#विविध
December 18, 2025
नहीं रहे महान मूर्तिकार राम सुतार, स्व. वीरभद्र सिंह प्रतिमा- 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' को दिया था आकार
100 साल की उम्र में हुआ निधन, नोएडा स्थित अपने घर में ली अंतिम सांस
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शिमला/नोएडा। भारत ने आज अपनी कला और सांस्कृतिक विरासत को आकार देने वाला एक महान शिल्पकार खो दिया। दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी से लेकर हिमाचल प्रदेश के विकास पुरुष स्व वीरभद्र सिंह की प्रतिमा तक, पत्थर और धातु में इतिहास रचने वाले महान मूर्तिकार राम सुतार का निधन हो गया। उनके जाने से न सिर्फ कला जगत सूना हो गया है, बल्कि देश ने उस हाथ को खो दिया है जिसने नेताओं, महापुरुषों और राष्ट्र की आत्मा को अमर रूप दिया।
दरअसल विश्वप्रसिद्ध मूर्तिकार राम सुतार का बुधवार देर रात नोएडा स्थित उनके आवास पर निधन हो गया। वे 100 वर्ष के थे। उनके निधन के साथ ही भारतीय मूर्तिकला के एक स्वर्णिम अध्याय का अंत हो गया है। उन्हें अंतिम सम्मान के रूप में गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाएगा। राम सुतार को विश्व स्तर पर गुजरात के केवड़िया में निर्मित "स्टैच्यू ऑफ यूनिटी" के शिल्पकार के रूप में जाना जाता है। 183 मीटर ऊंची यह प्रतिमा न सिर्फ सरदार वल्लभभाई पटेल को समर्पित है, बल्कि भारत की कला, तकनीक और संकल्प शक्ति का प्रतीक भी बन चुकी है।
राम सुतार की कृतियां देश के कई प्रतिष्ठित स्थलों की पहचान हैं। संसद परिसर में ध्यानमग्न महात्मा गांधी की प्रतिमा हो या घोड़े पर सवार छत्रपति शिवाजी महाराज की भव्य मूर्ति, हर रचना में जीवंतता और गरिमा झलकती है। वे मुंबई के जेजे स्कूल ऑफ आर्ट एंड आर्किटेक्चर से गोल्ड मेडलिस्ट रहे और जीवनभर कला साधना में लगे रहे।
हिमाचल प्रदेश के लिए भी उनका योगदान विशेष रूप से उल्लेखनीय है। शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान पर हिमाचल के विकास पुरुष वीरभद्र सिंह की 9 फीट ऊंची अष्टधातु प्रतिमा उन्हीं की कृति है। यह प्रतिमा न सिर्फ एक नेता की स्मृति है, बल्कि हिमाचल के विकास और राजनीतिक विरासत का प्रतीक भी मानी जाती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम सुतार के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि राम सुतार जैसे महान कलाकारों ने भारत के इतिहास, संस्कृति और सामूहिक भावना को अमर कर दिया है और उनका कार्य आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी। उल्लेखनीय है कि हाल ही में उन्हें महाराष्ट्र भूषण अवार्ड से सम्मानित किया गया था।
योगी सरकार ने अयोध्या में भगवान श्रीराम की 215 मीटर ऊंची भव्य प्रतिमा के निर्माण की जिम्मेदारी भी राम सुतार को सौंपी थी। उन्होंने इसके लिए दो प्रारूप तैयार किए थे, जिनमें से एक को सरकार ने स्वीकृति दी थी। यह परियोजना उनकी अंतिम और सबसे महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक मानी जाती है। राम सुतार का जाना केवल एक कलाकार का जाना नहीं हैए बल्कि भारत की आत्मा को आकार देने वाले युग का अवसान है। उनकी कृतियां आने वाले सदियों तक देश की पहचान और प्रेरणा बनी रहेंगी।