#विविध
September 21, 2025
हिमाचल में पांच महाशक्तियां हुईं एक साथ, आने वाले संकट पर लगा विराम- तबाह हो सकता था सब !
देवताओं की परिक्रमा और संकट पर नियंत्रण
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मंडी। हिमाचल प्रदेश, जिसे देवभूमि कहा जाता है- एक बार फिर देवशक्ति के चमत्कार का गवाह बना है। शनिवार देर शाम देउठा शक्तिपीठ छदारा में पांच महाशक्तियां एक साथ एकत्रित हुईं और अपनी दिव्य शक्ति से आने वाले बड़े संकट पर विराम लगा दिया।
देववाणी के अनुसार, अगर इस संकट को रोका न जाता तो इसका असर इतना व्यापक होता कि दुनिया पलभर में तबाह हो सकती थी। गूर के माध्यम से प्रकट हुई देववाणी में बताया गया कि वर्तमान समय में देश-दुनिया अजीब घटनाओं से गुजर रही है- कभी आपदा, कभी बाढ़ तो कभी बादल फटने जैसी घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं।
इसके बावजूद देवभूमि को अब तक देवशक्तियों ने सुरक्षित रखा है। आने वाले दिनों में मंडरा रहे एक बड़े संकट को रोकने के लिए ही पांच देवता छदारा शक्तिपीठ में एकत्र हुए। इनमें देव मार्कंडेय ऋषि, ईश्वर महादेव, बुंगड़ू महादेव, लक्ष्मी नारायण और हंसपुरी नारायण शामिल रहे।
गूर ने देववाणी सुनाते हुए हारियानों और स्थानीय लोगों को देव आदेशों का सख्ती से पालन करने की नसीहत दी। उन्होंने कहा कि देव नीति को बनाए रखना, देव स्थलों के साथ खिलवाड़ न करना और देव आदेशों का पालन करना हर व्यक्ति का धर्म है।
करीब 30 वर्षों बाद देव मार्कंडेय ऋषि अपने लगभग 300 हारियानों के साथ छदारा पहुंचे। यहां पहुंचते ही उन्होंने अन्य देवताओं के साथ मिलन किया और फिर सभी देवताओं ने मिलकर शक्तिपीठ की परिक्रमा की। परिक्रमा के बाद पांचों देवताओं ने अपनी शक्ति से संकट पर सूत्र बांधकर उस पर रोक लगा दी।
इसके बाद देवता देउठा शयरी में भी शामिल हुए। स्थानीय लोगों का मानना है कि यह दृश्य एक दुर्लभ संयोग था और लंबे समय बाद देवशक्तियों का ऐसा मिलन हुआ है। देव मार्कंडेय ऋषि के कारदार जीवन शर्मा ने बताया कि देवताओं ने एक आसन्न खतरे को भांपते हुए छदारा में एकत्रित होकर उसे टाल दिया है।
उन्होंने स्पष्ट कहा कि देवता ने साफ संदेश दिया है कि आने वाले दिनों में देव आदेशों का पालन करना अनिवार्य होगा। यदि देव स्थलों या देव नीति से छेड़छाड़ की गई तो इसके दुष्परिणाम सभी को भुगतने होंगे।
इस घटना के बाद स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं में गहरी आस्था और विश्वास का संचार हुआ है। लोगों का कहना है कि देवशक्तियों की कृपा से हिमाचल एक बड़े संकट से बच गया है। शक्तिपीठ छदारा में यह आयोजन लंबे समय तक याद किया जाएगा और आने वाली पीढ़ियां भी इसे एक चमत्कार के रूप में देखेंगी।