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November 2, 2025
हिमाचल में मनाई जाएगी देव दिवाली, काशी लौटेंगे भोलेनाथ- घाट पर जगमगाएंगे 1500 दीपक
ब्यास नदी के पवित्र डुगलेश्वर घाट पर किया जाएगा भव्य आयोजन
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मंडी। देवभूमि हिमाचल की छोटी काशी यानी मंडी नगरी एक बार फिर भक्ति और आस्था के रंग में रंगने जा रही है। काशी की तर्ज पर इस वर्ष भी मंडी में देव दिवाली का आयोजन किया जाएगा।
यह आयोजन ब्यास आरती कमेटी द्वारा आगामी 5 नवंबर को ब्यास नदी के पवित्र डुगलेश्वर घाट पर किया जाएगा। इस अवसर पर घाट और आसपास के क्षेत्र को लगभग 1500 दीयों की रौशनी से सजाया जाएगा, जिससे पूरा नदी तट आस्था के उजाले में नहाएगा।
बाबा भूतनाथ मंदिर के महंत देवानंद सरस्वती ने बताया कि देव दिवाली का यह पर्व हर वर्ष की तरह इस बार भी पूरे उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, यह पर्व त्रिपुरासुर नामक राक्षस के वध से जुड़ा है। त्रिपुरासुर ने अपने बल से तीनों लोकों में आतंक मचा दिया था। देवताओं की प्रार्थना पर भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का संहार कर सृष्टि को उस भय से मुक्त किया था।
भगवान शिव जब काशी लौटे, तो देवताओं और मानवों ने उनके स्वागत में दीप प्रज्वलित कर पूरी नगरी को आलोकित किया। उसी क्षण से देव दीपावली मनाने की परंपरा प्रारंभ हुई, जो आज भी भक्ति, विजय और प्रकाश के उत्सव के रूप में मनाई जाती है।
मंडी में होने वाला यह आयोजन प्रदेश में विशेष पहचान रखता है। डुगलेश्वर महादेव मंदिर और ब्यास नदी का संगम स्थल इस अवसर पर दीपों की कतारों से जगमगाएगा। घाट के दोनों किनारों पर श्रद्धालु दीये जलाएंगे और गंगा आरती की तर्ज पर ब्यास आरती की जाएगी।
संध्या समय जब आरती के स्वर गूंजेंगे और दीयों की लौ ब्यास के जल पर झिलमिलाएगी, तो दृश्य किसी काशी के देव दीपोत्सव से कम नहीं होगा। ब्यास आरती कमेटी के सदस्य ने बताया कि आयोजन में सामूहिक आरती, भजन संध्या और देव पूजन भी किया जाएगा। स्थानीय कलाकारों द्वारा भगवान शिव और त्रिपुरासुर की कथा पर आधारित भक्ति नृत्य और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी होंगी।
देव दिवाली के साथ ही मंडी में इन दिनों भीष्म पंचक के व्रत और पूजा-अर्चना का विशेष महत्व देखा जा रहा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भीष्म पंचक के पांच दिनों में उपवास, स्नान, दान और जप करने से पाप नष्ट होते हैं और व्यक्ति को एकादशी व्रत के समान पुण्य प्राप्त होता है।
आज दिनभर शहर के बाजारों में पूजा सामग्री की खरीदारी के लिए श्रद्धालु उमड़ते रहे। लोग आंवला, गन्ना, तिल और नई फसलों की खरीद करते दिखे। कई घरों और मंदिरों में तुलसी पूजन भी संपन्न हुआ।
देव दिवाली के अवसर पर मंडी न केवल धार्मिक उत्सव का केंद्र बनेगी, बल्कि यह आयोजन पर्यटन दृष्टि से भी खास महत्व रखता है। ब्यास तट पर दीपमालाओं का दृश्य देखने के लिए स्थानीय लोग ही नहीं, बल्कि देश-विदेश से पर्यटक भी बड़ी संख्या में पहुंचते हैं।
महंत देवानंद सरस्वती ने बताया कि इस आयोजन का उद्देश्य प्राचीन परंपराओं को जीवित रखना और देव संस्कृति को नई पीढ़ी तक पहुंचाना है। उन्होंने श्रद्धालुओं से अपील की कि वे पर्यावरण और नदी की स्वच्छता का ध्यान रखते हुए श्रद्धा के साथ दीपदान करें।