जहर की शीशी निकाल अपने जीवन का अंत कर दिया। मृतक की पहचान वतन सिंह निवासी गांव भारीं के रूप में हुई है। वह उपायुक्त कार्यालय के राजस्व विभाग में कार्यरत थे, हालांकि ये जांच का विषय है कि उन्होंने ये कदम क्यों उठाया है।
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वहीं, अंदरखाते खबर तो ये भी है कि प्रदेश में कई वरिष्ठ अधिकारी सरकार के फैसलों से असंतुष्ट हैं। नौकरशाही में चर्चा है कि सरकार लगातार अधिकारियों पर दबाव बना रही है और स्वतंत्र रूप से काम करने की आजादी छीनी जा रही है। यही कारण है कि हाल के दिनों में प्रशासनिक फेरबदल भी काफी तेजी से किए गए हैं।
सूत्रों के अनुसार, कुछ अधिकारी इस बात से नाराज हैं कि सरकार प्रशासनिक फैसलों में जरूरत से ज्यादा दखल दे रही है। इससे न केवल अफसरशाही पर दबाव बढ़ा है, बल्कि निर्णय लेने की प्रक्रिया भी प्रभावित हो रही है। विमल नेगी की मौत के बाद इस असंतोष ने और उग्र रूप ले लिया है।
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प्रदेश सरकार का कहना है कि अधिकारी सरकार के अंग होते हैं और सुचारू प्रशासनिक व्यवस्था के लिए राजनीतिक नेतृत्व और अफसरशाही का संतुलन जरूरी है। लेकिन विरोधी गुट का कहना है कि नौकरशाही को अपने अधिकारों के अनुसार काम करने दिया जाए और राजनीतिक दबाव से मुक्त रखा जाए।
विमल नेगी की मौत के बाद उपजे हालात को देखते हुए साफ है कि आने वाले दिनों में यह टकराव और बढ़ सकता है। अगर सरकार और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच संवाद की प्रक्रिया मजबूत नहीं हुई, तो इसका असर प्रदेश के विकास कार्यों पर भी पड़ सकता है।