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March 1, 2025

दान दी गई ज़मीन अब बिक सकती है: हिमाचल में लागू हो रहा ये नया नियम

हिमाचल में धार्मिक संस्थाओं को जमीन बेचने और ट्रांसफर करने का अधिकार मिलने की संभावना

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शिमला। हिमाचल प्रदेश में धार्मिक संस्थाओं को जमीन बेचने और ट्रांसफर करने का कानूनी अधिकार मिलने की संभावना बढ़ गई है। प्रदेश सरकार द्वारा विधानसभा में पारित संशोधित विधेयक को अब राजभवन ने राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेज दिया है। यदि राष्ट्रपति की स्वीकृति मिल जाती है, तो यह नया प्रावधान हिमाचल प्रदेश में लागू किया जा सकेगा।

 

सरकार का कहना है कि यह संशोधन केवल धार्मिक गतिविधियों तक सीमित रहेगा, जिससे संस्थाएं अपनी जरूरत के अनुसार भूमि का उपयोग कर सकेंगी। हालांकि, होटल, व्यवसायिक प्रतिष्ठानों या किसी अन्य व्यावसायिक उद्देश्य के लिए यह सुविधा नहीं मिलेगी।

धार्मिक संस्थाओं के पास है हजारों बीघा जमीन

हिमाचल प्रदेश में वर्षों से लोगों द्वारा धार्मिक संस्थाओं को सैकड़ों बीघा भूमि दान में दी गई है, जिसके चलते अब इन संस्थाओं के पास अरबों की संपत्ति है। मौजूदा कानूनों के तहत, ये संस्थाएं इस जमीन को न तो बेच सकती हैं और न ही किसी अन्य को ट्रांसफर कर सकती हैं।

 

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हिमाचल सरकार ने इस विषय पर लैंड सीलिंग एक्ट-1972 में संशोधन किया है, जिससे कुछ विशेष परिस्थितियों में धार्मिक संस्थाओं को भूमि हस्तांतरित करने का अधिकार मिल सकता है।

राधास्वामी सत्संग ब्यास के लिए किया जा रहा संशोधन

यह संशोधन विशेष रूप से राधास्वामी सत्संग ब्यास संस्था के अनुरोध पर किया जा रहा है। यह संस्था हमीरपुर जिले के भोटा में स्थित एक चैरिटेबल अस्पताल को किसी सोसायटी को ट्रांसफर करना चाहती है। यह अस्पताल स्थानीय लोगों को मुफ्त चिकित्सा सेवाएं प्रदान करता है, इसलिए सरकार ने इसके कानूनी पहलुओं पर विचार करते हुए संशोधन की प्रक्रिया शुरू की।

संशोधन से पहले कानूनी समीक्षा

संशोधित विधेयक को मंजूरी देने से पहले राजस्व विभाग ने इसका मसौदा विधि विभाग को कानूनी जांच के लिए भेजा था। समीक्षा के बाद इसे कैबिनेट में लाया गया और फिर विधानसभा में पारित किया गया। अब अंतिम स्वीकृति के लिए इसे राष्ट्रपति के पास भेजा गया है।

 

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पुराने लैंड सीलिंग कानून में बदलाव

हिमाचल प्रदेश में भूमि के स्वामित्व और उपयोग को नियंत्रित करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. वाईएस परमार के कार्यकाल में "हिमाचल प्रदेश सीलिंग ऑन लैंड होल्डिंग एक्ट" लागू किया गया था। इस कानून के तहत भूमि स्वामित्व की एक सीमा तय की गई थी, ताकि भूमि का समान वितरण हो सके। इस एक्ट की धारा 5 के तहत कुछ संस्थाओं को भूमि सीमा से छूट दी गई थी, जिनमें राज्य और केंद्र सरकार, सहकारी समितियां, सहकारी बैंक, स्थानीय निकाय, चाय बागान, उद्योग, जल विद्युत परियोजनाएं और राधास्वामी सत्संग ब्यास शामिल थे।

 

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वर्ष 2014 में वीरभद्र सिंह सरकार के दौरान राधास्वामी सत्संग ब्यास को विशेष रूप से लैंड सीलिंग एक्ट से छूट दी गई थी, लेकिन भारत सरकार ने इस पर एक शर्त (राइडर) लगा दी थी कि इस भूमि को बेचा, पट्टे पर दिया, दान किया या किसी अन्य माध्यम से ट्रांसफर नहीं किया जा सकेगा।

राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद लागू होगा नया कानून

अब यदि राष्ट्रपति इस संशोधित विधेयक को मंजूरी दे देते हैं, तो हिमाचल में धार्मिक संस्थाओं को अपनी जरूरत के अनुसार भूमि हस्तांतरित करने की सुविधा मिल सकती है। हालांकि, यह सुविधा केवल धार्मिक और जनहित से जुड़े कार्यों तक सीमित रहेगी। इसके तहत व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए किसी भी प्रकार का लेन-देन प्रतिबंधित रहेगा।

सरकार का मानना है कि इस संशोधन से धार्मिक संस्थाएं अपनी परिसंपत्तियों का बेहतर उपयोग कर पाएंगी, जिससे सामाजिक कार्यों को बढ़ावा मिलेगा। वहीं, इस फैसले के प्रभावों पर विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक संगठनों की प्रतिक्रियाएं भी सामने आ सकती हैं।

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