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April 4, 2025
कंगाल हुई हिमाचल सरकार, हिमकेयर और आयुष्मान कार्ड धारकों को दिया करारा झटका
अब स्पेशल वार्ड में नहीं मिलेगा मुफ्त इलाज
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शिमला। हिमाचल सरकार पर आयुष्मान और हिमकेयर योजनाओं पर 354 करोड़ से ज्यादा की देनदारी हो गई है। पहल ही कर्ज में गले तक डूबी सरकार के पास सरकारी अस्पतालों को 227 करोड़ और प्राइवेट अस्पतालों 127 करोड़ रुपए दोनों योजनाओं के लिए देने हैं। ऐसे में सरकार ने इन कार्ड धारकों से स्पेशल वार्ड में मुफ्त इलाज की सुविधा छीन ली है।
स्वास्थ्य सचिव के द्वारा जारी आदेश में केंद्र और राज्य सरकार के कार्ड धारकों को 1 अप्रैल से अस्पताल के स्पेशल वार्ड में भर्ती होने पर फ्री इलाज की सुविधाएं बंद कर दी गई हैं। सरकार ने दोनों कार्ड धारकों के लिए इलाज की शर्तों में एम पार्ट को हटा लिया है। हिमाचल सरकार के इस आदेश से हिमकेयर योजना के 8.5 लाख से अधिक कार्डधारकों को दोहरी मार पड़ी है, क्योंकि स्पेशल वार्ड में मुफ्त इलाज की सुविधा प्राइवेट अस्पतालों में भी बंद है।
आपको बता दें कि हिमाचल हेल्थ केयर स्कीम (हिमकेयर) और केंद्र सरकार के आयुष्मान भारत पीएम जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) के तहत 5 लाख रुपए तक मुफ्त इलाज की सुविधा दी जाती है। लेकिन अब यह इलाज मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने पर केवल जनरल वार्ड में ही मिलेगी, स्पेशल वार्ड में नहीं। हिमकेयर में इलाज का पूरा खर्च राज्य सरकार उठाती है, जबकि आयुष्मान कार्ड में केंद्र और राज्य सरकार मिलकर आधा-आधा खर्च उठाते हैं।
इससे पहले सुक्खू ने दोनों योजनाओं में सुधार के लिए एक कमेटी का गठन किया था। बताया जा रहा है कि सरकार ने कमेटी की सिफारिशों के आधार पर मुफ्त इलाज की सुविधा खत्म की है। लेकिन सूत्रों के अनुसार, राज्य सरकार ने 8 मार्च 2019 को जारी किए गए स्टेंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोटोकॉल (SoP) में एम क्लॉज को ही हटा दिया है। सूत्र इसके पीछे हिमाचल की आर्थिक तंगी को कारण बता रहे हैं।
वहीं प्रदेश की सुक्खू सरकार प्रदेश के अस्पतालों में मिलने वाली फ्री टेस्ट सुविधा को भी खत्म करने वाली है। यानी अब लोगों को सरकारी अस्पतालों में टेस्ट करवाने के पैसे चुकाने होंगे। इतना ही नहीं पर्ची बनवाने के लिए भी पैसे देने होंगे।
आपको बता दें कि सरकार अब अपने सरकारी अस्पतालों में बाह्य रोगियों को दी जाने वाली निशुल्क जांचों की सुविधा को समाप्त करने की तैयारी में है। सूत्रों के अनुसार स्वास्थ्य विभाग ने इस दिशा में प्रारंभिक प्रक्रिया शुरू कर दी है और सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है जिसमें पर्ची शुल्क 10 रुपये निर्धारित करने और मेडिकल जांचों के लिए फीस तय करने की सिफारिश की गई है। अब इस पर अंतिम निर्णय राज्य सरकार द्वारा लिया जाएगा।
स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि जब से निशुल्क जांच की सुविधा शुरू की गई है, तब से लोग हर महीने या तिमाही में बार-बार पूरे शरीर के टेस्ट करा रहे हैं, चाहे मेडिकल आवश्यकता हो या नहीं। इससे सरकारी प्रयोगशालाओं पर बोझ तो बढ़ा ही है, साथ ही सरकार को भी आर्थिक रूप से इसका भार उठाना पड़ रहा है। इस समय प्रदेश में लगभग 130 प्रकार की मेडिकल जांचें फ्री में की जा रही हैं, जिनका पूरा खर्च सरकार द्वारा वहन किया जा रहा है।