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October 18, 2025

हिमाचल के इस गांव में नहीं मनाई जाती दिवाली, लोगों में है महिला के श्राप का खौफ- जानें

श्राप से मुक्ति पाने के लिए कई बार किए हवन-यज्ञ

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Cultural beliefs

हमीरपुर। इन दिनों समूचे भारत में दीपावली की धूम मची हुई है। मगर देवभूमि हिमाचल प्रदेश का एक गांव अपनी अनोखी परंपरा के लिए चर्चित है। यह ऐसा गांव है जहां सैकड़ों वर्षों से दिवाली का पर्व नहीं मनाया जाता। इस गांव में दिवाली पर घरों में पकवान बनाने या पटाखे जलाने की परंपरा से पूरी तरह परहेज है।

आज भी प्रभावी है श्राप

जानकारी के अनुसार, हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले में स्थित सम्मू गांव, जो कि जिले के मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर बसा है- में लोगों का मानना है कि यदि कोई गलती से भी दिवाली के दिन त्योहार मनाने की कोशिश करता है, तो गांव में आपदा या किसी की अकाल मृत्यु जैसी घटनाएं हो सकती हैं।

 

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स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इस गांव पर सती होने वाली महिला का श्राप आज भी प्रभावी है। कहा जाता है कि दिवाली के दिन यह महिला अपने पति के साथ सती हो गई थी। उस समय उसका पति सैनिक था और ड्यूटी के दौरान उसकी मृत्यु हो गई।

सती की मूर्ति पूजा करते हैं लोग

महिला इस सदमे को सहन नहीं कर सकी और अपने पति के साथ सती हो गई, साथ ही पूरे गांव को यह श्राप दिया कि यहां दिवाली कभी नहीं मनाई जाएगी। तब से गांव के लोग दिवाली के दिन केवल सती की मूर्ति की पूजा करते हैं और दीए जलाते हैं, लेकिन त्योहार का कोई आयोजन नहीं होता।

 

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गांव की प्रधान और अन्य महिलाएं बताती हैं कि उन्होंने कभी भी गांव में दिवाली मनाते नहीं देखा। कई परिवारों ने गांव के बाहर जाकर दिवाली मनाने की कोशिश की, लेकिन वहां भी आपदा का सामना करना पड़ा। एक परिवार ने दिवाली के दौरान पकवान बनाने की कोशिश की थी, तब अचानक उनके घर में आग लग गई।

कई बार किए हवन-यज्ञ

श्राप से मुक्ति पाने के लिए गांव में कई बार हवन-यज्ञ और बड़े आयोजन किए गए, लेकिन प्रयास असफल रहे। तीन साल पहले आयोजित बड़े यज्ञ के बाद भी कुछ लोगों ने दिवाली मनाने की कोशिश की,

 

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लेकिन उनके घर में आग लगने की घटना के बाद अब कोई भी इस गांव में दिवाली का उत्सव नहीं मनाता। युवाओं का कहना है कि आज भी यह परंपरा जारी है और दिवाली पर गांव में किसी न किसी की मृत्यु हो ही जाती है।

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