#अव्यवस्था
December 18, 2025
अस्थायी टीचर रखने जा रही है सुक्खू सरकार- 5 साल बाद नौकरी से निकाल दिए जाएंगे
स्थायी समाधान छोड़ अस्थायी प्रयोग में जुटी सरकार
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शिमला। हिमाचल प्रदेश में सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था पर आए दिन सवाल उठते ही रहे है और अब सरकार एक और ऐसा फैसला लेने जा रही है, जिसके बाद कई लोग इसके विरोध में उतर गए है। सरकार केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से संबद्ध रखने वाले सरकारी स्कूलों में अब अस्थायी शिक्षक भर्ती करने जा रही है, जिसके बाद जनता इस कदम को पूरी तरह से दिशाहीन मान रही है। लोगों का मानना है कि ये शिक्षा व्यवस्था मजबूत करने के लिए नहीं बल्कि जुगाड़ करने के लिए की जा रही है।
CM सुखविंद्र सिंह सुक्खू की घोषणा के बाद शिक्षा विभाग ने CBSE स्कूलों के लिए अस्थायी शिक्षकों की भर्ती का प्रस्ताव तैयार करना शुरू कर दिया है। प्रस्ताव के अनुसार इन शिक्षकों की नियुक्ति पांच वर्ष की अवधि के लिए की जाएगी। विभागीय स्तर पर इसे शिक्षक कमी का समाधान बताया जा रहा है, लेकिन शिक्षा से जुड़े जानकार इसे स्थायी नीति से बचने की कोशिश मान रहे हैं।
शिक्षा विभाग का कहना है कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के पाठ्यक्रम की जरूरतें राज्य बोर्ड से अलग हैं, इसलिए शिक्षकों का अलग कैडर बनाया जाएगा। मौजूदा शिक्षकों का चयन परीक्षा के माध्यम से किया जाएगा, ताकि विषय विशेषज्ञ शिक्षक CBSE स्कूलों में सेवाएं दे सकें। इसके साथ-साथ अस्थायी शिक्षकों की भी भर्ती होगी।
इन अस्थायी शिक्षकों की शैक्षणिक योग्यता, अनुभव, मानदेय और सेवा शर्तों को तय करने का काम अभी चल रहा है। विभाग का तर्क है कि इससे स्कूलों को तुरंत शिक्षक मिल जाएंगे। लेकिन हकीकत यह है कि पांच साल की नौकरी अस्थिरता का ही दूसरा नाम है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या अस्थायी शिक्षक लंबे समय तक बच्चों को गुणवत्ता वाली शिक्षा दे पाएंगे।
सरकारी स्तर पर माना जा रहा है कि CBSE स्कूलों की मूल्यांकन प्रणाली अलग है, इसलिए यहां नियुक्ति प्रक्रिया भी अलग होनी चाहिए। लेकिन आलोचकों का कहना है कि सरकार स्थायी भर्ती से बच रही है। पहले ही प्रदेश के सरकारी स्कूलों में हजारों पद खाली हैं और अब CBSE स्कूलों में भी अस्थायी व्यवस्था कर दी जा रही है।
सूत्रों के अनुसार प्रस्ताव को अंतिम रूप देने के बाद मंत्रिमंडल की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। मंजूरी मिलते ही भर्ती प्रक्रिया शुरू होगी। सरकार का दावा है कि इससे विषयवार शिक्षकों की कमी दूर होगी और भविष्य की नीति बनाने के लिए समय मिलेगा।
पांच साल की अस्थायी नियुक्ति से सरकार को तो राहत मिल सकती है, लेकिन शिक्षा व्यवस्था को स्थायित्व नहीं। शिक्षक भी असुरक्षित रहेंगे और छात्र भी। यह फैसला कहीं न कहीं यह दिखाता है कि सरकार शिक्षा जैसे गंभीर मुद्दे पर भी तात्कालिक समाधान खोज रही है, न कि दूरगामी और ठोस नीति।