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July 16, 2025
चिंतपूर्णी माता ने बिगड़े काम संवारे, भक्त ने मंदिर में चढ़ाया रत्नों जड़ा मुकुट और सोने के नेत्र
माता चिंतपूर्णी पर खूब सज रहा रत्नों से सजा मुकुट और सोने के नेत्र
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ऊना। देवभूमि हिमाचल के शक्तिपीठों और मंदिरों से लोगों की गहरी आस्था जुड़ी हुई है। यहां के मंदिरों में ना सिर्फ स्थानीय लोगो बल्कि बाहरी राज्यों के लोगों की भी भीड़ देखने को मिलती है। इन शक्तिपीठों और मंदिरों में कई भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और वो भेंट स्वरूप मंदिरों में कई तरह के चीजें चढ़ाते हैं।
ताजा मामला ऊना जिले से सामने आया है। यहां स्थित चिंतपूर्णी माता मंदिर एक बार फिर भव्य भेंट से सुर्खियों में आ गया है। चिंतपूर्णी मंदिर के दरबार में एक श्रद्धालु ने रत्नों से जड़ा मुकुट और सोने के बने नेत्र भेंट किए हैं।
दिलचस्प बात ये है कि ये श्रद्धालु पिछले 12 साल से हर सावन में माता के दर्शन करने के लिए वडोदरा से हिमाचला आता है। हर बार ये माता के चरणों कुछ ना कुछ शानदार चीजें भेंट चढ़ाता है। अब इस श्रद्धालु ने एक बार फिर मां के चरणों में मुकुट और नेत्र भेंट किए हैं- जिनकी कीमत लाखों रुपए में बताई जा रही है।
वडोदरा से आए श्रद्धालु कौशल सेखड़ी का कहना है कि माता की उसपर हमेशा कृपा रही है। माता ने हमेशा उसकी हर मनोकामना पूरी की है। वो आज जो कुछ भी है सब चिंतपूर्णी माता के आशीर्वाद से है। सेखड़ी ने कहा कि वे पिछले 12 साल से हर सावन महीने में अपने परिवार के साथ मां के दर्शन करने के लिए आता है।
सेखड़ी का कहना है कि मां ने उसके और उसके परिवार के बिगड़े काम संवारे हैं। जिसके लिए वो सब मां के शुक्रगुजार हैं और उनके चरणों में नतमस्तक हैं। मां के आशीर्वाद से जीवन में सुख-शांति और खुशहाली बनी हुई है।
जानकारी देते हुए मंदिर प्रशासन ने बताया कि कौशल ने जो रत्नों जड़ा मुकुट और सोने के नेत्र मां को भेंट किए हैं वो मां के विग्रह पर बहुत सुंदर लग रहे हैं। मुकुट की साज-सजावट भक्तों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है।
उन्होंने बताया कि कौशल ने पहले विधि-विधान के साथ मंदिर में पूजा करवाई और फिर मां के चरणों में भेंट चढ़ाई। जिसे पुजारियों द्वारा मां के श्रृंगार में उसी वक्त शामिल कर लिया गया। जिसे देखकर कौशल और उसके परिवार की आंखे खुशी से भर आई। उन्होंने माता रानी के जयकारे लगा कर अपनी खुशी व्यक्त की।
उल्लेखनीय है कि, भक्तों की सभी चिंताएं हर लेनी वाली माता चिंतपूर्णी का यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है-जहां माता सती के पैर गिरे थे। यहां पर हर साल सैंकड़ों श्रद्धालु माता के दर्शन करने के लिए आते हैं।
हिमाचल के छिन्नमस्तिका माता चिंतपूर्णी मंदिर के चारों ओर भगवान शिव रक्षक बनकर विराजते हैं। इस मंदिर में माता रानी ने अपने भक्त को कन्या रूप में दर्शन भी दिए थे- जिसके प्रमाण आज भी मंदिर में मौजूद हैं।
चिंतपूर्णी मंदिर की एक खासियत यह भी है कि मंदिर के चारों ओर स्वयं भगवान शिव वास करते हैं। मंदिर के पूर्व में कालेश्वर महादेव मंदिर, पश्चिम में नारायण महादेव मंदिर, उत्तर में मककंद महादेव मंदिर और दक्षिण में शिव बारी मंदिर आज भी मौजूद हैं।
पौराणिक कथाओं में इसका जिक्र होता है कि यहीं पर मां भगवती ने भक्त 'मैदास जी' को कन्या रूप में साक्षात दर्शन दिए थे और उनकी चिंता दूर हो गई थीं। कहा जाता है कि मैदास जी को दर्शन देने के बाद माता ने उनसे कहा कि वो जहां से भी पत्थर हटाएंगे-वहां से पानी निकलना शुरू हो जाएगा। ऐसे में माता के कहे अनुसार, भक्त मैदास ने जब वहां से पत्थर हटाया तो उसी स्थान से जल प्रवाह शुरू हो गया। आज भी इस पानी से बना तालाब मौके पर मौजूद है। साथ ही भक्त मैदास ने जिस पत्थर को निकाला था- वो पत्थर आज भी माता चिंतपूर्णी मंदिर के मुख्य द्वार के पास दाईं ओर रखा देखा जा सकता है।